कमला जयंती 2025 का दिन देवी लक्ष्मी के कमला रूप की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है
कमला जयंती देवी लक्ष्मी के कमला स्वरूप की आराधना का पर्व है। इस दिन भक्त मां कमला की पूजा कर धन, सौभाग्य और समृद्धि की कामना करते हैं। पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्राप्त होती है।
श्री देवीभागवत पुराण के अनुसार, माँ पार्वती के दस तांत्रिक रुप हैं जिन्हें “महाविद्या” कहा जाता है। इन दस महाविद्याओं को उनके स्वभाव के आधार पर तीन समूहों में बांटा गया है: सौम्य कोटि, उग्र कोटि और सौम्य-उग्र कोटि। माता कमला दस महाविद्याओं में से एक हैं और वह सौम्य कोटि की श्रेणी में आती हैं।
माता कमला की जयंती हर साल मार्गशीष की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस बार कमला जयंती 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आइए इस अवसर पर हम आपको माता कमला के स्वरुप और उनकी महिमा से अवगत कराते हैं।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:19 ए एम से 05:09 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 04:44 ए एम से 05:59 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:19 ए एम से 12:05 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:37 पी एम से 02:22 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:25 पी एम से 05:51 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:25 पी एम से 06:41 पी एम |
अमृत काल | 03:51 पी एम से 05:38 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:17 पी एम से 12:08 ए एम, अक्टूबर 22 |
माता कमला समृद्धि, सम्मान और भाग्य की देवी हैं। शास्त्रों में माता के रूप को इस प्रकार वर्णित किया गया है, माता का रंग सुनहरा है, इनके कमल के समान तीन नेत्र हैं और इनकी चार भुजाएं हैं। जिनमें से एक आशीर्वाद मुद्रा में है, एक योग मुद्रा में है और दो में कमल के फूल हैं। मां ने रेशमी पोशाक पहनी है और माँ के सिर पर सोने का मुकुट है। अपने इस दिव्य स्वरुप के साथ माता कमल पर विराजमान हैं।
माता कमला की पूजा करने से दरिद्रता, रोग, दुर्भाग्य आदि से छुटकारा मिलता है। इन्हें माता लक्ष्मी का एक अंश माना जाता है, इसलिए इन्हें तांत्रिक लक्ष्मी भी कहते हैं। माता कमला जिसपर प्रसन्न होती हैं उसका घर सुख और धन-वैभव से भर देती हैं।
कमला जयंती के दिन विधि विधान से माता कमला की पूजा करनी चाहिए। इस साल कमला जयंती 20 अक्टूबर को है। आमतौर पर इस दिन तांत्रिक पूजा का विशेष महत्व होता है, लेकिन आप सामान्य तरीके से पूजा कर मां को प्रसन्न कर सकते हैं।
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