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बलि प्रतिपदा 2025

बलि प्रतिपदा 2025 कब है? जानें इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कैसे पाएं भगवान विष्णु का आशीर्वाद इस विशेष दिन पर।

बलि प्रतिपदा के बारे में

बलि पूजा को बलि प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है, यह पूजा कार्तिक प्रतिपदा के दिन की जाती है जो कि दीपावली पूजा के अगले दिन होती है। बलि पूजा और गोवर्धन पूजा एक ही दिन आते हैं। जहां गोवर्धन पूजा गिरिराज पर्वत और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, तो वहीं बलि पूजा दानवों के राजा बलि का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये की जाती है।

बलि प्रतिपदा क्या है?

राजा बलि को भगवान विष्णु से अमरत्व का वरदान प्राप्त है। ऐसी मान्यता है कि उनकी पूजा करने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है, साथ ही सभी कार्यों में सफलता मिलती है। राजा बलि की पूजा मुख्य रूप से दक्षिण भारत में ओणम के अवसर पर की जाती है। वहीं, उत्तर भारत में कार्तिक महीने की प्रतिपदा तिथि पर राजा बलि की पूजा करने का विशेष विधान है, जिसे बलि प्रतिपदा के नाम से जाना जाता है।

बलि प्रतिपदा पूजा शुभ मुहूर्त

  • बलि प्रतिपदा 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को है।
  • बलि पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:00 ए एम से 08:17 ए एम
  • अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट्स
  • गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को
  • बलि पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - 03:08 पी एम से 05:25 पी एम
  • अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट्स
  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 21 अक्टूबर, 2025 को 05:54 पी एम बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त - 22 अक्टूबर, 2025 को 08:16 पी एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:19 ए एम से 05:10 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:44 ए एम से 06:00 ए एम

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

विजय मुहूर्त

01:36 पी एम से 02:22 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:25 पी एम से 05:50 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:25 पी एम से 06:40 पी एम

अमृत काल

04:00 पी एम से 05:48 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:17 पी एम से 12:08 ए एम, अक्टूबर 23

क्यों मनाते हैं बलि प्रतिपदा?

माना जाता है श्री विष्णु भगवान द्वारा दिये गये वरदान के कारण, दीपावली के दौरान दानव राजा बलि की भी पूजा की जाती है। श्री विष्णु भगवान के वामन अवतार से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने दानव राजा बलि को पाताल लोक में धकेल दिया था। परन्तु, राजा बलि की उदारता के कारण, भगवान विष्णु ने उन्हें भूलोक (अर्थात पृथ्वी लोक) की यात्रा करने के लिये तीन दिन की अनुमति प्रदान की थी। ऐसी मान्यता है कि राजा बलि तीन दिनों तक पृथ्वी पर निवास करते हैं और इस अवसर पर राजा बलि अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार राजा बलि की छवि भवन या निवास स्थान के मध्य में उनकी पत्नी विन्ध्यावली के साथ बनानी चाहिये। छवि को पाँच अलग-अलग रँगों से विभूषित करना चाहिये। बलि पूजा के दौरान पाँच रंगों से विभूषित छवि की पूजा करनी चाहिये। दक्षिण भारत में, ओणम उत्सव के दौरान राजा बलि की पूजा की जाती है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि ओणम की अवधारणा उत्तर भारत में बलि पूजा के समान ही है।

बलि प्रतिपदा का महत्व

बलि प्रतिपदा के दिन दैत्यराज बलि की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बलि एक महान दानवीर थे जिन्होंने भगवान विष्णु को तीनों लोकों का दान कर दिया था। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें वैकुण्ठ में स्थान दिया और उन्हें देवताओं के समान पूजने का आशीर्वाद दिया।

बलि प्रतिपदा दान का महत्व सिखाती है। बलि के दान का गुणगान पूरे धर्मग्रंथों में किया गया है। इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। भारत के कई हिस्सों में बलि प्रतिपदा को नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन नए साल की शुरुआत मानी जाती है और लोग नए काम की शुरुआत करते हैं।

कहाँ मनाई जाती है बलि प्रतिपदा?

बलि प्रतिपदा पूरे भारत में विभिन्न रूपों में मनाई जाती है —

  • उत्तर भारत में इसे गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है।
  • दक्षिण भारत में इसे ओणम उत्सव के समान ही बलि पूजा के रूप में माना जाता है।
  • महाराष्ट्र और गुजरात में इस दिन नए वर्ष की शुरुआत मानी जाती है, जिसे "Bestu Varas" या "Padva" कहा जाता है।
  • कर्नाटक और केरल में इस दिन दैत्यराज बलि की मूर्तियाँ बनाकर पूजा की जाती है।

बलि प्रतिपदा पूजा की सामग्री सूची

बलि प्रतिपदा पूजा के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है — मुख्य पूजन सामग्री:

  • भगवान विष्णु, राजा बलि और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र
  • चौकी (पूजा के लिए)
  • स्वच्छ कपड़ा (पीला या लाल)
  • गंगाजल या शुद्ध जल
  • दीपक (घी या तेल का)
  • धूप और अगरबत्ती
  • चंदन और अक्षत (चावल)
  • पुष्प (विशेष रूप से गेंदे और कमल के फूल)
  • रोली और मौली (कलावा)
  • नारियल
  • पान, सुपारी और लौंग
  • पंचमेवा और सूखे मेवे
  • मिठाई और नैवेद्य
  • तुलसी पत्ते
  • पीला वस्त्र, दक्षिणा और दान की सामग्री

बलि प्रतिपदा की पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, और पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करें।
  • पूजा स्थल पर भगवान विष्णु, राजा बलि और गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा रखें।
  • गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के स्वरूप गोबर का एक छोटा पर्वत बनाएं, और पूजा करें।
  • धूप- दीप, अक्षत, फूल, कुमकुम, मिठाई व अनाज अर्पित करें, और भगवान के लिए अन्नकूट व छप्पन भोग बनाएं।
  • अब भगवान विष्णु व राजा बलि का ध्यान कर उन्हें अक्षत, फूल व धूप अर्पित करें, और आरती करें।
  • बलि प्रतिपदा पर गौमाता की पूजा विशेष महत्व रखती है, इसलिए इस दिन गाय को गुड़ व घास खिलाकर उसकी पूजा करें।

बलि प्रतिपदा पूजा के लाभ

दान और करुणा की प्राप्ति

  • बलि प्रतिपदा दान के महत्व को दर्शाती है। इस दिन पूजा और दान करने से करुणा, विनम्रता और त्याग की भावना बढ़ती है।

समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि

  • भगवान विष्णु और राजा बलि की पूजा करने से जीवन में स्थायी सुख, समृद्धि और धन की वृद्धि होती है।

नए आरंभ के लिए शुभ दिन

  • कई स्थानों पर बलि प्रतिपदा को नए वर्ष की शुरुआत माना जाता है। इस दिन नए कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है।

नकारात्मक शक्तियों से रक्षा

  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन की गई पूजा और दान से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और नकारात्मकता दूर होती है।

पारिवारिक सुख और एकता

  • यह पर्व परिवार के सदस्यों को एक साथ जोड़ता है, जिससे घर में प्रेम और सद्भाव बढ़ता है।

बलि प्रतिपदा के दिन किसकी पूजा करें

इस दिन मुख्य रूप से निम्न देवताओं की पूजा की जाती है —

  • भगवान विष्णु (वामन रूप में)
  • दैत्यराज बलि
  • माता लक्ष्मी
  • भगवान गोवर्धन

बलि प्रतिपदा पर किये जाने वाले उपाय

  • बलि प्रतिपदा गाय को हरी घास और गुड़ खिलाएं, और अन्य पशु पक्षियों की सेवा करें।
  • इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र व धन का दान करना विशेष लाभदायक होता है।
  • बलि प्रतिपदा के दिन जितनी हो सके दूसरों की सहायता करें, और जाने-अनजाने किसी को कोई नुकसान न पहुंचाएं।

बलि प्रतिपदा के दिन क्या करना चाहिए

  • प्रातःकाल स्नान कर पूजा स्थल को शुद्ध करें।
  • भगवान विष्णु और राजा बलि की विधिवत पूजा करें।
  • घर में दीपक जलाएं और परिवार सहित आरती करें।
  • अन्न, मिठाई और वस्त्र का दान करें।
  • इस दिन व्यापारियों द्वारा नए बही-खाते (चोपड़ा) की पूजा करने की परंपरा भी है, जो समृद्धि का प्रतीक है।
  • अपने घर में प्रसाद और भोग वितरित

बलि प्रतिपदा के दिन क्या न करें

  • इस दिन क्रोध, विवाद या अपशब्दों का प्रयोग न करें।
  • किसी भी प्रकार का मांसाहार या मद्यपान वर्जित है।
  • दूसरों की निंदा या अपमान करने से बचें, इससे पूजा का प्रभाव कम हो जाता है।
  • जरूरतमंद को खाली हाथ न लौटाएं।
  • इस दिन झूठ बोलना, चोरी या छल-कपट करना बहुत ही अशुभ माना जाता है।
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Published by Sri Mandir·October 15, 2025

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