image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

मासी मागम 2025 कब है?

मासी मागम 2025: मासी मागम के दिन पूजा और स्नान से पाएं पुण्य और आशीर्वाद। जानें तारीख और समय।

मासी मागम के बारे में

मासी मागम तमिल हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो तमिल महीने मासी (फरवरी-मार्च) की मागम नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्तगण समुद्र, नदी या पवित्र सरोवर में स्नान कर भगवान शिव, मुरुगन और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करते हैं।

मासी मागम 2025

मासी मागम एक तमिल हिन्दू त्यौहार है, जिसे 'मासी माकम' के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व, मुख्यतः दक्षिण भारतीय लोगों द्वारा मनाया जाता है। मासी मागम पर अलग-अलग तरह के अनुष्ठान और पूजा आदि करने की परंपरा है। इस दिन पवित्र नदियों या समुद्र में स्नान करना मनोवांछित फल देने वाला माना जाता है, साथ ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

मासी मागम कब है?

तमिल पंचांग के अनुसार, मासी मागम त्यौहार हर वर्ष तमिल माह 'मासी' के 'माकम नक्षत्र' में मनाया जाता है, सामान्यतः माकम नक्षत्र पूर्णिमा तिथि पर पड़ता है, किन्तु हर बार ऐसा नहीं होता है। इसलिए ऐसा कहना उचित होगा कि मासी मागम पर्व पूर्णिमा तिथि पर नहीं, बल्कि 'मघा नक्षत्र' पर आधारित होता है। माकम नक्षत्र को 'मागम नक्षत्र' एवं 'मघा नक्षत्र' भी कहा जाता है। वर्ष 2025 में ये पर्व बुधवार, 12 मार्च को पड़ रहा है।

  • मासी मागम बुधवार, 12 मार्च 2025 को
  • मागम् नक्षत्रम् प्रारम्भ - 12 मार्च, 2025 को 02:15 ए एम बजे
  • मागम् नक्षत्रम् समाप्त - 13 मार्च, 2025 को 04:05 ए एम बजे

मासी मागम कहां मनाया जाता है?

मासी मागम का त्यौहार मुख्य रूप से भारत के तमिलनाडु, केरल और पांडिचेरी में मनाया जाता है। ये पर्व कुंबकोणम और कुंडेश्वर मंदिर में पूरे विधि-विधान से मनाया जाता है। इसके अलावा सिंगापुर, थाईलैण्ड तथा इंडोनेशिया में भी भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ ये त्यौहार मनाते हैं।

मासी मागम का महत्व

  • ऐसी मान्यता है कि मासी मागम के दिन साल का सबसे शक्तिशाली 'पूर्ण चंद्र दिवस' होता है।
  • बारह वर्षों में एक बार, जब मासी मागम के दिन बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करते हैं, तब ये पर्व महा मागम के रूप में मनाया जाता है। 12 साल में एक बार आने वाला 'महा मागम' का ये संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • मासी मागम पर्व के दिन समुद्र के तट पर लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। इस दिन मन्दिरों की मूर्तियों को एक शोभायात्रा के साथ समुद्र के किनारे स्नान के लिये ले जाया जाता है।
  • इसके पश्चात् देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है व अन्य कई अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • शोभायात्रा में शामिल भक्त अपने पापों से मुक्ति पाने हेतु पवित्र जल में स्नान करते हैं।
  • इसके पश्चात् देवी-देवताओं की मूर्तियों को वापस झांकियों में मंदिर ले जाया जाता है।
  • इस दिन मंदिरों में गज पूजा (हाथी की पूजा) व अश्व पूजा (घोड़े की पूजा) करने की भी परंपरा है।

मासी मागम के लाभ

  • इस दिन पवित्र नदियों और समुद्र में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं।
  • मासी मागम के दिन सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में सभी प्रकार का सुख-सौभाग्य मिलता है।
  • इस दिन श्राद्ध एवं पितरों को तर्पण करना उपयुक्त माना जाता है, ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • इस पर्व पर पूजा-अर्चना करने से सकारात्मक शक्तियों का संचार होता है, एवं जीवन की सभी नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं।
  • मासी मागम के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने से जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, एवं मृत्यु के पश्चात् मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मासी मागम से जुड़ी कथा

मासी मागम से संबंधित एक कथा में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल में तिरुवन्नामलाई के एक राजा हुआ करते थे। वो भगवान शंकर के परम भक्त थे। राजा का जीवन समस्त सुख-सुविधाओं और धन-धान्य से परिपूर्ण था, बस दुःख इस बात का था कि उनकी कोई संतान नहीं थी।

राजा को सदैव इस बात की चिंता रहती थी कि मरणोपरांत उनकी अंत्येष्टि क्रिया किसके द्वारा की जायेगी। ऐसे में भगवान शिव ने उनके मन की व्यथा समझकर वचन दिया- हे राजन्! निराशा त्याग दो! तुम्हारी मृत्यु के उपरांत मैं स्वयं तुम्हारा अंतिम संस्कार करूंगा।

कुछ समय पश्चात् मासी मागम के दिन राजा की मृत्यु हो गई, तब अपने दिए हुए वचन के अनुसार स्वयं शिव-शम्भू ने उनकी अंत्येष्टि क्रिया की, साथ ही ये आशीर्वाद दिया कि जो भक्त 'मासी मागम' के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करेंगे, उन्हें मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होगी।

मासी मागम से संबंधित एक और कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार- एक बार कुछ ऋषि-मुनि अपने ज्ञान और विद्या पर अभिमान करने लगे थे। उन्हें ऐसा लगने लगा कि, वो सर्वज्ञाता हैं, और ऐसा समझकर मुनिगण देवताओं की उपेक्षा करने लगे। उन्होंने निर्णय किया कि अब वो ही मनुष्यों का मार्गदर्शन करेंगे, ऐसे में देवी-देवताओं की कोई आवश्यकता नहीं है। ऋषियों के इस विचार से जब भगवान शंकर अवगत हुए, तो उन्हें उन सब पर बहुत क्रोध आया और उन्होंने निश्चय किया कि ऋषियों को उनके अभिमान का बोध अवश्य कराएंगे।

इस प्रकार भगवान शिव एक दिन भिक्षुक का रूप धारण कर ऋषियों के समक्ष प्रकट हुए। अभिमान में अंधे हो चुके ऋषि उन्हें पहचान न सके और भगवान को शैतान मान उनका वध करने के लिए एक पागल हाथी भेजा। जैसे ही हाथी भिक्षुक बने भगवान शिव पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा, कि तभी वो अंतर्ध्यान हो गए।

किन्तु पुनः प्रकट होकर भगवान शिव ने उस हाथी का वध कर दिया एवं उसकी खाल धारण कर ली। ये सब देखकर ऋषियों को अपनी भूल का आभास हुआ एवं उन सबने अभिमानवश किए गए देवताओं के अपमान के लिए भगवान शिव से क्षमा-याचना की। इसी कारण इस दिन को 'गज संहार' के रूप में भी मनाया जाता है।

दोस्तों, हमें आशा है कि इस लेख के माध्यम से आपको मासी मागम संबंधित संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।

divider
Published by Sri Mandir·February 14, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:

Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.