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केदार गौरी व्रत 2025

केदार गौरी व्रत 2025: कब है ये पावन व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस व्रत से मिलने वाले अद्भुत लाभ, जो दिलाएं शिव-गौरी की असीम कृपा।

केदार गौरी व्रत के बारे में

केदार गौरी व्रत, जिसे 'केदारेश्वर व्रत' भी कहा जाता है, सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठानों में से एक है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और दक्षिण भारत में विशेष श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। 21 दिनों तक चलने वाला यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर दिवाली के दिन अमावस्या को समाप्त होता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार ये पर्व पुरत्तसी महीने में मनाया जाता है, जो कि तमिल हिंदू कैलेंडर का छठा महीना है।

साल 2025 में केदार गौरी व्रत कब है?

  • इस वर्ष केदार गौरी व्रत 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार को समापन हो रहा है।
  • केदार गौरी व्रत 01 अक्टूबर 2025, बुधवार से प्रारम्भ
  • केदार गौरी व्रत के कुल दिन - 21
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:23 ए एम से 05:14 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:48 ए एम से 06:04 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:23 ए एम से 12:08 पी एम

विजय मुहूर्त

01:39 पी एम से 02:25 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:27 पी एम से 05:52 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:27 पी एम से 06:43 पी एम

अमृत काल

03:51 पी एम से 05:38 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:21 पी एम से 12:11 ए एम, अक्टूबर 22

क्यों रखा जाता है केदार गौरी व्रत?

  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने और उनके साथ एकाकार होने के लिए 21 दिनों तक कठोर तपस्या और व्रत किया था।
  • एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता पार्वती का एक भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन होकर उनकी पूजा करने लगा और माता की उपासना छोड़ दी, तब पार्वती जी ने खिन्न होकर भगवान शिव को प्राप्त करने का संकल्प लिया।
  • उन्होंने ऋषि गौतम की शरण ली। ऋषि गौतम ने उन्हें बताया कि यदि वे 21 दिनों तक “केदारेश्वर व्रत” करेंगी, तो भगवान शिव प्रसन्न होकर उन्हें अपने अर्धांग में स्थान देंगे।
  • माता पार्वती ने नियमपूर्वक यह व्रत रखा और अंत में भगवान शिव ने अपने शरीर का बायां अंश उन्हें समर्पित किया, जिससे वे अर्धनारीश्वर कहलाए।
  • इसी घटना के स्मरण में आज भी भक्त केदार गौरी व्रत करते हैं।

केदार गौरी व्रत का महत्व

  • इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सौहार्द, प्रेम और एकता बनी रहती है।
  • भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
  • यह व्रत स्त्रियों के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है, क्योंकि इससे उन्हें अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
  • जो भक्त पूरे नियम से यह व्रत करते हैं, उनके जीवन से सभी प्रकार की बाधाएँ और दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं।
  • यह व्रत आत्मिक शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
  • केदार गौरी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति, समर्पण और एकता का प्रतीक है।
  • माता पार्वती की तरह यदि कोई भक्त पूर्ण श्रद्धा, संयम और प्रेम से यह व्रत करता है, तो भगवान शिव अवश्य प्रसन्न होकर उसे अपने आशीर्वाद से जीवनभर सुख, सौभाग्य और शांति प्रदान करते हैं।

केदार गौरी व्रत का पौराणिक महत्व

केदार गौरी व्रत से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है, जिसके अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव के शरीर का अंश बनने के लिए 21 दिनों तक कठोर तप किया था। कथा के अनुसार, माता पार्वती का एक भक्त था, जो कुछ समय बाद पार्वती जी की उपासना करना छोड़कर भगवान शिव की भक्ति करने लगा। इससे माता पार्वती नाराज हो गईं, और उन्होंने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए ऋषि गौतम की तपस्या की।

ऋषि गौतम ने उन्हें 21 दिन तक व्रत रखने का निर्देश दिया। 21 दिनों तक कठोर व्रत का पालन करने के बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर अपने शरीर का बायां अंश माता पार्वती को समर्पित किया, जिससे उन्हें अर्धनारीश्वर के रूप में जाना गया। तभी से इस व्रत की महिमा प्रचलित हुई।

मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा होती है, और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि व सौभाग्य का आगमन होता है।

कैसे करें केदार गौरी व्रत?

केदार गौरी व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक करना चाहिए। व्रत का पालन कार्तिक शुक्ल अष्टमी से दीपावली के दिन अमावस्या तक 21 दिन तक किया जाता है।

व्रत का मुख्य उद्देश्य

  • भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करना
  • वैवाहिक जीवन में सौभाग्य, प्रेम और सुख-शांति लाना
  • घर में समृद्धि, सौभाग्य और संतानों की लंबी आयु के लिए आशीर्वाद पाना

केदार गौरी व्रत पर किसकी पूजा करें?

  • भगवान शिव: व्रत में मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है।
  • माता पार्वती (गौरी): उनके बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है।
  • गणेश जी: पूजा की शुरुआत गणेश जी की वंदना से करें, ताकि सभी बाधाएं दूर हों।
  • कलश और जल: पूजन में कलश को स्थापित करना आवश्यक है, जिसे माता पार्वती और शिव की शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

केदार गौरी व्रत की पूजा विधि

व्रत के दौरान भक्त भगवान शिव और माता गौरी की आराधना करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है-

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • जल से भरे हुए कलश की स्थापना करें, और इसके चारों ओर 21 गांठों वाला धागा बांधें।
  • पूजा में चंदन, चावल, फूल, फल और 21 प्रकार के नैवेद्य भगवान को अर्पित करें।
  • भगवान शिव और माता गौरी के विशेष मंत्रों का उच्चारण करें।
  • पूजा के अंत में 21 ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा दें।
  • व्रतधारी एक दिन, यानी कार्तिक अमावस्या को, या फिर पूरे 21 दिनों तक उपवास रख सकते हैं। यदि पूर्ण उपवास न हो सके, तो फल, दूध, और दही का सेवन किया जा सकता है।
  • पूजा सम्पन्न होने के बाद परिवार के सदस्यों व अन्य भक्तों में प्रसाद बांटें।

केदार गौरी व्रत के लाभ

  • केदार गौरी व्रत भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक माना जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।
  • व्रत के दौरान की गई पूजा और उपवास से घर में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। यह व्रत परिवार में सौभाग्य और खुशहाली लाता है।
  • केदार गौरी व्रत करने से संतान प्राप्ति और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत संतान सुख और परिवार की समृद्धि के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है।
  • भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से भक्तों को अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन का वरदान मिलता है। - इसके अलावा ये व्रत करने से इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
  • केदार गौरी व्रत करके 21 ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को दान देने से समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है।

तो ये थी विशेष जानकारी ‘केदार गौरी व्रत’ के बारे में, जो भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने का एक पवित्र और प्रभावी अनुष्ठान है। ये व्रत करने से शिव पार्वती प्रसन्न होते हैं, और अपने भक्तों को सांसारिक सुख, धन-धान्य, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। हमारी कामना है ये व्रत रखने वाले सभी भक्तों को जीवन में खुशहाली, सौभाग्य और शांति मिले। ऐसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

व्रत पालन के नियम

  • व्रत 21 दिनों तक करना अनिवार्य है।
  • व्रत के दौरान अशुद्ध भोजन और मांसाहार से परहेज करें।
  • घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • प्रतिदिन केवल सात्विक आहार ग्रहण करें।
  • पूजा के दौरान मन को शुद्ध रखें और भक्ति भाव से कर्म करें।

केदार गौरी व्रत के विशेष उपाय

  • सकारात्मक वातावरण बनाएं – पूजा स्थल हमेशा स्वच्छ और पवित्र रखें।
  • दीप और धूप – पूजा में हर दिन दीपक और धूप का प्रयोग करें। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  • जल और कलश पूजन – हर दिन कलश में गंगाजल, अक्षत, हल्दी और आम के पत्ते डालकर पूजन करें।
  • सप्ताहिक ध्यान – व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के ध्यान का समय नियमित रखें।
  • दान और सेवा – व्रत के समय गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत फलदायी होता है।

केदार गौरी व्रत पर क्या करना चाहिए

  • स्नान और शुद्ध वस्त्र – प्रतिदिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा और आराधना – प्रतिदिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • मंत्र जप – मंत्रों का नियमित जप करें:
  • शिव के लिए: ॐ नमः शिवाय
  • गौरी के लिए: ॐ गौरी नमः
  • सात्विक भोजन – फल, दूध, दलहन और सात्विक आहार ग्रहण करें।
  • दीपदान और दान – दीपक जलाएं, दान करें और गंगा या नदी में जल चढ़ाएं।
  • सकारात्मक कर्म – क्रोध, नकारात्मक विचार और झगड़े से बचें।

केदार गौरी व्रत के दिन क्या न करें

मांसाहार और शराब – व्रत के दौरान मांस, मछली और मद्यपान से बचें। गंदगी और अपवित्रता – घर या पूजा स्थल को गंदा न छोड़ें। झूठ और वाद-विवाद – झूठ बोलने और अनावश्यक विवाद में न पड़ें। अशुद्ध आहार – तेल- मसाले वाले और भारी भोजन से परहेज करें। कामकाजी मानसिकता – व्रत के समय ध्यान और भक्ति से भटकने वाले कार्य न करें।

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Published by Sri Mandir·October 9, 2025

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