वराह जयंती पर शुभ मुहूर्त

वराह जयंती पर शुभ मुहूर्त

17 सितम्बर, 2023 यहां जानें संपूर्ण जानकारी


हिंदू धर्म में वराह जयंती का बहुत महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के तीसरे अवतार का पृथ्वी पर अवतीर्ण हुआ था। इस उपलक्ष में हर वर्ष इसी तिथि को, वराह जयंती के पर्व के रूप में, देशभर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। भगवान विष्णु के वराह अवतार को उद्धारक देवता के रूप में भी जाना जाता है।विष्णु जी ने ये अवतार सतयुग में लिया था। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हिरण्याक्ष नामक राक्षस के संहार हेतु भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लिया था। लेकिन 2023 में वराह जयंती कब है? इसका महत्व और शुभ मुहूर्त क्या है? इन सब के बारे में जानते हैं।

वराह जयंती 2023 का शुभ मुहूर्त

2023 में वराह जयंती 17 सितंबर, रविवार, 2023 को पड़ रही है। जो कि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है। तृतीया तिथि की शुरूआत 17 सितंबर, 2023 को सुबह 11:08 बजे से होगी और तिथि का समापन 18 सितंबर 2023 दोपहर 12:39 बजे को होगा।

वराह जयंती का महत्व

हिंदू धर्म में वराह जयंती के पर्व का एक विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और उनके वराह स्वरुप की पूजा करने से, इंसान के जीवन में खुशियों का संयोग बनता है। ऐसी मान्यता है, कि जो लोग वराह जयंती के दिन व्रत को सच्चे मन से करते हैं, तो उनका सोया हुआ भाग्य जाग जाता है। साथ ही व्यक्ति के पास धन और संपदा की कोई कमी नहीं रहती। भगवान विष्णु के इस अवतार को बहुत ही कल्याणकारी भी माना जाता है।

भगवान विष्णु ने अपना यह अवतार बुरी शक्तियों का अंत करने के लिए धारण किया था, ऐसे में इस दिन उनकी पूजा करने वाले इंसान की सभी गलतियाँ व पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा वराह जयंती की पूजा करने वाले लोग, इस दिन ज़रुरतमंदों को धन और कपड़ों व अन्य चीजों का दान करके, भगवान विष्णु का असीम आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

प्रसिद्ध वराह मंदिर

वराह जयंती, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष वराह जयंती मंगलवार, 30 अगस्त को है और यह त्योहार भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, बेहद ही धूमधाम से मनाया जाता है। वहीं देश के कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहाँ इस त्योहार में भगवान के दर्शन के लिये, भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। ऐसा ही एक मंदिर, तिरुमाला में स्थित "भुवराह स्वामी मंदिर" है।

इस मंदिर का निर्माण करीब 16 वीं शताब्दी में हुआ था और इस दिन वहां, बेहद ही खूबूसरत नज़ारा देखने को मिलता है। यहाँ वराह जयंती के दिन देवता की मूर्ति को नारियल के पानी से नहलाया जाता है और फिर उनकी पूजा की जाती है।

ऐसा ही एक और पुराना मंदिर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में भी मौजूद है, जिसका निर्माण 11 वीं शताब्दी में हुआ था। यह मंदिर "वराह मंदिर खजुराहो" के नाम से प्रसिद्ध है और इस स्मारक को, यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र भी माना गया है। भगवान वराह के जन्मदिन पर यहाँ भव्य आयोजन किया जाता है।

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