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माधवाचार्य जयन्ती 2025

जानिए माधवाचार्य जयन्ती का शुभ मुहूर्त, तारीख और समय

माधवाचार्य जी की जयन्ती के बारे में

माधवाचार्य (1238-1317 ई.) भक्ति आन्दोलन के महत्वपूर्ण सन्त एवं दार्शनिक थे। हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को श्री माधव जयन्ती अथवा माधवाचार्य जयन्ती के रूप में मनाया जाता है। श्री माधवाचार्य का जन्म 1238 ई. में, भारत में कर्णाटक राज्य के उडुपी के समीप पजाका नामक स्थान पर विजयादशमी के शुभः अवसर पर हुआ था। विजयादशमी को दशहरा के रूप में भी जाना जाता है।

क्या है माधवाचार्य जयंती?

माधवाचार्य जयंती, द्वैत वेदांत दर्शन के प्रवर्तक और भक्ति आंदोलन के महान संत जगद्गुरु श्री माधवाचार्य की स्मृति में मनाई जाती है। उनका जन्म कर्नाटक के उडुपी में 1238 ईस्वी में हुआ था। इस दिन भक्तजन उनके द्वारा दिए गए ज्ञान, विचारों और शिक्षाओं का स्मरण करते हुए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

क्यों मनाई जाती है माधवाचार्य जयंती?

यह जयंती उनके अद्वितीय योगदान और द्वैतवाद दर्शन की स्मृति में मनाई जाती है। माधवाचार्य जी ने समाज को यह शिक्षा दी कि आत्मा और परमात्मा भिन्न हैं, और ईश्वर की भक्ति से ही मोक्ष प्राप्त हो सकता है। उनके द्वारा किए गए सामाजिक और धार्मिक सुधार आज भी प्रासंगिक हैं, इसलिए उनकी जयंती पूरे श्रद्धा-भाव से मनाई जाती है।

साल 2025 में कब है श्री माधवाचार्य जयन्ती?

  • श्री माधवाचार्य की यह 787वाँ जन्म वर्षगाँठ है।
  • माधवाचार्य जयन्ती 02 अक्टूबर 2025, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।
  • दशमी तिथि प्रारम्भ - 01 अक्टूबर 2025, बुधवार को 07:01 पी एम से होगा।
  • दशमी तिथि समापन - 02 अक्टूबर 2025, बृहस्पतिवार को 07:10 पी एम पर होगा।

श्री माधवाचार्य जयन्ती के दिन का पञ्चाङ्ग

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:14 ए एम से 05:02 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:38 ए एम से 05:50 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:23 ए एम से 12:11 पी एम तक

विजय मुहूर्त

01:46 पी एम से 02:33 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

05:44 पी एम से 06:08 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

05:44 पी एम से 06:56 पी एम तक

अमृत काल

11:01 पी एम से 12:38 ए एम, 03 अक्टूबर तक

निशिता मुहूर्त

11:23 पी एम से 12:11 ए एम, 03 अक्टूबर तक

रवि योग

पूरे दिन

श्री माधवाचार्य जी भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संत और द्वैत वेदांत के प्रवर्तक माने जाते हैं। इन्हें आनंदतीर्थ और पूर्णप्रज्ञ के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने एक धार्मिक सुधारक के रूप में काम किया और सनातन धर्म ग्रंथों का प्रचार-प्रसार किया। माधवाचार्य जी का जन्म विजयादशमी के पावन अवसर पर हुआ था। इसलिए उनके सम्मान में हर साल विजयादशमी को उनकी जयंती मनाई जाती है। आइए जानते हैं कि माधवाचार्य का जीवन कैसा था और उन्होंने भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए क्या-क्या कार्य किए।

माधवाचार्य जयंती का महत्व

  • यह दिन द्वैत दर्शन के प्रचार-प्रसार को याद करने का अवसर है।
  • माधवाचार्य जी ने यज्ञों में होने वाली पशुबलि का विरोध किया और समाज सुधार के लिए आवाज उठाई।
  • उनकी शिक्षाएँ आज भी भक्ति, धर्म और सदाचार के पालन के लिए प्रेरित करती हैं।
  • यह जयंती ज्ञान, भक्ति और धर्म के समन्वय का प्रतीक मानी जाती है।

कौन थे माधवाचार्य?

जन्म: 1238 ईस्वी, पजका गाँव (उडुपी, कर्नाटक) उपनाम: आनंदतीर्थ, पूर्णप्रज्ञ दर्शन: द्वैत वेदांत अनुयायी: मुख्य रूप से विष्णु भक्त, विशेषकर उडुपी कृष्ण मंदिर से जुड़े हुए।

माना जाता है कि माधवाचार्य जी वायु देव के तृतीय अवतार थे। हनुमान और भीम उनके प्रथम और द्वितीय अवतार कहे जाते हैं।

कैसे मनाई जाती है माधवाचार्य जयंती?

इस दिन दक्षिण भारत, विशेषकर कर्नाटक और उडुपी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

  • उडुपी कृष्ण मंदिर और द्वैत दर्शन के मठों में विशेष पूजा-पाठ होता है।
  • शास्त्रों का पाठ, भजन-कीर्तन और प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
  • भक्त सामूहिक रूप से भगवान विष्णु और माधवाचार्य जी की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा अर्पित करते हैं।

माधवाचार्य जयंती पर पूजा कैसे करें?

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर में भगवान विष्णु या माधवाचार्य जी की तस्वीर/प्रतिमा स्थापित करें।
  • दीपक और धूप जलाएं।
  • तुलसी पत्र, पीले पुष्प और फल अर्पित करें।
  • ”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” तथा ”ॐ माधवाचार्याय नमः” मंत्र का जप करें।
  • परिवार संग भजन-कीर्तन कर प्रसाद का वितरण करें।

माधवाचार्य जयंती के धार्मिक अनुष्ठान

  • शास्त्रों (वेद, गीता, भागवत) का पाठ करना।
  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और शिक्षा सामग्री का दान।
  • मंदिरों और मठों में सामूहिक पूजा व प्रवचन का आयोजन।
  • भगवान विष्णु और माधवाचार्य जी की आरती करना।

श्री माधवाचार्य की जीवनी

जगतगुरु माधवाचार्य का जन्म कर्नाटक के दक्षिण कन्नड जिले के उडुपी नगर में सन 1238 में हुआ था। अल्पायु में ही इन्होंने वेद पढ़ना शुरू कर दिया था और संन्यासी बन गए थे। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने “द्वैत दर्शन” नामक मठ का निर्माण किया और द्वैतवाद के प्रचार-प्रसार में लग गए।

द्वैतवाद का सिद्धांत अद्वैतवाद के विपरीत है। यह आत्मा और परमात्मा के बीच अंतर स्थापित करता है। अहम् ब्रह्मास्मि, अर्थात मैं ही ब्रह्मा हूँ, को द्वैतवाद में एक भ्रम के रूप में देखा जाता है। माधवाचार्य जी ने वेद, उपनिषद, श्रीमद्भगवद् गीता, श्रीमद्भागवतपुराण समेत कई अन्य ग्रंथों का भाष्य किया और अपनी व्याख्याओं की तार्किक स्पष्टता के लिए ‘अनुव्याख्यान’ नामक एक ग्रन्थ भी लिखा।

माधवाचार्यजी को एक समाज सुधारक के रूप में भी जाना जाता है। वह यज्ञों में होने वाली पशुबलि के खिलाफ खड़े होने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कई सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, और लोगों को सही रास्ता दिखाया। माधवाचार्य भगवान् विष्णु के अनुयायी थे। उन्होंने देश के कोने-कोने में जाकर अपने द्वैतवादी सिद्धांत की मदद से भगवान विष्णु का प्रचार किया। उन्होंने उडुपी में एक कृष्ण मंदिर का निर्माण करवाया, जो बाद में उनके अनुयायियों के लिए एक तीर्थ स्थल बन गया।

माधवाचार्य जयंती का इतिहास

माधवाचार्य जी का जन्म विजयादशमी के दिन हुआ था। उन्होंने बचपन से ही वेदाध्ययन कर लिया और युवा अवस्था में संन्यास ग्रहण किया। उन्होंने द्वैत दर्शन की स्थापना कर यह सिद्ध किया कि आत्मा और परमात्मा एक-दूसरे से भिन्न हैं। उन्होंने ”अनुव्याख्यान” ग्रंथ सहित वेद, उपनिषद और गीता पर भाष्य लिखे। वह एक महान धार्मिक सुधारक भी थे जिन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और पशुबलि का विरोध किया।

वायु देव के अवतार- माधवाचार्य

माधवाचार्य जी को वायु का तृतीय अवतार माना जाता है; हनुमान और भीम वायु के पहले और दूसरे अवतार थे। ब्रह्मा सूत्र पर अपने एक भाष्य में उन्होंने लिखा है, कि भगवान विष्णु ने स्वयं उन्हें बताया था कि वे वायु के तीसरे अवतार हैं। माधवाचार्य जी को एक अलौकिक व्यक्ति माना जाता है। वह अपनी शक्तियों से कई चमत्कार किया करते थे, जैसे बीजों को सोने के सिक्कों में बदलना; बिना गीला हुए गंगा पार करना; पैर की उंगलियों के नाखूनों से प्रकाश उत्पन्न करना, इत्यादि।

माधव नवमी

सन् 1317 में माधवाचार्य अचानक अदृश्य होकर बद्रीनाथ चले गए और फिर कभी नहीं लौटे। जिस दिन माधवाचार्य बद्री गए, उस दिन को माधव नवमी के रूप में मनाया जाता है। यह थी द्वैतवाद के प्रवर्तक श्री माधवाचार्य जी की संपूर्ण जानकारी। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आप आगे भी ऐसी अद्भुत जानकारियाँ प्राप्त करना चाहते हैं, तो श्रीमंदिर के साथ बने रहें।

माधवाचार्य जयंती के लाभ

  • इस दिन पूजा करने से ज्ञान और विवेक की प्राप्ति होती है।
  • भगवान विष्णु की कृपा से भक्ति और वैराग्य की भावना मजबूत होती है।
  • परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • यह जयंती हमें धर्म और समाज सुधार के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है।

इस प्रकार, माधवाचार्य जयंती 2025 केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि समाज में धर्म, ज्ञान और भक्ति के पुनर्जागरण का अवसर है।

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Published by Sri Mandir·September 30, 2025

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