image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

परिवर्तनी एकादशी 2025

जानें परिवर्तनी एकादशी 2025 की सही तिथि, पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत विधि। इस व्रत का पालन कर भक्त विष्णु भगवान की असीम कृपा और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।

परिवर्तनी एकादशी के बारे में

परिवर्तनी एकादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस दिन भगवान विष्णु शयनावस्था से करवट बदलते हैं। व्रत करने से पापों का नाश होता है और सौभाग्य, स्वास्थ्य तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसे देवउठनी एकादशी की पूर्व संध्या माना जाता है।

परिवर्तनी एकादशी 2025

भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु के उपासकों के लिए इस एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु अपनी शयन मुद्रा में करवट बदलते हैं। करवट बदलने के कारण ही इस एकादशी को 'परिवर्तिनी एकादशी' कहा गया है।

चलिए जानते हैं परिवर्तनी एकादशी कब है?

  • परिवर्तनी (पार्श्व) एकादशी 14 सितंबर, शनिवार (भाद्रपद, शुक्लपक्ष पक्ष, एकादशी)
  • एकादशी तिथि प्रारंभ - 13 सितंबर, 10:30 AM
  • एकादशी तिथि समाप्त - 14 सितंबर, 08:41 AM
  • पारण समय- 15 सितंबर को 05:44 AM से 08:11 PM तक
  • पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- 06:12 PM
  • इस्कॉन पार्श्व एकादशी- 14 सितम्बर, शनिवार
  • इस्कॉन एकादशी के लिए पारण समय- 15 सितंबर, 05:44 AM से 09:50 AM तक

चलिए अब जानते हैं परिवर्तिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:10 AM से 04:57 AM तक

प्रातः सन्ध्या

04:34 AM से 05:44 AM तक

अभिजित मुहूर्त

11:29 AM से 12:18 PM तक

विजय मुहूर्त

01:56 PM से 02:46 PM तक

गोधूलि मुहूर्त

06:03 PM से 06:26 PM तक

सायाह्न सन्ध्या

06:03 PM से 07:13 PM तक

अमृत काल

02:25 PM से 03:57 PM तक

विशेष योग

सर्वार्थ सिद्धि योग- 14 सितंबर, 08:32 PM से 15 सितंबर, 05:44 AM तक रवि योग- 14 सितंबर, 05:44 AM से 08:32 AM तक

पौराणिक मान्यता के अनुसार 'परिवर्तिनी एकादशी' का व्रत करने से व्रती को वाजपेय यज्ञ के समान फल मिलता है। इस एकादशी के दिन विष्णु जी के वामन स्वरूप की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन भगवान वामन की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व

परिवर्तिनी एकादशी के महात्म्य की व्याख्या सृष्टि के पालनहार श्रीकृष्ण ने की थी और आज हम वही कथा आपके लिए लेकर आए हैं। साथ ही हम आपको इस लेख में इस पर्व की तिथि और इससे जुड़ी हुई महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। आप इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें-

एक समय की बात है, युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि, “हे प्रभु, आप तो ब्राम्हण के पालनकर्ता हैं, सर्वज्ञानी हैं, आप कृपा करके मुझे भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी और इसके महात्म्य के बारे में विस्तार से बताएं।”

भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर देते हुए कहा कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी या पार्श्व एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी पुण्य प्रदान करने वाली और भौतिक बंधन से मुक्त करने वाली होती है।

उन्होंने आगे बताया कि यह एकादशी इतनी पवित्र होती है कि इसके महात्म्य का श्रवण करने मात्र से व्यक्ति अपने पिछले जन्म के पाप कर्मों से मुक्त हो जाता है और जो व्यक्ति निष्ठापूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य मिलता है।

इसलिए इस भौतिक संसार से मुक्त होने की कामना रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को परिवर्तिनी एकादशी का पालन करना चाहिए। युधिष्टिर महाराज की जिज्ञासा को शांत करने के लिए आगे कहते हैं कि हे राजन, इस एकादशी का पालन करने हेतु व्यक्ति को वामन देव की आराधना करनी चाहिए। ऐसा करने से वह ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की पूजा का फल प्राप्त कर लेता है और मृत्यु के बाद श्रीहरि के धाम को जाता है।

यह वही दिन है जब चातुर्मास के दौरान, योग निद्रा में शयन करते हुए भगवान विष्णु करवट बदलते हैं और इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने परिवर्तिनी एकादशी का महात्म्य युधिष्ठिर जी को बताया।

चलिए अब जानते हैं कि इस व्रत में किन बातों का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए

एकादशी के व्रत से एक दिन पूर्व जौं, गेहूं, मूंग की दाल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन किसी अन्य व्यक्ति के घर का अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी का अपमान भूल से भी न करें।

तो यह थी परिवर्तिनी एकादशी के महात्म्य की कथा, हम आशा करते हैं आपको भी इस एकादशी का शुभ फल प्राप्त हो।

एकादशी की पूजा सामग्री

सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -

  • चौकी
  • पीला वस्त्र
  • गंगाजल
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा
  • गणेश जी की प्रतिमा
  • अक्षत
  • जल का पात्र
  • पुष्प
  • माला
  • मौली या कलावा
  • जनेऊ
  • धूप
  • दीप
  • हल्दी
  • कुमकुम
  • चन्दन
  • अगरबत्ती
  • तुलसीदल
  • पञ्चामृत का सामान (दूध, घी, दही, शहद और मिश्री)
  • मिष्ठान्न
  • ऋतुफल
  • घर में बनाया गया नैवेद्य

नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।

इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है, यह पूजा सेवा आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है। आप इसका लाभ अवश्य उठायें।

परिवर्तिनी एकादशी पर किसकी पूजा करें

  • इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को पीले वस्त्र पहनाकर पूजा की जाती है।
  • विष्णु जी के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी शुभ मानी जाती है।
  • कुछ परंपराओं में शंख, चक्र, गदा और पद्म के प्रतीक रूप में विष्णु जी के चार हाथों का ध्यान कर पूजन किया जाता है।
  • व्रत करने वाले व्यक्ति को इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्तोत्र और गोपीनाथ द्वादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

एकादशी की पूजा विधि

एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।

पूजा की तैयारी

  • एकादशी के दिन व्रत करने वाले जातक दशमी तिथि की शाम में व्रत और पूजन का संकल्प लें।
  • दशमी में रात्रि के भोजन के बाद से कुछ भी अन्न या एकादशी व्रत में निषेध चीजों का सेवन न करें।
  • एकादशी के दिन प्रातःकाल उठें, और किसी पेड़ की टहनी से दातुन करें।
  • इसके बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्वयं को चन्दन का तिलक करें।
  • अब भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य दें और नमस्कार करते हुए, आपके व्रत और पूजा को सफल बनाने की प्रार्थना करें।
  • अब पूजा करने के लिए सभी सामग्री इकट्ठा करें और पूजा शुरू करें।

एकादशी की पूजा विधि

  • सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें।
  • इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
  • (सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
  • चौकी के सामने एक साफ आसन बिछाकर बैठ जाएं। जलपात्र से अपने बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लेकर दोनों हाथों को शुद्ध करें। अब स्वयं को तिलक करें।
  • अब चौकी पर अक्षत के कुछ दानें आसन के रूप में डालें और इस पर गणेश जी को विराजित करें।
  • इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें।
  • अब स्नान के रूप में एक जलपात्र से पुष्प की सहायता से जल लेकर भगवान गणेश और विष्णु जी पर छिड़कें।
  • भगवान गणेश को हल्दी-कुमकुम-अक्षत और चन्दन से तिलक करें।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में उन्हें जनेऊ अर्पित करें। इसके बाद पुष्प अर्पित करके गणपति जी को नमस्कार करें।
  • भगवान विष्णु को रोली-चन्दन का तिलक करें। कुमकुम, हल्दी और अक्षत भी चढ़ाएं।
  • अब ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए श्रीहरि को पुष्प, जनेऊ और माला अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को पंचामृत में तुलसीदल डालकर अर्पित करें। चूँकि भगवान विष्णु को तुलसी अतिप्रिय है इसीलिए भगवान के भोग में तुलसी को अवश्य शामिल करें।
  • (ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
  • इसके बाद भोग में मिष्ठान्न और ऋतुफल अर्पित करें।
  • विष्णु सहस्त्रनाम या श्री हरि स्त्रोतम का पाठ करें, इसे आप श्री मंदिर के माध्यम से सुन भी सकते हैं।
  • अंत में भगवान विष्णु की आरती करें। अब सभी लोगों में भगवान को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें।
  • इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।

एकादशी व्रत से मिलने वाले 5 लाभ

भक्तों, भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है।

एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं। आइये, शुरू करते हैं-

पहला लाभ- कठिन लक्ष्य एवं कार्यों की सिद्धि

ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।

दूसरा लाभ- आर्थिक प्रगति एवं कर्ज से मुक्ति

इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।

तीसरा लाभ- मानसिक शांति की प्राप्ति

इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी।

चौथा लाभ- पापकर्मों से मुक्ति

एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।

पांचवा लाभ- मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्ति

श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।

तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।

इस एकादशी पर की जाने वाली पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ।

एकादशी व्रत न करनें वाले कैसे करें विष्णु जी को प्रसन्न

एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित महत्वपूर्ण तिथि है, और इस दिन किये गए व्रत और पूजा से प्रसन्न होकर श्री हरि आपकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। परन्तु कुछ भक्तगण ऐसे भी हैं जो कि व्रत करने में सक्षम नहीं है। इसीलिए आज के हमारे इस विशेष लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि एकादशी पर जो भक्तजन व्रत का पालन नहीं कर पा रहे हैं, वे भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें -

सर्वप्रथम आसान पूजा करें

  • सर्वप्रथम प्रातः जल्दी उठकर नित्यकर्मों से निवृत होकर स्नान करें। स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद सूर्यनारायण को शुद्ध जल से अर्घ्य दें और संकल्प लें कि ‘हे प्रभु! मैं इस पावन एकादशी व्रत का पालन करने में सक्षम नहीं हूँ, लेकिन इस शुभ दिन पूर्ण श्रद्धा से आपकी पूजा करने के लिए समर्पित हूँ।
  • इसके बाद अपने घर में देवस्थान पर पूजा की तैयारी शुरू करें।
  • पूजा स्थल और यहां विराजमान सभी देवी देवताओं की प्रतिमा और तस्वीर को साफ करें, और यहां गंगा जल की कुछ बूंदे छिड़के।
  • पूजा स्थल में उपस्थित सभी देवताओं पर गंगा जल छिड़क कर स्नान करवाएं।
  • अब पूजा घर में एक दीप जलाएं।
  • इसके बाद सभी देवी देवताओं को और भगवान विष्णु को हल्दी-कुमकुम चन्दन-अक्षत आदि से तिलक करें।
  • अब पूजा स्थल पर धूप-अगरबत्ती जलाएं और इसके पश्चात् भोग में कुछ तुलसी की पत्तियां रखकर इसे भगवान को अर्पित करें।
  • विष्णु मंत्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का 11 बार या 108 बार जप करें।
  • इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें। मंत्र और आरती आप श्री मंदिर के माध्यम से भी सुन सकते हैं।
  • अब भगवान विष्णु सहित सभी देवी- देवताओं को प्रणाम करें। और आपकी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हुए इस पूजा को संपन्न करें।

परिवर्तिनी एकादशी के धार्मिक उपाय

परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पालन केवल उपवास और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि इस दिन कुछ विशेष धार्मिक उपाय करने से भी जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। विशेषकर संतान सुख, वैवाहिक जीवन की स्थिरता और मानसिक शांति के लिए इस दिन किए गए उपाय अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं।

1. संतान सुख की प्राप्ति हेतु विष्णु मंत्र जप करें

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • यह मंत्र भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और संतान सुख पाने के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

2. तुलसी जी में दीपक जलाएं

  • संध्या के समय तुलसी के पास गाय के घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। यह उपाय सौभाग्य और संतति वृद्धि के लिए शुभ होता है।

3. पीपल की पूजा करें

  • इस दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाकर सात परिक्रमा करें। यह पितृ दोष निवारण और संतान सुख की दिशा में सहायक माना गया है।

4. विवाहित महिलाएं करें यह उपाय

  • विवाहित स्त्रियां इस दिन पीले वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु की पूजा करें और सुहाग की वस्तुएं (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि) देवी लक्ष्मी को अर्पित करें। इससे वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।

5. श्रीफल चढ़ाकर मन्नत मांगें

  • भगवान विष्णु को श्रीफल अर्पित करें और संतान सुख की मनोकामना करें। पूजन उपरांत उस श्रीफल को सुरक्षित रखें और मनोकामना पूर्ण होने पर किसी मंदिर में चढ़ाएं।

परिवर्तिनी एकादशी पर दान का महत्व

दान-पुण्य का विशेष महत्व एकादशी तिथि में बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि एकादशी पर किया गया दान कई गुना फल देता है और व्यक्ति के पापों का नाश करता है।

1. अन्न, वस्त्र और फल का दान करें

  • गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, फल या भोजन का दान करें। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

2. पीले वस्त्र का दान करें

  • भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। अतः इस दिन पीले वस्त्रों का दान करने से संतान से जुड़ी बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

3. दक्षिणा के साथ तुलसी पौधा दान करें

  • तुलसी पौधा विष्णु प्रिय है। इसे किसी श्रद्धालु को दान देना पुण्य फलदायी माना गया है।

4. गौ दान/गौ सेवा करें

  • यदि संभव हो तो गौ माता को हरा चारा खिलाएं या किसी गौशाला में दान करें। यह सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का सरल और प्रभावशाली उपाय है।

5. धार्मिक पुस्तकें या गीता का दान करें

  • इस दिन "श्रीमद्भगवद्गीता" या विष्णु पूजा से जुड़ी धार्मिक पुस्तकों का दान ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाला माना गया है।
  • इस एकादशी पर श्रद्धा और सेवा-भाव से किए गए छोटे-से-छोटे उपाय भी बड़े फल देने वाले होते हैं। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है, और जो भी भक्त सच्चे मन से उन्हें याद करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है।

परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या करना चाहिए?

1. प्रातःकाल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

2. भगवान विष्णु की पूजा करें भगवान श्रीविष्णु की पीले फूलों, पीले वस्त्र, तुलसीदल, धूप, दीप और नैवेद्य से पूजा करें। मंत्र: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय"

3. तुलसी पूजा अवश्य करें तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस दिन तुलसी के पास दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

4. उपवास रखें संभव हो तो निर्जल या फलाहारी उपवास रखें। व्रत में सात्विक आहार लें — जैसे फल, दूध, सूखे मेवे आदि।

5. धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्त्रनाम या नारायण स्तोत्र का पाठ इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है।

6. ज़रूरतमंदों को दान करें अनाज, वस्त्र, दक्षिणा, तुलसी, गाय को चारा, या धार्मिक पुस्तकें दान करना पुण्यदायी होता है।

7. रात में जागरण करें या विष्णु नामस्मरण करें रात्रि में संभव हो तो जागरण करें या भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें। इससे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

परिवर्तिनी एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

1. चावल का सेवन न करें हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित है क्योंकि यह पापफल देने वाला माना जाता है।

2. तामसिक भोजन न करें प्याज, लहसुन, मांस-मदिरा और अन्य तामसिक वस्तुओं का सेवन इस दिन पूरी तरह निषेध है।

3. झूठ न बोलें, क्रोध न करें इस दिन सत्य बोलना, संयमित व्यवहार रखना और मन, वाणी, कर्म को शुद्ध रखना आवश्यक है।

4. परनिंदा व व्यर्थ बातें न करें व्रत के दिन किसी की बुराई, आलोचना या बेकार की चर्चाएं करने से पुण्य का ह्रास होता है।

5. अनावश्यक नींद और आलस्य न करें इस दिन ज़्यादा सोना और आलस्य करना व्रत के प्रभाव को कम कर सकता है। दिन का अधिकांश समय प्रभु स्मरण और सेवा में लगाएं।

6. तुलसी पत्ता न तोड़ें एकादशी तिथि में तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित होता है। अगर पूजा में तुलसी का उपयोग करना हो तो उसे एक दिन पूर्व तोड़कर रख लें। परिवर्तिनी एकादशी केवल एक उपवास नहीं, बल्कि मन, वाणी और कर्म की पवित्रता का पर्व है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे पुण्यकर्म भी जीवन में बड़ी कृपा और संतति सुख के द्वार खोलते हैं।

divider
Published by Sri Mandir·August 28, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook