
राधा कुण्ड स्नान 2025 का शुभ मुहूर्त और कथा क्या है? जानें इस पावन अवसर पर स्नान और पूजा की सम्पूर्ण जानकारी।
भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन गिरिधारी की परिक्रमा मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है, जिसे 'राधाकुंड' के नाम से जाना जाता है। इस कुंड से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि यदि कोई नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी यानि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को यहां एक साथ स्नान करें, तो राधे-मोहन की कृपा से उन्हें शीघ्र ही उत्तम संतान प्राप्ति होती है।
राधाकुंड अर्ध रात्रि स्नान का शुभ मुहूर्त
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 4:16 ए एम से 05:06 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:41 ए एम से 05:55 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:21 ए एम से 12:07 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:40 पी एम से 02:27 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:33 पी एम से 05:57 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:33 पी एम से 06:47 पी एम |
रवि योग | 05:55 ए एम से 12:26 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:19 पी एम से 12:09 ए एम, अक्टूबर 14 |
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के आदेश पर अरिष्टासुर नामक राक्षस का वध किया, तो गोपियों ने कहा कि आपने पाप किया है क्योंकि आपने एक बैल रूपी जीव को मारा है। तब श्रीकृष्ण ने इस पाप से मुक्ति के लिए एक पवित्र कुंड (श्याम कुंड) का निर्माण किया और उसमें स्नान किया। माता राधा और सखियों ने यह देखा तो उन्होंने भी अपने पवित्र स्नान के लिए राधा कुंड का निर्माण किया। जब श्रीकृष्ण ने राधा कुंड में स्नान किया, तब उन्होंने कहा “जो कोई राधा कुंड में स्नान करेगा, वह मेरे समान पवित्र हो जाएगा।” इसलिए यह स्नान केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
राधा कुंड स्नान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर किया जाता है। राधा कुंड में डुबकी लगाने के लिए एक विशेष समय निर्धारित है। मध्य रात्रि के समय को निशिता काल कहा जाता है, और इसी समय को यहां पवित्र डुबकी लगाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की अष्टमी, जिसे अहोई अष्टमी भी कहते हैं, इस दिन राधा कुंड में डुबकी लगाने की विशेष मान्यता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन नि:संतान दंपत्ति को एक साथ राधा कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इस समय सुहागिनें अपने केश खोलकर राधाजी उपासना करती हैं, और पुत्र रत्न प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। कार्तिक मास की अष्टमी को संतान प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखने का भी विधान है।
इसी अटूट विश्वास के साथ हर साल हजारों की संख्या में दंपत्ति उत्तर प्रदेश के मथुरा में गोवर्धन स्थान पर पहुंचते हैं, और यहां राधा कुंड में डुबकी लगाकर राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि आज भी कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण रात्रि बारह बजे तक राधाजी के साथ राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं। इसलिए अहोई अष्टमी के दिन यहां अष्टमी मेला लगाया जाता है। अहोई अष्टमी का ये पर्व यहां प्राचीन काल से मनाया जाता है। संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए यह स्नान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वहीं जिन दंपतियों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है, वे राधा कुण्ड की पुनः यात्रा करते हैं, और डुबकी लगाकर राधा रानी को आभार प्रकट करते हैं।
पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक:
राधा-कृष्ण की कृपा प्राप्ति:
कार्तिक मास का सर्वोत्तम दिन:
सभी तीर्थों से श्रेष्ठ:
राधा कुंड स्नान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और आत्मशुद्धि का उत्सव है। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान के बाद गोवर्धन पर्वत के समीप स्थित राधा कुंड और श्याम कुंड में पवित्र स्नान करते हैं। यदि व्यक्ति स्वयं गोवर्धन नहीं जा सकता, तो वह घर पर ही राधा-कृष्ण का ध्यान करके और पवित्र जल से स्नान करके इस व्रत का पुण्य प्राप्त कर सकता है।
राधा कुंड का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की दिव्य प्रेम लीला से जुड़ा है।
श्रीमद्भागवत और गौड़ीय वैष्णव परंपरा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने कंस के आदेश पर अरिष्ठासुर नामक एक राक्षस का वध किया, जो बैल (गाय के समान) के रूप में आया था, तो राधा रानी और उनकी सखियों ने उनसे कहा —“तुमने गोवंश के समान प्राणी का वध किया है, इसलिए अब तुम अशुद्ध हो गए हो। अपनी शुद्धि के लिए किसी तीर्थ में स्नान करो।” श्रीकृष्ण ने मुस्कराते हुए कहा, “यदि ऐसा है, तो मैं यहीं तीर्थ बना लूँगा।” उन्होंने अपने चरणों से पृथ्वी में एक गड्ढा बनाया और सभी पवित्र नदियों को आह्वान किया। तुरंत ही सभी तीर्थों का जल वहाँ प्रकट हुआ, जिससे “श्याम कुंड” का निर्माण हुआ।
यह देखकर राधा रानी ने कहा, “मैं भी तुम्हारे समान एक कुंड बनाऊँगी।” उन्होंने अपनी सखियों के कंगनों से भूमि खोदी और “राधा कुंड” का निर्माण किया। तब श्याम कुंड का जल स्वयं प्रवाहित होकर राधा कुंड में आ गया। इस प्रकार राधा कुंड और श्याम कुंड का निर्माण राधा-कृष्ण की दिव्य प्रेम और भक्ति की एक अनूठी लीला के रूप में हुआ। गोवर्धन पर्वत के समीप स्थित ये दोनों कुंड आज भी उसी प्रेम और भक्ति के प्रतीक हैं।
राधा कुंड में स्नान करने का महत्व असीम माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह कुंड सभी पवित्र तीर्थों से श्रेष्ठ है।
जन्म-जन्मांतर के पापों का शुद्धिकरण
भक्ति और प्रेम की प्राप्ति
वैवाहिक और पारिवारिक सुख
मनोकामना पूर्ति
मोक्ष की प्राप्ति
स्नान और शुद्धता
उपवास या साधारण भोजन
भगवान राधा-कृष्ण का ध्यान
मंत्र उदाहरण
दान और पुण्य कार्य
दीप और धूप-अगरबत्ती
भजन और कीर्तन
प्रकृति का सम्मान
गंदगी या अशुद्धता
सांस्कृतिक या धार्मिक अनादर
अत्यधिक भोजन और मद्यपान
विवाद और क्रोध
स्नान के बाद तुरंत कोई अपवित्र कार्य
अनावश्यक शोर और अशांति
ऐसा कहा जाता है कि राधा कुंड का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण ने अरिष्टासुर को मारने के बाद किया था, जो एक बैल रूपी राक्षस था। चूँकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार बैल एक धार्मिक प्रतीक है, इसीलिए श्री कृष्ण ने अरिष्टासुर को मारकर अपराध किया था। इस अपराध के बाद राधा जी ने कृष्ण से सभी पवित्र नदियों में स्नान करके स्वयं को शुद्ध करने का सुझाव दिया। राधा जी की बात मान कर श्री कृष्ण ने सभी पवित्र स्थलों का जल एक ही स्थान पर लाने का संकल्प लिया। इसके बाद उन्होंने अपने पैर को धरती पर जोर से मारा, जिससे उस स्थान पर सभी अलौकिक नदियों का जल एकत्रित होने लगा। यह स्थान श्याम कुंड के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
मान्यतायों के अनुसार श्याम कुंड के पास में ही राधारानी ने अपनी चूड़ियों से जमीन को खोदकर एक और कुंड का निर्माण किया, जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है। कृष्ण कुंड और राधाकुंड की अपनी एक विशेषता है कि दूर से देखने पर कृष्ण कुंड का जल काला और राधाकुंड का जल सफेद दिखाई देता है, जो कि श्रीकृष्ण के काले वर्ण के होने का और देवी राधा के सफेद वर्ण के होने का प्रतीक है। माना जाता है कि अहोई अष्टमी तिथि को इन कुंडों का निर्माण हुआ था, जिसके कारण अहोई अष्टमी को यहां स्नान करने का विशेष महत्त्व है। यहां आने वाले श्रद्धालु पहले श्याम कुंड और उसके बाद राधा कुंड में स्नान करते हैं।
तो यह थी राधा कुंड स्नान की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व स्नान सफल हो, और राधा-मोहन की कृपा से आपको उत्तम संतान का सुख मिले। व्रत, त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।
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