दीपावली पूजा विशेष

दीपावली पूजा विशेष

जानें दीपावली पूजन की संपूर्ण जानकारी


दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त

दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा को शुभ मुहूर्त में करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। संध्या समय में लक्ष्मी पूजन के कई मुहूर्त होते हैं, और इस वीडियो के माध्यम से हम उन सभी शुभ मुहूर्तों के बारे में आपको बताएंगे -

इस वर्ष दीपावली का महोत्सव 12 नवम्बर, रविवार को पूरे भारत में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाएगा सदियों से हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या पर दीपावली मनाई जाती है, और इस वर्ष इस शुभ दिन पर अमावस्या तिथि की अवधि 12 नवम्बर 2023 को 02 बजकर 44 मिनट से 13 नवम्बर 2023 को 02 बजकर 56 मिनट तक होगी। प्रदोष काल - 05:11 पी एम से 07:48 पी एम वृषभ काल - 05:22 पी एम से 07:19 पी एम

हम सभी अपने घरों में दीपावली पर शाम के समय माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते हैं। इस दिन पूजा का एक सामान्य मुहूर्त होता है जो इस बार 12 नवम्बर को शाम 05 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 19 मिनट तक होगा।

धनतेरस और दीपावली पर माता लक्ष्मी के विधिवत पूजन के लिए प्रदोष काल और वृषभ काल को सर्वोचित माना जाता है। प्रदोष काल के दौरान लक्ष्मी पूजन करने से सर्वोत्तम फल की प्राप्ति होती है, जिसकी अवधि सूर्यास्त के ठीक बाद लगभग ढाई घंटे तक होती है। इसके साथ ही वृषभ काल को स्थिर लग्न माना जाता है, इसीलिए इस समय भी पूजा करना शुभ फलदायी होता है। सामान्य लोगों के लिए प्रदोष काल और वृषभ काल के मुहूर्त ही उपयुक्त है।

वर्ष 2023 में दीपावली के दिन प्रदोष काल की अवधि शाम 05 बजकर 11 मिनट से 07 बजकर 48 मिनट तक होगी। और वृषभ काल की अवधि शाम 05 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 19 मिनट तक होगी।

दीपावली पूजन की सामग्री और पूजा विधि

दीपावली पर घर के बड़े-बुजुर्ग तल्लीनता से विधिवत पूजा की तैयारियों में लगे रहते हैं। श्री मंदिर आपके इस उत्साह को समझता है। आपके द्वारा की गई माता लक्ष्मी की पूजा में कोई भी त्रुटि न हो, इसीलिए हम यहां लेकर आएं हैं, दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की चरणबद्ध संपूर्ण सामग्री, जो कुछ इस प्रकार है -

चौकी स्थापना और पूजा प्रारंभ

चौकी, चौकी स्थापन के स्थान पर स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत/ आटा, चौकी को शुद्ध करने के लिए गंगाजल, चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला वस्त्र, एक तस्वीर जिसमें माता लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी भी विराजमान हो , अष्टदल कमल बनाने के किये अक्षत, कपूर, पीतल का चौमुखी दीपक (जैसा आपके पास उपलब्ध हो), घी, घंटी, पूजा की थाली।

माता लक्ष्मी के स्नान-अभिषेक के लिए (अगर आप पूजा में मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो-) शक्कर, दूध, दही, शहद, जल/ गंगाजल, पंच उपचार, रोली, रक्त चंदन, कुमकुम - हल्दी, अक्षत, पुष्प-पल्लव
लाल - पीले पुष्प, पुष्प माला, कमल का पुष्प, पंच पल्लव, पान के पत्ते, वस्त्र, मौली या कलावा, जनेऊ, चुनरी गंध - श्रृंगार, अबीर, गुलाल , मेहंदी, धुप-अगरबत्ती, मुखवास के लिए ताम्बूल, लौंग, सुपारी, इलायची, पान का पत्ता, चढ़ावा और प्रसाद,चांदी का सिक्का, सात धान्य, पांच फल, खील-बताशे (खील अर्थात चावल की धानी), सूखे मेवे, घर में बने पकवान, मिठाई, यथाशक्ति दक्षिणा

यदि इस दिन कलश स्थापना भी की जा रही है तो - नारियल, जल कलश, गंगाजल मिश्रित शुद्ध जल, जल में डालने के लिए पांच सामग्री (2-2 लौंग, इलायची, 1 हल्दी की गांठ, सिक्का, अक्षत), कलश ग्रीवा पर बांधने के लिए कलावा, आम के पत्ते, अन्य - सज्जा, क्षमतानुसर मिट्टी के दीए, दीप प्रज्वलन के लिए तेल और बाती

सरल पूजा विधि

1. साफ-सफाई: इस दिन घर की साफ-सफाई ज़रूर करें। अगर आपके पास गंगा जल है, तो उसे पूरे घर में छिड़क दें। रात में जूठे बर्तन रसोई में न छोड़ें।

2. पहने नए वस्त्र: अगर संभव हो पाए तो इस दिन नहाने के बाद, नए या फिर धुले हुए कपड़े ही पहनें।

3. घर में जलाएं 11 दीपक: जैसा कि हम सब जानते हैं कि दीपावली रोशनी और दीयो का त्योहार है, इसलिए आप कम से कम घर में 11 सरसों के तेल के दीपक जला लें। दीपक की बाती का मुख बाहर की ओर होना चाहिए।

4. दीपक जला कर करें प्रर्थना: जिन भक्तों के पास यह छोटी सी पूजा करने का समय भी नहीं है, वह केवल भगवान के समक्ष दीपक जलाकर, हाथ जोड़कर सच्चे मन से प्रार्थना कर सकते हैं। आप अपने हृदय की बातें भगवान से कहे और सुख-समृद्धि की कामना करें।

5. आसानी से कर लें पूजा: अगर आपके पास समय और संसाधनों की कमी है किसी भी कारण से, तो अपने घर के मंदिर में भी पूजा कर लें।

  • पूजा के लिए आप मंदिर को साफ कर लें।
  • वहां दीपक जलाएं।
  • भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • अक्षत और पुष्प अर्पित करें। अगर आपको कमल का फूल मिल जाता है, तो उसे ज़रूर चढ़ाएं।
  • इस दिन भोग में वैसे तो खीलें और मीठे बताशे चढ़ाने का विधान है, अगर आपको यह न मिले तो फल में केले-सेब और कोई भी मिठाई चढ़ा दें।
  • अब धूप-अगरबत्ती दिखाएं।
  • भगवान के सामने, 11 बार “ऊँ गं गणपतये नमः” और “ऊँ महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें। ये मंत्र आप श्री मंदिर पर भी सुन सकते हैं।
  • भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती उतारें।
  • सभी आरतियाँ श्री मंदिर पर उपलब्ध हैं। आप श्री मंदिर

दीपावली पर माँ लक्ष्मी को क्या-क्या चढ़ाएं?

दिवाली के उल्लास में भक्तिभाव की रसधारा को घोलने के लिए आज हम इस बात की जानकारी लेकर आए हैं कि आपको इस पावन पर्व पर माता लक्ष्मी को क्या-क्या अर्पित करना चाहिए, जिससे आपके घर में वैभव और समृद्धि का आगमन हो और आपका जीवन सभी प्रकार के सुखों से परिपूर्ण रहे।

धार्मिक साहित्य: अपने जीवन में धर्म और ज्ञान की जोत को जलाए रखने के लिए आप माता लक्ष्मी को कोई धार्मिक साहित्य भी अर्पित कर सकते हैं। यह आपके जीवन में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेगा।

गुल्लक सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली माँ लक्ष्मी को गुल्लक चढ़ाने को भी घर में समृद्धि के आगमन से जोड़कर देखा जाता है। गुल्लक चढ़ाने से, आपके घर में भी धन का संचय होगा और माँ लक्ष्मी की कृपा दृष्टि आपके और आपके परिवार पर बनी रहेगी।

कौड़ी: मान्यता है कि कौड़ी का स्वभाविक गुण, धन-आकर्षण होता है, इसलिए कौड़ियों को माँ लक्ष्मी की पूजा में अर्पित करें और फिर इसे घर में तिजोरी या धन के पास रख दें। माना जाता है इससे घर में धन की वृद्धि होती है।

कमल पुष्प या कमलगट्टे की माला: दीपावली की पूजा में कमल के पुष्प का विशेष रूप से महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि यह पुष्म माता लक्ष्मी को अतिप्रिय होता है और इसी कारण से यह पुष्प उन्हें श्रद्धापूर्वक अर्पित किया जाता है। कमल के पुष्प के साथ कमलगट्टे या उससे बनी माला को भी लक्ष्मी जी को अर्पित करना शुभकारी माना जाता है। आपको बता दें, कमलगट्टा, कमल के फल के बीज को कहते हैं।

7 मुखी रुद्राक्ष: ज्योतिष के अनुसार, माँ लक्ष्मी जी को 7 मुखी रुद्राक्ष की अधिपति देवी माना गया, इसलिए इस पूजा में इसे माँ को अर्पित करने से आप उनकी असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि इसकी उत्पत्ति भगवान शंकर के अश्रुओं से हुई हैं, इसलिए यह संसार में मौजूद सबसे पवित्र वस्तुओं में से एक है। अगर संभव हो पाए तो आप 7 मुखी रुद्राक्ष या इससे बनी माला माता को अवश्य चढ़ायें।

दक्षिणावर्ती शंख:

  • माता लक्ष्मी ने अपने हाथों में दक्षिणावर्ती शंख धारण किया हुआ है। विष्णुपुराण के अनुसार, जहां यह शंख होता है, वहीं माता लक्ष्मी भी वास करती हैं, इसलिए माता लक्ष्मी को अपने घर में स्थायी करने के लिए आप उन्हें दक्षिणावर्ती शंख अवश्य अर्पित करें।
  • अपनी क्षमता के अनुसार, इस शुभ वस्तुओं को आप माता लक्ष्मी को दीपावली की पूजा में अर्पित करने का प्रयास करें, इससे आपके जीवन में ऐश्वर्य की बढ़ोत्तरी होगी। अगर आप इन सभी वस्तुओं को अर्पित करने में सक्षम नहीं है तो आपको जो भी चीज़ें आसानी से मिल जाएं, उन्हें अर्पित कर सकते हैं। वैसे भी किसी भी पूजा में सबसे अधिक महत्व आपकी निष्ठा और भक्ति का होता है। इसलिए आप जो भी अर्पित करते हैं, माँ उससे प्रसन्न होती हैं।

दीपावली की पूजा में भोग के रूप में माता लक्ष्मी को क्या अर्पित कर सकते हैं-

-नारियल- नारियल को वैसे भी एक अत्यंत शुभ फल माना जाता है, इसे श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए आप माता को यह अवश्य अर्पित करें।

  • खील- दिवाली के ठीक पहले ही धान की फसल तैयार होती है, इस कारण लक्ष्मी जी को फसल के पहले भाग के रूप में खील अर्पित की जाती है।
  • बताशे- माँ लक्ष्मीको सफेद रंग की चीज़ों का भोग लगाने का काफी महत्व होता है, इसलिए आप चीनी के बनने वाले बताशे माँ को भोग के रूप में ज़रूर चढ़ाएं।
  • मिठाइयां- अपने भोग में अपनी इच्छा के अनुसार, मिठाइयों को ज़रूर सम्मिलित करें।
  • फल- भोग की थाली में अन्य फलों के साथ सिंघाड़े जैसे ऋतु फल भी चढ़ाएं।
  • पकवान- इन सबके अलावा आप घर में पारंपरिक रूप से बनने वाले पकवान भी माता को अर्पित करें।

दीपावली पर होने वाली 7 विभिन्न पूजाएँ

दीपावली एक ऐसा त्योहार है, जिसे हमारे देश में अलग-अलग अंदाज़ में मनाया जाता है। इस दिन अलग-अलग प्रांतों में कुछ खास तरह की पूजा होती है। चलिए हम आज उन्हीं के बारे में बात करते हैं।

चोपड़ा पूजा यह पूजा खास रूप से गुजरात में की जाती है। यहां दिवाली लक्ष्मी पूजा को चोपड़ा पूजा के रूप में जाना जाता है। गुजरात में पारम्परिक बही-खातों को चोपड़ा कहा जाता है। चोपड़ा पूजा एक धार्मिक परम्परा है, जिसमें दीवाली के दिन व्यापारी वर्ग देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर एक सफल व लाभप्रद व्यावसायिक वर्ष की प्रार्थना करते हैं। अतः दीवाली के दिन नए बही-खातों का पूजन किया जाता है। आधुनिक समय में व्यापारी चोपड़ा पूजा में बही-खातों के स्थान पर लैपटॉप रखने लगे हैं, और इनकी भी पारम्परिक रीती से पूजा की जाती है। व्यापारी चोपड़ा की जगह लैपटॉप पर ही कुमकुम से स्वास्तिक, ॐ एवं शुभ-लाभ बनाते हैं। चोपड़ा पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त को उपयुक्त माना जाता है। महाराष्ट्र और राजस्थान के कुछ व्यापारी भी चोपड़ा पूजा करते हैं।

शारदा पूजा देवी शारदा द्वारा प्रदान की गई बुद्धि देवी लक्ष्मी द्वारा प्रदत्त धन और समृद्धि को बनाए रखने के लिए जरूरी है, इसीलिए दिवाली पर माता लक्ष्मी के साथ शारदा पूजा भी की जाती है। यह पूजा भी दिवाली के दिन होती है। सभी विद्यार्थियों के लिए शारदा पूजा बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन की पूजा से माता सरस्वती उन्हें उनकी शिक्षा में सफलता का आशीर्वाद देती हैं। मां शारदा की पूजा में पुस्तकों और वाद्य यंत्रों को भी सम्मिलित किया जाता है।

केदार गौरी व्रत केदार गौरी व्रत दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला धार्मिक अनुष्ठान है, खासकर तमिलनाडु के प्रमुख हिस्सों में। यह भगवान शिव पार्वती को समर्पित 21 दिनों तक चलने वाला व्रत है, जो तमिल माह पुरत्तासी में शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होता है, और दीपावली के दिन अमावस्या पर समाप्त होता है। कई भक्त केवल अमावस्या के दिन ही इस व्रत को करते हैं। केदार गौरी व्रत को केदारेश्वर व्रत भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कई देवी-देवताओं ने मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए यह व्रत किया था।

काली पूजा दीवाली की अमावस्या को काली पूजा की जाती है, जो देवी काली को समर्पित है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में दीवाली पर लोग देवी काली की पूजा करते हैं। काली पूजा के लिए मध्यरात्रि और महानिशिता काल का समय उपयुक्त माना जाता है। काली पूजा को श्यामा पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

दिवाली दहलीज पूजा उत्तर और मध्य भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में दिवाली पर दहलीज पूजा का बहुत महत्व होता है। दहलीज घर में बुरी ऊर्जाओं को प्रवेश करने से रोकती है। दिवाली पर दहलीज का पूजन घर में सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है। इस दिन दहलीज पर बनाए गए शुभ मांगलिक चिह्न घर की सुख और समृद्धि को बढ़ाते हैं। यह पूजा सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण होती है।

तिजोरी पूजा दिवाली पर व्यापारीगण बहीखातों के साथ ही तिजोरी या लॉकर की पूजा भी करते हैं, जिसे तिजोरी पूजा कहा जाता है। तिजोरी पूजा करके माता लक्ष्मी से सदा इसमें निवास करने और अपने व्यवसाय और घर में समृद्धि की कामना की जाती है।

दीपमालिका दीपावली दीपों और रौशनी का पर्व है। इस दिन पूजा में कई मिट्टी के दीपक जलाकर उन्हें दीपमालिका के रूप में घर की दहलीज, मुंडेर और घर के अन्य सुरक्षित स्थानों पर रखा जाता हैं।

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