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कल्कि द्वादशी 2025 कब है?

जानिए कल्कि द्वादशी 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। इस दिन भगवान विष्णु के कल्कि स्वरूप की आराधना से जीवन में धर्म, सद्गुण और दिव्य कृपा की प्राप्ति होती है।

कल्कि द्वादशी के बारे में

कल्कि द्वादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के अवतार कल्कि को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन उपवास, दान और पूजन करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कल्कि भगवान अधर्म और अन्याय का नाश कर धर्म की स्थापना करते हैं। इस दिन विष्णु जी के साथ तुलसी पूजन का विशेष महत्व माना गया है।

2025 में कब है कल्कि द्वादशी?

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कल्कि द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि की पूजा का विधान है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान् विष्णु के दशवें अवतार के रूप में कल्कि का जन्म होगा, जिनके द्वारा कलयुग की समाप्ति होगी। आज हम आपको कल्कि अवतार से जुड़े कुछ विशेष तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं...

कल्कि द्वादशी 2025 का शुभ मुहूर्त व तिथि

  • कल्कि द्वादशी 04 सितंबर 2025, बृहस्पतिवार (भाद्रपद, शुक्ल द्वादशी) को मनाई जायेगी।
  • द्वादशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 04, 2025 को 04:21 ए एम बजे
  • द्वादशी तिथि समाप्त - सितम्बर 05, 2025 को 04:08 ए एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:08 ए एम से 04:54 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:31 ए एम से 05:40 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:32 ए एम से 12:22 पी एम

विजय मुहूर्त

02:02 पी एम से 02:53 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:14 पी एम से 06:37 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:14 पी एम से 07:22 पी एम

अमृत काल

05:10 पी एम से 06:49 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:34 पी एम से 12:20 ए एम, सितम्बर 05

क्यों मनाते हैं कल्कि द्वादशी?

कल्कि द्वादशी, भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि को समर्पित एक पावन तिथि है। शास्त्रों के अनुसार जब धरती पर पाप, अन्याय, अधर्म और कलियुग का अत्याचार चरम सीमा पर होगा, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेकर संसार का उद्धार करेंगे। कल्कि अवतार का उद्देश्य धर्म की स्थापना, पापियों का नाश और सत्ययुग की पुनर्स्थापना करना है।

यह दिन भगवान कल्कि के आविर्भाव की स्मृति में मनाया जाता है ताकि हम उनके गुणों को स्मरण कर धर्म के मार्ग पर चल सकें।

कल्कि द्वादशी का महत्व

  • धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक: यह तिथि याद दिलाती है कि जब भी अधर्म बढ़ता है, भगवान अवतार लेकर धर्म की रक्षा करते हैं।
  • भविष्य के कल्कि अवतार की आस्था: इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं कि वे कल्कि अवतार लेकर पाप का नाश करें और संसार में शांति लाएँ।
  • पापों का शमन: इस दिन व्रत एवं पूजन करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
  • सत्कर्म की प्रेरणा: कल्कि द्वादशी हमें धर्म, सत्य और न्याय की राह अपनाने की प्रेरणा देती है।

कल्कि अवतार उद्देश्य

भगवान विष्णु का कल्कि अवतार आज भी एक रहस्य बना हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार,भगवान विष्णु के नौ अवतारों का प्राकट्य हो चुका है, अब कलियुग में वे कल्कि के रूप में अपना दसवां अवतार लेंगे। ये उनका अंतिम अवतार होगा। भगवान विष्णु के इस अवतार का उद्देश्य धर्म की पुनर्स्थापना और पापियों का सर्वनाश करना रहेगा।

पुराणों में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार बहुत ही आक्रामक बताया गया है। कहा जाता है कि भगवान कल्कि देवदत्त नामक सफेद घोड़े पर सवार होकर, हाथ में तलवार लिए पापियों का संहार करने आएंगे। मान्यता है कि कल्कि अवतार होने के बाद कलियुग का अंत होगा, और सत्य युग प्रारंभ हो जाएगा।

कल्कि द्वादशी पर पूजा कैसे करें? / कल्कि द्वादशी के दिन के अनुष्ठान

कल्कि द्वादशी के दिन व्रत रखने का भी विधान है, लेकिन यदि किसी कारणवश आप व्रत नहीं रख सकते हैं, तो विधिपूर्वक पूजा करके भी भगवान कल्कि की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

  • कल्कि द्वादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • यदि आपके पास कल्कि स्परूप की तस्वीर या मूर्ति है, तो उसे करें, वरना आप भगवान विष्णु के मंदिर जाकर भी इनकी आराधना कर सकते हैं।
  • भगवान का जलाभिषेक करके उन्हें कुमकुम, अक्षत, फल व फूल अर्पित करें।
  • चंदन से भगवान का तिलक करें और उनके समक्ष घी का दीप प्रज्ज्वलित करें।
  • इसके बाद भगवान कल्कि की आरती करें, और जाने-अनजाने जीवन में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा-प्रार्थना करें।

कहां हो सकता है भगवान कल्कि का जन्म

भगवान कल्कि के जन्मस्थान की बात करें, तो धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् विष्णु के कल्कि अवतार का जन्म उत्तरप्रदेश के संभल गांव में होगा। कहा जा रहा है कि भगवान का ये अवतार एक विष्णु भक्त दंपत्ति के घर होगा। भगवान् विष्णु के राम अवतार की तरह ही कल्कि भी चार भाई होंगें, वे सब मिलकर पापियों का नाश करेंगे, और पुनः धर्म की स्थापना करेंगे।

अवतरण से पहले ही क्यों होती है कल्कि देव की पूजा

अभी भगवान विष्णु के दसवें अवतार का प्राकट्य नहीं हुआ है, लेकिन भगवान का ये एकमात्र ऐसा अवतार है, जिसकी पूजा अर्चना उनके जन्म से पहले से ही की जा रही है। पुराणों में विष्णु जी के दसवें अवतार के रूप में कल्कि के जन्म की पुष्टि की गई है। यही कारण है कि जन्म से पहले ही भगवान कल्कि की उपासना की जाती है। आपको बता दें कि कल्कि अवतार से पहले ही हमारे देश में भगवान कल्कि के कई मंदिर स्थित हैं, जहाँ बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना के लिए जाते हैं।

तो यह थी पवित्र पर्व कल्कि द्वादशी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी, हम आशा करते हैं इस दिन व्रत रखने वाले सभी भक्तों पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहे। ऐसे ही व्रत त्यौहारों से जुड़ी जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

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Published by Sri Mandir·September 1, 2025

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