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ओणम 2025 कब है?

जानिए ओणम 2025 की तिथि, महत्व और उत्सव का सही तरीका। इस पर्व पर भगवान वामन और राजा महाबली की आराधना कर पाएं परिवार में समृद्धि, सौभाग्य और आनंद का आशीर्वाद।

ओणम पर्व के बारे में

ओणम पर्व केरल का प्रमुख त्योहार है, जो हर साल भाद्रपद मास में मनाया जाता है। यह पर्व दस दिनों तक चलता है और भगवान विष्णु के वामन अवतार तथा राजा महाबली की स्मृति से जुड़ा है। ओणम फसल उत्सव भी है, जिसमें लोग घरों को फूलों की सजावट (पुक्कलम) से सजाते हैं...

कब मनाया जायेगा ओणम का त्यौहार

नमस्कार दोस्तों! आप सभी को ओणम की शुभकामनाएं।

हमारे देश की खूबसूरती यहां के विभिन्न त्यौहारों में झलकती है। जब एक साथ कई लोग खुशियां मना रहे हों और हर तरफ केवल हर्षोल्लास का माहौल हो, तब ऐसा लगता है जैसे हमारे देश का हर गली-मोहल्ला जीवंत हो उठा है। कई अन्य चीज़ों के बीच हमारे देश की विविधता को यहां के त्यौहारों और परंपराओं में भी देखा जा सकता है।

यहां मनाए जानें वाले कई त्यौहार वैसे तो किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं, लेकिन इसी विविधता के बीच हमें केरल में एक ऐसा त्यौहार भी देखने को मिलता है, जिसका संबंध एक दैत्य से है।

हम बात कर रहे हैं ओणम की, जिसे हर वर्ष 10 दिनों तक पूरे ज़ोर-शोर से केरल में मनाया जाता है।

ओणम 2025 का शुभ मुहूर्त व तिथि

  • साल 2025 में थिरुवोणम (ओणम) 05 सितम्बर 2025, शुक्रवार को
  • थिरुवोणम् नक्षत्रम् प्रारम्भ - सितम्बर 04, 2025 को 11:44 पी एम बजे
  • थिरुवोणम् नक्षत्रम् समाप्त - सितम्बर 05, 2025 को 11:38 पी एम बजे

इस दिन के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:09 ए एम से 04:54 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:31 ए एम से 05:40 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:31 ए एम से 12:21 पी एम

विजय मुहूर्त

02:02 पी एम से 02:52 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:13 पी एम से 06:36 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:13 पी एम से 07:22 पी एम

अमृत काल

01:16 पी एम से 02:52 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:34 पी एम से 12:20 ए एम, सितम्बर 06

विशेष योग

मुहूर्त 

समय

सर्वार्थ सिद्धि योग

05:40 ए एम से 11:38 पी एम

रवि योग

11:38 पी एम से 05:40 ए एम, सितम्बर 06

क्यों मनाते हैं ओणम?

ओणम दक्षिण भारत, विशेषकर केरल का सबसे प्रमुख पर्व है। यह त्यौहार राजा महाबली की स्मृति में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेतायुग में असुरराज महाबली अत्यंत दयालु और प्रजा-वत्सल थे। उनके समय में प्रजा सुखी थी और राज्य में कोई दुख नहीं था। उनकी लोकप्रियता देखकर देवता भयभीत हो गए और भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर महाबली से उनका राज्य तीन पग भूमि में मांग लिया। वचनबद्ध राजा ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया।

भगवान विष्णु उनकी भक्ति और दानशीलता से प्रसन्न होकर उन्हें यह वरदान दिया कि वर्ष में एक बार वे अपनी प्रजा से मिलने पृथ्वी पर आ सकेंगे। इस अवसर पर केरलवासी बड़े धूमधाम से ओणम मनाते हैं।

ओणम का महत्व

  • कृतज्ञता का पर्व: यह त्यौहार भगवान विष्णु और राजा महाबली की स्मृति में आभार व्यक्त करने का प्रतीक है।
  • फसल उत्सव: यह मुख्यतः नए धान की फसल कटाई के बाद मनाया जाता है।
  • सांस्कृतिक उत्सव: इसमें कथकली नृत्य, नाव दौड़, पुष्प सज्जा (पुक्कलम) और ओणसद्या भोज जैसी पारंपरिक गतिविधियाँ होती हैं।

ओणम कहाँ और कौन से लोग मनाते हैं?

ओणम मुख्य रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है। इसके अलावा तमिलनाडु, कर्नाटक और विदेशों में बसे मलयाली लोग भी इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। यह पर्व धार्मिक से अधिक सांस्कृतिक रूप में प्रसिद्ध है, इसलिए हर समुदाय के लोग इसमें भाग लेते हैं।

ओणम के दिन किसकी पूजा करते हैं?

इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है और राजा महाबली की स्मृति में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। घरों में भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को सजाकर पूजा की जाती है।

ओणम की पूजन सामग्री लिस्ट

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र
  • चावल
  • नारियल
  • केले
  • फूल (विशेषकर गेंदे और केरल के पारंपरिक पुष्प)
  • दीपक
  • अगरबत्ती
  • कुमकुम और हल्दी
  • अक्षत (चावल)
  • पुक्कलम (फूलों की सजावट के लिए)
  • नैवेद्य के लिए ओणसद्या व्यंजन

ओणम के पूजा कैसे करें?

  • प्रातः स्नान कर घर की सफाई करें।
  • चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • चौकी पर फूलों से पुक्कलम (रंगोली) सजाएँ।
  • दीपक जलाएँ और भगवान विष्णु को नारियल, चावल, केले और पुष्प अर्पित करें।
  • भगवान को नैवेद्य के रूप में ओणसद्या व्यंजन चढ़ाएँ।
  • अंत में विष्णु मंत्रों का जाप कर पूजा का समापन करें।

ओणम मनाने के लाभ

  • घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • परिवार में प्रेम और एकता बनी रहती है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में स्थिरता आती है

ओणम के दिन क्या करने और क्या न करें

क्या करें

  • घर को साफ-सुथरा रखें और फूलों से सजाएँ।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें और ओणसद्या भोज का आयोजन करें।
  • जरुरतमंदों को दान दें।

क्या न करें

  • नकारात्मक विचार और क्रोध से बचें।
  • किसी का अपमान न करें, क्योंकि यह दिन समानता और प्रेम का प्रतीक है।
  • मांसाहार और नशे का सेवन न करें।
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Published by Sri Mandir·September 1, 2025

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