श्राद्ध की कथा

श्राद्ध की कथा

29 सितम्बर, 2023 पितृ पक्ष में अवश्य पढ़े यह कथा, पितरों को मिलेगी शांति


आप सभी ने पितृ पक्ष या सोलह श्राद्ध तिथियों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध पक्ष का संबंध महाभारत से भी है?

यहां हम आपके लिए लेकर आएं हैं श्राद्ध पक्ष की पौराणिक कथा, जिसके माध्यम से आप यह जान पाएंगे कि श्राद्ध या पितृ पक्ष आपके लिए महत्वपूर्ण क्यों है।

महाभारत काल में युद्ध के समय जब दानवीर कर्ण की मृत्यु हुई, तो उनके दान-पुण्य के फलस्वरूप उन्हें स्वर्गलोक भेजा गया। वहां उनका खूब स्वागत-सत्कार हुआ, लेकिन भोजन के समय उन्हें सोना-चांदी और आभूषण परोसे गए। कर्ण इस व्यवहार को समझ न सकें, और उन्होंने देवराज इंद्र से पूछा कि 'हे स्वर्गाधिपति! यहां मुझे भोजन में सोना-चांदी और आभूषण परोसे गए हैं, लेकिन मैं इनका सेवन नहीं कर सकता। मेरे साथ इस व्यवहार का क्या कारण है?

तब देवराज इंद्र ने उन्हें बताया कि ‘हे कर्ण! आपने जीवनपर्यन्त दानधर्म का पालन किया है, और आपके जैसा दानी तीनों लोकों में कोई नहीं होगा। लेकिन आपने सिर्फ सोना-चांदी और आभूषण जैसी भौतिक वस्तुओं का ही दान किया है। कभी अपने किसी पितृदेव को भोजन का दान नहीं दिया, इसलिए आपके पितृ आपसे असंतुष्ट हैं, और आपको स्वर्ग में भोजन का सुख नहीं मिल पा रहा है।’

यह सुनकर कर्ण निराश हो गए, और उन्होंने इंद्रदेव को कहा कि “मैं आजीवन अपने पितरों से अनभिज्ञ रहा हूँ, इसीलिए मुझसे यह भूल हुई है। कृपया अब आप मुझे इसका उपाय बताइये।” तब इंद्र ने कहा कि आपको अपने पुण्यकर्मों के कारण सोलह दिनों का समय दिया जाता है। इन 16 दिनों में पृथ्वीलोक पर जाकर अपने पितरों को भोजन का दान करें। उनका पिण्डदान करें और तर्पण करके उन्हें सतुंष्ट करें। इससे आपको स्वर्ग में हर तरह की सुख-सुविधा के साथ भोजन का सुख भी मिलेगा।

कर्ण ने ऐसा ही किया, और इन 16 दिनों में पृथ्वीलोक पर विचरण कर रहे अपने पितरों को सभी तरह के भोजन का दान किया।

यह पितृ पक्ष की अवधि थी, इसलिए इन 16 दिनों में हम सभी मनुष्यों को यह सौभाग्य प्राप्त होता है, कि हम अपने मृत पूर्वजों को भोजन का दान करें और उनके पिंडदान और तर्पण की विधि को पूरा करें।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

अभी डाउनलॉड करें श्री मंदिर एप

करें ईश्वर की भक्ति कहीं भी, कभी भी।

Play StoreApp Store
srimandir devotees