2024 में दुर्गा विसर्जन की तिथि, समय, शुभ मुहूर्त और नियम जानें
जब भी मां दुर्गा का चेहरा हम सभी के बीच आता है, तो मन में एक अद्भुत श्रद्धा का अहसास होता है, क्योंकि मां दुर्गा का चेहरा इतना आकर्षक है, जिसे देखने भर से हमारे सारे दुख छुमंतर हो जाते हैं। मां दुर्गा का चेहरा जितना मनमोहक है, उतना ही उनका दिल अपार करुणा और शक्ति से भरा हुआ भी है। मां दुर्गा हिन्दू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण देवी हैं जिनकी पूजा करने की विधी से लेकर, उनका विसर्जन करने तक हर चीज का खास ध्यान रखना होता है। तो चलिए इस आर्टिकल में हम जानेंगे मां दुर्गा के विसर्जन की सही विधी के बारे में।
हिन्दू धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों को सफल बनाने के लिए नवरात्रि में दुर्गा विसर्जन दशमी तिथि को करना चाहिए। दशमी तिथि को ही विजयादशमी/दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दशहरा के दिन ही दुर्गा पूजा के नौ दिनों की प्रक्रिया का अंत होता है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन मां दुर्गा का विसर्जन करना शुभ माना जाता है।
दुर्गा विसर्जन की प्रक्रिया दशहरा के दिन होती है और इस दिन लोग दुर्गा माता की मूर्तियों को समुद्र, नदी या अन्य जलतट पर ले जाते हैं और उन्हें वहां विसर्जित करते हैं। 12 अक्टूबर दिन शनिवार को दुर्गा विसर्जन किया जाएगा।
नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग अलग नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार मां दुर्गा का विसर्जन आश्विन शुक्ल की दशमी को किया जाता है। शारदीय नवरात्रि के मौके पर दुर्गा प्रतिमाएं पंडाल में स्थापित की जाती है। फिर उन्हें दशहरे के दिन विसर्जित किया जाता है। आइये जानते हैं, दुर्गा मूर्ति विसर्जन क्यों किया जाता है और इसका महत्व क्या है ?
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस दौरान माता रानी को पूरे विधि विधान के साथ लकड़ी या फिर चांदी की चौकी पर विराजित किया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा को चौकी पर कलश और अखंड ज्योति के साथ स्थापित करना शुभ होता है। यदि आप ने भी घर में माता रानी की चौकी को स्थापित किया है, तो यह जान लें की आखिर किस दिन चौकी का हटाना है।
उम्मीद करते हैं, आपको यह लेख पसंद आया होगा। अब आप भी शुभ मुहूर्त में माता की चौकी को पूरे विधि विधान से हटा कर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए श्री मंदिर के साथ जुड़े रहें।
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