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राधा कुण्ड स्नान

राधा कुण्ड स्नान 2025 का शुभ मुहूर्त और कथा क्या है? जानें इस पावन अवसर पर स्नान और पूजा की सम्पूर्ण जानकारी।

राधा कुण्ड स्नान के बारे में

भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन गिरिधारी की परिक्रमा मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है, जिसे 'राधाकुंड' के नाम से जाना जाता है। इस कुंड से जुड़ी एक पौराणिक मान्यता है कि यदि कोई नि:संतान दंपति अहोई अष्टमी यानि कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को यहां एक साथ स्नान करें, तो राधे-मोहन की कृपा से उन्हें शीघ्र ही उत्तम संतान प्राप्ति होती है।

साल 2025 में राधा कुंड स्नान कब है?

  • राधा कुण्ड स्नान 13 अक्टूबर 2025, सोमवार को किया जायेगा।
  • अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 13, 2025 को 12:24 पी एम बजे
  • अष्टमी तिथि समाप्त - अक्टूबर 14, 2025 को 11:09 ए एम बजे

राधाकुंड अर्ध रात्रि स्नान का शुभ मुहूर्त

  • 24 अक्टूबर की रात 11:41 पी एम से 12:30 ए एम, 14 अक्टूबर तक
  • अवधि - 00 घण्टे 50 मिनट्स

राधा कुंड स्नान का शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

4:16 ए एम से 05:06 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:41 ए एम से 05:55 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:21 ए एम से 12:07 पी एम

विजय मुहूर्त

01:40 पी एम से 02:27 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:33 पी एम से 05:57 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:33 पी एम से 06:47 पी एम

रवि योग

05:55 ए एम से 12:26 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:19 पी एम से 12:09 ए एम, अक्टूबर 14

राधा कुंड स्नान क्या है?

  • राधा कुंड स्नान एक अत्यंत पवित्र और दुर्लभ तीर्थ स्नान है जो कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, अर्थात् आठवें दिन, मनाया जाता है।
  • यह दिन श्रीराधा जी के प्रियतम तीर्थ — राधा कुंड को समर्पित है, जो वृंदावन के निकट गोवर्धन पर्वत के पास स्थित है।
  • इस दिन लाखों भक्त गोवर्धन पहुंचकर राधा कुंड और श्याम कुंड में स्नान करते हैं।
  • यह माना जाता है कि इस दिन यहां स्नान करने से भक्त को वही पुण्य मिलता है जो सभी तीर्थों में स्नान करने से प्राप्त होता है।

क्यों मनाते हैं राधा कुंड स्नान?

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के आदेश पर अरिष्टासुर नामक राक्षस का वध किया, तो गोपियों ने कहा कि आपने पाप किया है क्योंकि आपने एक बैल रूपी जीव को मारा है। तब श्रीकृष्ण ने इस पाप से मुक्ति के लिए एक पवित्र कुंड (श्याम कुंड) का निर्माण किया और उसमें स्नान किया। माता राधा और सखियों ने यह देखा तो उन्होंने भी अपने पवित्र स्नान के लिए राधा कुंड का निर्माण किया। जब श्रीकृष्ण ने राधा कुंड में स्नान किया, तब उन्होंने कहा “जो कोई राधा कुंड में स्नान करेगा, वह मेरे समान पवित्र हो जाएगा।” इसलिए यह स्नान केवल धार्मिक नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

राधा कुंड स्नान किस समय किया जाता है?

राधा कुंड स्नान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर किया जाता है। राधा कुंड में डुबकी लगाने के लिए एक विशेष समय निर्धारित है। मध्य रात्रि के समय को निशिता काल कहा जाता है, और इसी समय को यहां पवित्र डुबकी लगाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

राधा कुंड स्नान का महत्व क्या है?

हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की अष्टमी, जिसे अहोई अष्टमी भी कहते हैं, इस दिन राधा कुंड में डुबकी लगाने की विशेष मान्यता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन नि:संतान दंपत्ति को एक साथ राधा कुंड में स्नान करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इस समय सुहागिनें अपने केश खोलकर राधाजी उपासना करती हैं, और पुत्र रत्न प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं। कार्तिक मास की अष्टमी को संतान प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखने का भी विधान है।

इसी अटूट विश्वास के साथ हर साल हजारों की संख्या में दंपत्ति उत्तर प्रदेश के मथुरा में गोवर्धन स्थान पर पहुंचते हैं, और यहां राधा कुंड में डुबकी लगाकर राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

ऐसा माना जाता है कि आज भी कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण रात्रि बारह बजे तक राधाजी के साथ राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं। इसलिए अहोई अष्टमी के दिन यहां अष्टमी मेला लगाया जाता है। अहोई अष्टमी का ये पर्व यहां प्राचीन काल से मनाया जाता है। संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए यह स्नान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वहीं जिन दंपतियों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है, वे राधा कुण्ड की पुनः यात्रा करते हैं, और डुबकी लगाकर राधा रानी को आभार प्रकट करते हैं।

पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक:

  • राधा कुंड को समस्त तीर्थों का सार कहा गया है। यहां स्नान करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

राधा-कृष्ण की कृपा प्राप्ति:

  • इस दिन राधा-कृष्ण की आराधना करने से अखंड प्रेम, भक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

कार्तिक मास का सर्वोत्तम दिन:

  • कार्तिक माह को भगवान विष्णु प्रिय माना गया है, और इस माह का राधा कुंड स्नान तो सभी स्नानों का राजा कहा जाता है।

सभी तीर्थों से श्रेष्ठ:

  • पद्मपुराण और स्कंदपुराण में कहा गया है कि राधा कुंड में स्नान करने से भक्त को गंगा, यमुना, काशी और बद्रीनाथ जैसे सभी तीर्थों के बराबर फल मिलता है।

जानिए राधा कुंड का महत्व

  • राधा कुंड केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि राधा रानी का स्वरूप माना जाता है।
  • यहाँ जल नहीं, भक्ति का अमृत प्रवाहित होता है।
  • शास्त्रों में कहा गया है कि — “राधा कुंडं इति प्रख्यातं, त्रैलोक्यसर्वपावनम्।” अर्थात् — “तीनों लोकों को पवित्र करने वाला स्थल राधा कुंड है।”
  • यहाँ स्नान, दीपदान और दान करने से जीवन में सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है और राधा-कृष्ण की कृपा सदैव बनी रहती है।

राधा कुंड स्नान कैसे मनाएं?

राधा कुंड स्नान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति, प्रेम और आत्मशुद्धि का उत्सव है। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान के बाद गोवर्धन पर्वत के समीप स्थित राधा कुंड और श्याम कुंड में पवित्र स्नान करते हैं। यदि व्यक्ति स्वयं गोवर्धन नहीं जा सकता, तो वह घर पर ही राधा-कृष्ण का ध्यान करके और पवित्र जल से स्नान करके इस व्रत का पुण्य प्राप्त कर सकता है।

पालन करने योग्य मुख्य विधियाँ

  • ब्रह्ममुहूर्त में उठें — सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • राधा-कृष्ण का ध्यान करें — मन में राधा रानी और श्रीकृष्ण का नाम लेकर उनका आह्वान करें।
  • राधा कुंड या श्याम कुंड में स्नान करें — यदि संभव हो तो गोवर्धन जाकर कुंड में स्नान करें।
  • स्नान करते समय यह मंत्र बोलें — “राधे राधे जय राधे, राधा नाम सुखदायिनी।”
  • दीपदान और पुष्प अर्पण करें — कुंड के तट पर या घर में राधा-कृष्ण के सामने दीप जलाएँ और पुष्प अर्पित करें।
  • गोवर्धन परिक्रमा करें — यदि आप वहाँ उपस्थित हों तो एक बार गोवर्धन की परिक्रमा अवश्य करें।
  • भोजन में सात्त्विक आहार लें — इस दिन केवल फल, दूध, चपाती और बिना प्याज-लहसुन का भोजन करें।

राधा कुंड स्नान की पूजा विधि

पूजन सामग्री

  • तुलसी दल
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • पुष्प और हार
  • दीपक व धूप
  • जल से भरा कलश
  • राधा-कृष्ण की मूर्ति या चित्र

पूजन प्रक्रिया

  • संकल्प लें: “मैं श्रीराधा-कृष्ण की कृपा प्राप्ति और समस्त पापों के नाश हेतु राधा कुंड स्नान एवं पूजन का संकल्प लेती/लेता हूँ।”
  • भगवान का आह्वान करें: धूप, दीप, जल और पुष्प अर्पित करते हुए “ॐ राधायै नमः” और “ॐ श्रीकृष्णाय नमः” का जाप करें।
  • अभिषेक करें: पंचामृत से राधा-कृष्ण की मूर्ति का स्नान कराएँ, तत्पश्चात शुद्ध जल से धोकर वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
  • भोग लगाएँ: माखन, मिश्री, फल, दूध और तुलसीदल से भोग लगाएँ।
  • आरती करें: “जय जय राधे श्याम” या “राधे राधे बरसाने वाली राधे” जैसे भजन गाते हुए आरती करें।
  • दीपदान और दान करें: कुंड के समीप या घर में दीप जलाकर माँ राधा को अर्पित करें।
  • जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न या दान दें, यह इस दिन का सबसे पुण्य कार्य माना गया है।

घर पर राधा कुंड स्नान करने का तरीका (यदि गोवर्धन न जा सकें)

  • स्नान के बाद गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल अपने ऊपर छिड़कें।
  • घर में ही एक पात्र में जल भरकर “राधा कुंडाय नमः” कहकर उस जल को पवित्र मानें।
  • उसी जल से अपने सिर पर तीन बार छींटे डालें और राधा-कृष्ण का ध्यान करें।
  • दीपदान और भोग अर्पित करें — मान्यता है कि इससे वही फल प्राप्त होता है जो गोवर्धन में स्नान करने से मिलता है।

कैसे हुआ राधा कुंड का निर्माण?

राधा कुंड का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की दिव्य प्रेम लीला से जुड़ा है।

श्रीमद्भागवत और गौड़ीय वैष्णव परंपरा के अनुसार, जब श्रीकृष्ण ने कंस के आदेश पर अरिष्ठासुर नामक एक राक्षस का वध किया, जो बैल (गाय के समान) के रूप में आया था, तो राधा रानी और उनकी सखियों ने उनसे कहा —“तुमने गोवंश के समान प्राणी का वध किया है, इसलिए अब तुम अशुद्ध हो गए हो। अपनी शुद्धि के लिए किसी तीर्थ में स्नान करो।” श्रीकृष्ण ने मुस्कराते हुए कहा, “यदि ऐसा है, तो मैं यहीं तीर्थ बना लूँगा।” उन्होंने अपने चरणों से पृथ्वी में एक गड्ढा बनाया और सभी पवित्र नदियों को आह्वान किया। तुरंत ही सभी तीर्थों का जल वहाँ प्रकट हुआ, जिससे “श्याम कुंड” का निर्माण हुआ।

यह देखकर राधा रानी ने कहा, “मैं भी तुम्हारे समान एक कुंड बनाऊँगी।” उन्होंने अपनी सखियों के कंगनों से भूमि खोदी और “राधा कुंड” का निर्माण किया। तब श्याम कुंड का जल स्वयं प्रवाहित होकर राधा कुंड में आ गया। इस प्रकार राधा कुंड और श्याम कुंड का निर्माण राधा-कृष्ण की दिव्य प्रेम और भक्ति की एक अनूठी लीला के रूप में हुआ। गोवर्धन पर्वत के समीप स्थित ये दोनों कुंड आज भी उसी प्रेम और भक्ति के प्रतीक हैं।

राधा कुंड स्नान के धार्मिक लाभ

राधा कुंड में स्नान करने का महत्व असीम माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि यह कुंड सभी पवित्र तीर्थों से श्रेष्ठ है।

जन्म-जन्मांतर के पापों का शुद्धिकरण

  • राधा कुंड में एक बार श्रद्धा से स्नान करने से व्यक्ति के अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह कुंड स्वयं राधा रानी की कृपा का सागर माना गया है।

भक्ति और प्रेम की प्राप्ति

  • राधा कुंड स्नान से भक्त के हृदय में राधा-कृष्ण के प्रति गहन भक्ति और प्रेम जाग्रत होता है। कहा गया है — “जो भक्त राधा कुंड में स्नान करता है, वह राधा-कृष्ण के निकटतम सान्निध्य को प्राप्त करता है।”

वैवाहिक और पारिवारिक सुख

  • इस दिन राधा रानी का ध्यान कर स्नान करने से दांपत्य जीवन में प्रेम, सौहार्द और स्थिरता आती है।
  • अविवाहित युवतियाँ योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए राधा कुंड स्नान करती हैं।

मनोकामना पूर्ति

  • श्रद्धापूर्वक स्नान, दीपदान और दान करने से व्यक्ति की सभी शुभ इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  • यह स्नान विशेष रूप से सुख, समृद्धि, और शांति प्रदान करने वाला माना गया है।

मोक्ष की प्राप्ति

  • शास्त्रों में कहा गया है —“यः स्नानं राधा-कुण्डे कुर्यात्, स मुक्तो भवति।” अर्थात् जो व्यक्ति राधा कुंड में स्नान करता है, वह जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त होकर परम लोक को प्राप्त करता है।

राधा कुंड स्नान के दिन क्या करना चाहिए?

स्नान और शुद्धता

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सफाई का विशेष ध्यान रखें। राधा कुंड स्नान से पहले स्वयं को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध करें।

उपवास या साधारण भोजन

  • इस दिन हल्का भोजन करें या व्रत का पालन करें। दिनभर शरीर और मन को संयमित रखना आवश्यक है।

भगवान राधा-कृष्ण का ध्यान

  • स्नान के बाद राधा-कृष्ण के मंत्रों का जाप करें, उनकी प्रतिमा या फोटो पर पुष्प अर्पित करें।

मंत्र उदाहरण

  • “ॐ राधा-कृष्णाय नमः”
  • “ॐ राधायै नमः”

दान और पुण्य कार्य

  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या पैसे का दान करें। यह स्नान और पूजा के पुण्य को और बढ़ाता है।

दीप और धूप-अगरबत्ती

  • पूजा के समय दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती से वातावरण को पवित्र करें।

भजन और कीर्तन

  • राधा-कृष्ण भजन, गीत और कीर्तन करें। इससे हृदय में भक्ति और आनंद का संचार होता है।

प्रकृति का सम्मान

  • राधा कुंड और उसके आसपास की पवित्र भूमि की रक्षा करें। कुंड में कूड़ा या अशुद्ध पदार्थ न डालें।

राधा कुंड स्नान के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

गंदगी या अशुद्धता

  • कुंड में अशुद्ध पदार्थ डालना या गंदगी फैलाना वर्जित है।

सांस्कृतिक या धार्मिक अनादर

  • इस दिन राधा-कृष्ण के प्रति अशिष्ट व्यवहार करना, उग्र या नकारात्मक भाव रखना शुभ नहीं माना जाता।

अत्यधिक भोजन और मद्यपान

  • व्रत के दिन भारी भोजन, शराब या नशीले पदार्थ का सेवन पूरी तरह वर्जित है।

विवाद और क्रोध

  • इस दिन किसी से विवाद, झगड़ा या क्रोध करना निषेध है। मन को शांत और सौम्य रखना चाहिए।

स्नान के बाद तुरंत कोई अपवित्र कार्य

  • स्नान और पूजा के बाद अपवित्र या अशुभ कार्य करना, जैसे झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, वर्जित है।

अनावश्यक शोर और अशांति

  • राधा कुंड के पवित्र वातावरण में शोर मचाना या अराजकता फैलाना वर्जित है।

राधा कुंड स्नान से जुड़ी पौराणिक कथा

ऐसा कहा जाता है कि राधा कुंड का निर्माण भगवान श्रीकृष्ण ने अरिष्टासुर को मारने के बाद किया था, जो एक बैल रूपी राक्षस था। चूँकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार बैल एक धार्मिक प्रतीक है, इसीलिए श्री कृष्ण ने अरिष्टासुर को मारकर अपराध किया था। इस अपराध के बाद राधा जी ने कृष्ण से सभी पवित्र नदियों में स्नान करके स्वयं को शुद्ध करने का सुझाव दिया। राधा जी की बात मान कर श्री कृष्ण ने सभी पवित्र स्थलों का जल एक ही स्थान पर लाने का संकल्प लिया। इसके बाद उन्होंने अपने पैर को धरती पर जोर से मारा, जिससे उस स्थान पर सभी अलौकिक नदियों का जल एकत्रित होने लगा। यह स्थान श्याम कुंड के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

मान्यतायों के अनुसार श्याम कुंड के पास में ही राधारानी ने अपनी चूड़ियों से जमीन को खोदकर एक और कुंड का निर्माण किया, जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है। कृष्ण कुंड और राधाकुंड की अपनी एक विशेषता है कि दूर से देखने पर कृष्ण कुंड का जल काला और राधाकुंड का जल सफेद दिखाई देता है, जो कि श्रीकृष्ण के काले वर्ण के होने का और देवी राधा के सफेद वर्ण के होने का प्रतीक है। माना जाता है कि अहोई अष्टमी तिथि को इन कुंडों का निर्माण हुआ था, जिसके कारण अहोई अष्टमी को यहां स्नान करने का विशेष महत्त्व है। यहां आने वाले श्रद्धालु पहले श्याम कुंड और उसके बाद राधा कुंड में स्नान करते हैं।

तो यह थी राधा कुंड स्नान की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व स्नान सफल हो, और राधा-मोहन की कृपा से आपको उत्तम संतान का सुख मिले। व्रत, त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

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Published by Sri Mandir·October 8, 2025

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