वृषभ संक्रांति 2025 कब है?
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वृषभ संक्रांति 2025 कब है?

जानिए वृषभ संक्रांति 2025 की तारीख, सूर्य के राशि परिवर्तन का महत्व, इस दिन के धार्मिक कार्य और पुण्य प्राप्ति के उपाय।

वृषभ संक्रांति के बारे में

वृषभ संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण संक्रांति है, जब सूर्य का गोचर मेष राशि से वृषभ राशि में होता है। यह घटना हर साल मई महीने में होती है और इसका धार्मिक व खगोलीय महत्व होता है। आइये इस लेख के माध्यम से इसके बारे में जानते हैं...

वृषभ संक्रांति 2025

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वृषभ संक्रांति हिन्दू वर्ष की पहली संक्रांति होती है। पूरे वर्ष में 12 मास की तरह ही 12 संक्रांति होती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर अर्थात प्रवेश की तिथि को संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

  • इस माह 15 मई 2025, बृहस्पतिवार को सूर्य मेष राशि से निकल कर वृषभ राशि में गोचर करेंगे।

आइये जानते हैं वृषभ संक्रांति के शुभ मुहूर्त

  • वृषभ संक्रान्ति 15 मई 2025, बृहस्पतिवार को
  • वृषभ संक्रान्ति पुण्य काल - 05:27 ए एम से 12:13 पी एम
  • अवधि - 06 घण्टे 47 मिनट्स
  • वृषभ संक्रान्ति महा पुण्य काल - 05:27 ए एम से 07:42 ए एम
  • अवधि - 02 घण्टे 16 मिनट्स
  • वृषभ संक्रान्ति का क्षण - 12:21 ए एम

वृषभ संक्रान्ति मुहूर्त

  • संक्रान्ति करण: गर
  • संक्रान्ति दिन: बुधवार
  • संक्रान्ति अवलोकन दिनाँक: 15 मई, 2025
  • संक्रान्ति गोचर दिनाँक: 15 मई, 2025
  • संक्रान्ति का समय: 12:21 ए एम, मई 15
  • संक्रान्ति घटी: 45 (रात्रिमान)
  • संक्रान्ति चन्द्रराशि: वृश्चिक
  • संक्रान्ति नक्षत्र: ज्येष्ठा (दारुण संज्ञक)

वृषभ संक्रांति पंचांग

मुहूर्तसमय 
ब्रह्म मुहूर्त  04:03 ए एम से 04:45 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:24 ए एम से 05:27 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:46 ए एम से 12:41 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:29 पी एम से 03:23 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 06:59 पी एम से 07:20 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 07:00 पी एम से 08:03 पी एम तक
निशिता मुहूर्त 11:52 पी एम से 12:34 ए एम, तक (16 मई)

वृषभ संक्रांति क्या है? जानें महत्व एवं लाभ!

साल के प्रत्येक महीने में आने वाली संक्रांति का अपना विशेष महत्व होता है। वृषभ संक्रांति भी उन्हीं में से एक है, जो हिन्दू धर्म की प्रमुख तिथि मानी जाती है।

चलिए जानते हैं,

  • वृषभ संक्रांति क्या है, और क्यों मनाई जाती है?
  • वृषभ संक्रांति का महत्व क्या है?
  • इस संक्रांति के लाभ क्या हैं?

वृषभ संक्रांति क्या है, और क्यों मनाई जाती है?

हिन्दू कैलेंडर में वृषभ संक्रांति को वर्ष में आने वाली दूसरी संक्रांति माना जाता है। हर माह सूर्य देवता अपना स्थान परिवर्तन कर एक नई राशि में प्रवेश करते हैं। इसी तरह ज्येष्ठ माह में सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे वृषभ संक्रांति के नाम से मनाया जाएगा। वृषभ अर्थात बैल, और बैल (नंदी) भगवान शिव का वाहन होता है। इसलिए वृषभ संक्रांति पर नंदी महराज पर जल चढ़ाना बहुत फलदायी होता है।

वृषभ संक्रांति का महत्व क्या है?

हिंदू शास्त्रों में वृषभ संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। इस दिन व्रत रखना, सूर्यदेव की पूजा अर्चना करना और दान करना अत्यंत फलदाई होता है। जो लोग अपनी कुंडली में सूर्य से उत्पन्न हो रहे दोषों से पीड़ित हैं। उन्हें वृषभ संक्रांति पर सूर्यदेव की सामान्य पूजा जरूर करनी चाहिए। इससे उनके जीवन में नौकरी, व्यवसाय और पिता से संबंधित बाधाएं कम होती है।

इस संक्रांति के लाभ क्या हैं?

  • इस दिन प्रातःकाल स्नान के उपरांत सूर्य भगवान को जल अर्पित करने एवं सूर्य मंत्रों का जाप करने से अक्षय पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
  • इस संक्रांति पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा से मनवांछित फल मिलता है, एवं जीवनभर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
  • वृषभ संक्रांति पर भगवान सूर्य की आराधना करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होता है।
  • इस दिन गौ माता को भरपेट चारा खिलाने से धनधान्य व सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • वृषभ संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान-दान, पितरों का तर्पण आदि करने से घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

वृषभ संक्रांति की पूजा विधि

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं, जिनमें वृषभ संक्रांति हिन्दू वर्ष की अंतिम संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस संक्रांति पर पूरी सृष्टि में ऊर्जा के स्रोत माने जाने वाले भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है।

आइए जानते हैं वृषभ संक्रांति पर कैसे करें सूर्यदेव की पूजा

  • इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं, और पास के किसी जलाशय या नदी में स्नान करें।
  • अगर ऐसा संभव न हों तो आप घर पर ही पानी में ही तिल और गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
  • स्नान करते समय मन ही मन भगवान सूर्य का स्मरण करें, स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें।
  • यदि आप इस दिन व्रत रखना चाहते हैं, तो सूर्यदेव को नमन करके व्रत का संकल्प लें, और तांबे के कलश में तिल, जल और फूल मिलाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
  • अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते रहें।
  • इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके, यहां नियमित रूप से की जाने वाली पूजा करें और सभी देवों को रोली, हल्दी, कुमकुम, धूप-दीप, पुष्प, अक्षत, भोग समेत संपूर्ण पूजा सामग्री अर्पित करें।
  • अब सर्वदेवों को नमन करके अपने घर परिवार के लिए सुख- समृद्धि और शांति की कामना करें।
  • इस दिन आप उत्तम फल के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव जी की भी पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
  • इसके बाद आप अपनी क्षमता के अनुसार किसी ब्राम्हण एवं निर्धन जनों को अन्न (धान और गेहूं) और वस्त्र आदि का दान करके अपने व्रत को पूर्ण करें।

तो यह थी वृषभ संक्रांति की पूजा विधि, आप भी इस दिन सूर्यदेव की भक्ति से अपने दिन को मंगलकारी बना सकते हैं

वृषभ संक्रांति पर क्या करें/ क्या न करें

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सूर्य का किसी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। इस प्रकार सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश करने को वृषभ संक्रांति कहते हैं। इस संक्रांति से मलमास या खरमास का भी प्रारंभ होता है, इसलिए इस दिन जहां सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से अनेकों फल प्राप्त होते हैं, वहीं कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें वृषभ संक्रांति में करना वर्जित माना जाता है।

चलिए जानते हैं,

  • वृषभ संक्रांति पर क्या करें?
  • वृषभ संक्रांति पर क्या न करें?

वृषभ संक्रांति पर क्या करें?

  • वृषभ संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
  • यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।
  • स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें।
  • सूर्य पूजन के उपरांत तिल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • वृषभ संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।

वृषभ संक्रांति पर क्या न करें?

  • वृषभ संक्रांति में विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि शुभ कार्य पूर्ण रूप से वर्जित होते हैं।
  • ऐसी मान्यता है कि यदि खरमास में विवाह किया जाए तो वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता है।
  • इस सक्रांति के दौरान गृह प्रवेश करना भी अशुभ माना जाता है।
  • वृषभ संक्रांति में नामकरण, शिक्षा प्रारंभ, कर्णछेदन और वास्तु पूजन जैसे शुभ कार्य भी वर्जित होते हैं।
  • इस समय कोई नया व्यवसाय नहीं प्रारंभ करना चाहिए। माना जाता है कि इस माह में शुरू किए व्यवसाय में लाभ नहीं होता है।

ये थी वृषभ संक्रांति से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी। इसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।

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Published by Sri Mandir·April 29, 2025

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