मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2025
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2025: जानिए कैसे करें इस विशेष दिन की पूजा, व्रत के महत्व और आवश्यक पूजा सामग्री के बारे में विस्तार से।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत के बारे में

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्तगण भगवान नारायण और देवी लक्ष्मी की पूजा कर धन, सुख और सौभाग्य की कामना करते हैं। पवित्र नदी में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व रहता है। व्रत रखने से मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होने की मान्यता है। यह पूर्णिमा घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा लाने वाली मानी जाती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की सम्पूर्ण जानकारी

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा तिथि का अपना अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। लेकिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को सबसे पवित्र, शुभ और पुण्यदायी पूर्णिमा माना गया है। यह पूर्णिमा न केवल व्रत और पूजा के लिए बल्कि दान, तीर्थस्नान और सत्यनारायण कथा के लिए भी विशेष रूप से श्रेष्ठ मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार, मार्गशीर्ष माह को भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना कहा गया है। स्वयं श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है - “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् “महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ।” इसी कारण यह पूर्णिमा भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और कल्याणकारी मानी जाती है।

साल 2025 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कब है?

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 04 दिसम्बर 2025, बृहस्पतिवार को होगी।
  • पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय - शाम 04 बजकर 19 मिनट पर होगा।
  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 04, 2025 को 08:37 ए एम बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - दिसम्बर 05, 2025 को 04:43 ए एम बजे

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय 

ब्रह्म मुहूर्त

04:42 ए एम से 05:35 ए एम

प्रातः सन्ध्या

05:09 ए एम से 06:29 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:27 ए एम से 12:09 पी एम

विजय मुहूर्त

01:35 पी एम से 02:17 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:05 पी एम से 05:32 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:08 पी एम से 06:28 पी एम

अमृत काल

12:48 पी एम से 02:12 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:22 पी एम से 12:15 ए एम, दिसम्बर 05

क्यों रखते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत?

इस व्रत के पीछे कई धार्मिक और आध्यात्मिक कारण बताए गए हैं -

  • इस दिन चंद्रमा का प्रभाव अत्यंत शक्तिशाली होता है, जिससे मन और शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
  • यह व्रत मन की शुद्धि, मानसिक शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करता है।
  • भगवान विष्णु का प्रिय मास होने के कारण यह व्रत विशेष पुण्य प्रदान करता है।
  • इस दिन किए गए दान और सत्यनारायण कथा से जीवन में समृद्धि आती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत का महत्व

  • शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन चन्द्रमा की किरणों से पृथ्वी पर आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।
  • इस दिन व्रत रखने से पापों का नाश, मन की शुद्धि, और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है।
  • मार्गशीर्ष माह को भगवान विष्णु, विशेषतः श्रीकृष्ण का प्रिय माह कहा गया है। अतः इस दिन की पूजा से व्यक्ति को विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन किया गया दान-स्नान सहस्त्रगुणा फल प्रदान करता है।
  • पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन की शांति और भावनात्मक स्थिरता मिलती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की पूजा कैसे करें?

पूजा करने की सामान्य प्रक्रिया -

  • प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
  • तीर्थ स्नान या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • घर के मंदिर की सफाई करें।
  • भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण या श्री सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें
  • तुलसी, चावल, फूल और प्रसाद अर्पित करें।
  • दीपक जलाकर पूजा करें और फिर सत्यनारायण कथा का पाठ करें।
  • रात्रि में चंद्रमा को जल अर्पित करें।
  • दान और सेवा करके व्रत को सार्थक बनाएं।

जानिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की सही विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें।
  • व्रत का संकल्प लें - “मैं आज मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत नियमपूर्वक सम्पन्न करूँगा।”
  • श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा, धूप-दीप, नैवेद्य और कथा करें।
  • पूरे दिन संयम और सात्विकता रखें।
  • रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • अगले दिन पारण किया जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत पर करें विशेष उपाय

  • चंद्रमा को दूध, शक्कर और जल से अर्घ्य दें।
  • सफेद वस्त्र या चावल, शक्कर, कपड़ा आदि का दान करें।
  • तुलसी को जल अर्पित करें।
  • सत्यनारायण कथा अनिवार्य रूप से करें।
  • जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
  • आर्थिक उन्नति के लिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • मन की शांति के लिए “ॐ सोम सोमाय नमः” मंत्र का जप करें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत के लाभ

  • मन की शांति और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
  • घर में समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।
  • चंद्र दोष और भावनात्मक तनाव दूर होता है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से धन, स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि होती है।
  • नकारात्मकता और पाप कर्मों का नाश होता है।
  • परिवार में सुख-समृद्धि और सौहार्द बढ़ता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत के धार्मिक अनुष्ठान

  • तीर्थ स्नान
  • सत्यनारायण पूजा और कथा
  • चंद्र पूजन
  • तुलसी पूजन
  • दान, विशेषतः वस्त्र, अन्न, शक्कर, कंबल दान
  • मंत्र-जप, ध्यान और रात्रि में चंद्र दर्शन
  • वेदों में कहा गया है - “पूर्णमास्यां दानं श्रेष्ठम्।” अर्थात पूर्णिमा के दिन किया गया दान सर्वोच्च फलदायी होता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत के दिन स्नान–दान का महत्व

  • मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तीर्थस्नान और दान का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बताया गया है।
  • शास्त्रों के अनुसार, इस दिन प्रातःकाल गंगा, यमुना, गोदावरी या किसी पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
  • यदि तीर्थ स्नान संभव न हो तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना समान फल देता है।
  • स्नान के बाद दान अवश्य करना चाहिए - अन्न, वस्त्र, दीपक, चावल, शक्कर, या दक्षिणा का दान इस दिन शुभ माना जाता है।
  • ऐसा कहा गया है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किया गया दान अक्षय फल प्रदान करता है और घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है।
  • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना या कंबल दान करना विशेष रूप से पुण्यदायी है।
  • वेदों में कहा गया है - “दानं तपो ब्रह्मचर्यं च पूर्णमास्यां विशेषतः” अर्थात् पूर्णिमा के दिन किया गया दान और तप सर्वोच्च फलदायी होता है।

इस दिन के धार्मिक कार्य और परम्पराएं

  • प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
  • गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व है। यदि नदी स्नान संभव न हो तो घर पर जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें और भगवान श्रीकृष्ण या श्री सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें।
  • सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें।
  • दीपक जलाएं और भगवान को तुलसी दल, चावल, गुड़ और दूध का भोग लगाएं।
  • चंद्रदेव को जल अर्पित करें और यह मंत्र बोलें - “ॐ सोम सोमाय नमः”
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और वस्त्र, अन्न या दक्षिणा का दान करें।
  • रात्रि में परिवार सहित चंद्रमा का दर्शन करें और आरती करें।

चंद्र दोष से मुक्ति के लिए उपाय

  • अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र दोष या मन की अशांति का योग हो, तो इस दिन विशेष रूप से चंद्रदेव की पूजा करनी चाहिए।
  • चाँदी के पात्र में दूध, शक्कर और जल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • सफेद वस्त्र धारण करें और सफेद वस्तुओं (जैसे चावल, शक्कर, कपड़ा) का दान करें।
divider
Published by Sri Mandir·December 2, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook