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मार्गशीर्ष मास 2025

मार्गशीर्ष मास 2025: जानें कब है शुरुआत, पूजा विधि और इस पवित्र महीने के खास लाभ!

मार्गशीर्ष मास के बारे में

मार्गशीर्ष मास का हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है। यह मास भगवान श्रीकृष्ण को भी बहुत प्रिय है। मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है इसलिए इसका नाम मार्गशीर्ष कहलाया। मृगशिरा नक्षत्र का दूसरा नाम आग्रहायणी नक्षत्र है और इसी नाम पर, इस महीने को अगहन भी कहा जाता है। साधारण भाषा में इस महीने को मंगसिर कहते हैं।

मार्गशीर्ष माह क्या है?

मार्गशीर्ष मास हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास माना गया है। इस मास की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है। मृगशिरा नक्षत्र का दूसरा नाम आग्रहायण नक्षत्र है, इसी कारण इस मास को अगहन भी कहा जाता है। आम बोलचाल में इसे मंगसिर मास के नाम से जाना जाता है। मार्गशीर्ष मास में धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

कब है मार्गशीर्ष प्रारंभ

मार्गशीर्ष मास हिन्दू वर्ष का नौवां महीना होता है और यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से अगले दिन प्रतिपदा को शुरू होता है। इस साल मार्गशीर्ष माह का प्रारंभ 06 नवंबर 2025, बृहस्पतिवार को होगा और इसकी शुभ तिथि का प्रारंभ और समापन कुछ इस प्रकार है -

  • मार्गशीर्ष माह प्रारंभ - 06 नवंबर 2025, बृहस्पतिवार को होगा।
  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 05 नवम्बर 2025, बुधवार को 06:48 पी एम बजे से
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त - 06 नवंबर 2025, बृहस्पतिवार को रात 02:58 बजे तक

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:26 ए एम से 05:17 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:51 ए एम से 06:09 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:19 ए एम से 12:04 पी एम

विजय मुहूर्त

01:32 पी एम से 02:17 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:14 पी एम से 05:40 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:14 पी एम से 06:32 पी एम

अमृत काल

01:22 ए एम, नवम्बर 07 से 02:46 ए एम, नवम्बर 07

निशिता मुहूर्त

11:16 पी एम से 12:08 ए एम, नवम्बर 07

मार्गशीर्ष प्रारंभ उत्तर का महत्व

  • इस मास के आरंभ से ही सतयुग का आरंभ हुआ था।
  • इसी मास में भगवान श्री राम और भगवान शिव का विवाह संपन्न हुआ।
  • भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि मार्गशीर्ष मास उनका स्वरूप है और यह मास उन्हें बहुत प्रिय है।
  • जो व्यक्ति इस मास में प्रातः जल्दी उठकर स्नान और ध्यान करता है, उससे भगवान प्रसन्न होते हैं और उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं।

भगवान श्री कृष्ण ने क्या कहा है इस माह के बारे में

भगवान श्री कृष्ण ने मार्गशीर्ष मास के बारे में कहा था, कि यह मास उनका ही स्वरूप है और उनको यह मास बहुत प्रिय है। उन्होंने यह भी कहा, “जो मनुष्य सुबह जल्दी उठ कर मार्गशीर्ष मास में स्नान ध्यान करेगा, उससे मैं प्रसन्न रहूँगा।” इसलिए इस मास में श्री कृष्ण की पूजा आराधना, ध्यान करने से मनुष्य के सभी मनोरथें पूरी होती हैं।

मार्गशीर्ष प्रारंभ उत्तर में क्या-क्या किया जाता है?

  • इस महीने प्रातः जल्दी उठकर स्नान अथवा पूजा अर्चना करने का विधान है। इसके पश्चात, भगवान के मंत्र ‘ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का जाप करना भी अति उत्तम माना गया है।
  • इस महीने में दान करना अच्छा माना गया है। सर्दी का मौसम आरंभ हो जाता है इसलिए ऊनी कपड़े, कंबल, आसन आदि दान करना अच्छा होता है। पूजा संबंधित सामग्री का दान भी किया जाता है।
  • इस माह की पूर्णिमा तिथि भी बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है इसलिए इस दिन उनकी नारायण रूप में पूजा की जाती है। इसके साथ ही, व्रत रख कर भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है।

मार्गशीर्ष माह प्रारंभ के दौरान क्या नहीं करना चाहिए?

  • रिसावट, झगड़ा या वाद-विवाद न करें।
  • अशुद्ध भोजन या नशीले पदार्थों का सेवन वर्जित है।
  • सांस्कृतिक और तामसिक गतिविधियों से दूर रहें – जैसे निंदा, गाली-गलौज, झूठ बोलना।
  • व्यर्थ व्यय और आलस्य से बचें।
  • अनैतिक और अधार्मिक कार्यों से दूर रहें।

मार्गशीर्ष प्रारंभ में धार्मिक उपाय व अनुष्ठान

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर या मंदिर में पूजा करें।
  • पूजा में दीप, धूप, अक्षत, फूल और फल का प्रयोग करें।
  • भगवान विष्णु/श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने अर्चना और मंत्र जाप करें।
  • दान करें
  • कपड़े, भोजन, असन, पूजा सामग्री या धन का दान करें।
  • ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराना उत्तम पुण्य लाता है।
  • व्रत और साधना
  • इस मास में प्रतिदिन ध्यान, भजन, कीर्तन और शास्त्रपाठ करें।
  • सत्य और संयम का पालन करें।
  • अमृतकाल और मुहूर्त का लाभ उठाएं
  • इस दिन विशेष मुहूर्त में पूजा करने से पुण्य और फल बढ़ जाता है।
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Published by Sri Mandir·November 4, 2025

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