image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

मार्गशीर्ष मास 2024

मार्गशीर्ष मास 2024: जानें कब है शुरुआत, पूजा विधि और इस पवित्र महीने के खास लाभ!

मार्गशीर्ष मास के बारे में

मार्गशीर्ष मास का हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। यह मास भगवान श्रीकृष्ण को भी बहुत प्रिय है। मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है इसलिए इसका नाम मार्गशीर्ष कहलाया। मृगशिरा नक्षत्र का दूसरा नाम आग्रहायणी नक्षत्र है और इसी नाम पर, इस महीने को अगहन भी कहा जाता है। साधारण भाषा में इस महीने को मंगसिर कहते हैं।

कब है मार्गशीर्ष प्रारंभ

  • मार्गशीर्ष मास हिन्दू वर्ष का नौवां महीना होता है और यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अगले दिन प्रतिपदा को शुरू होता है।
  • मार्गशीर्ष के दौरान पूर्णिमा भी होती है, जिसे शुक्ल पूर्णिमा या मार्गशीर्ष पूर्णिमा भी कहते हैं।
  • इस साल यह शनिवार, 16 नवंबर 2024 को पड़ेगी और इसकी शुभ तिथि का प्रारंभ और समापन कुछ इस प्रकार है
  • पूर्णिमा प्रारंभ - 16 नवंबर 2024 रात 02:58 बजे
  • पूर्णिमा समाप्त - 16 नवंबर 2024 रात 11:50 बजे

मार्गशीर्ष प्रारंभ उत्तर का महत्व

इस महीने के आरंभ से ही सतयुग का आरंभ हुआ था। मान्यता यह भी है कि इसी मास में भगवान श्री राम जी और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ था।

भगवान श्री कृष्ण ने क्या कहा है इस माह के बारे में

भगवान श्री कृष्ण ने मार्गशीर्ष मास के बारे में कहा था, कि यह मास उनका ही स्वरूप है और उनको यह मास बहुत प्रिय है। उन्होंने यह भी कहा, “जो मनुष्य सुबह जल्दी उठ कर मार्गशीर्ष मास में स्नान ध्यान करेगा, उससे मैं प्रसन्न रहूँगा।” इसलिए इस मास में श्री कृष्ण की पूजा आराधना, ध्यान करने से मनुष्य के सभी मनोरथें पूरी होती हैं।

मार्गशीर्ष प्रारंभ उत्तर में क्या-क्या किया जाता है?

  • इस महीने प्रातः जल्दी उठकर स्नान अथवा पूजा अर्चना करने का विधान है। इसके पश्चात, भगवान के मंत्र ‘ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का जाप करना भी अति उत्तम माना गया है।
  • इस महीने में दान करना अच्छा माना गया है। सर्दी का मौसम आरंभ हो जाता है इसलिए ऊनी कपड़े, कंबल, आसन आदि दान करना अच्छा होता है। पूजा संबंधित सामग्री का दान भी किया जाता है।
  • इस माह की पूर्णिमा तिथि भी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है इसलिए इस दिन उनकी नारायण रूप में पूजा की जाती है। इसके साथ ही, व्रत रख कर भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है।
divider
Published by Sri Mandir·January 14, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
Card Image

बलराम जयंती 2025: तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा और धार्मिक जानकारी

2025 में बलराम जयंती कब मनाई जाएगी? जानिए बलराम जी के जन्म की तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, और इस दिन का धार्मिक व पौराणिक महत्व।

right_arrow
Card Image

बुध प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा विधि और महत्व

बुध प्रदोष व्रत 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व की जानकारी पाएं। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है और बुद्धवार के दिन पड़ता है।

right_arrow
Card Image

संवत्सरी पर्व 2025 कब है?

संवत्सरी पर्व 2025 कब है? क्या आप जानते हैं जैन धर्म में क्षमा याचना का यह दिन आत्मशुद्धि और अहिंसा का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है? जानें तिथि, महत्व, विधि और क्षमावाणी से जुड़ी सभी जानकारी।

right_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook