क्या आप जानते हैं अष्टमी रोहिणी 2025 कब है? श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, व्रत, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की पूरी जानकारी यहां पाएं।
अष्टमी रोहिणी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से जुड़ा विशेष पर्व है। जब भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ते हैं, तब इसे अष्टमी रोहिणी कहा जाता है। यही संयोजन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मकाल माना जाता है।
केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में कृष्ण जन्माष्टमी को अष्टमी रोहिणी के नाम से जाना जाता है। भगवान कृष्ण के दिव्य अवतार को समर्पित ये दिन देश भर में कृष्ण जयंती, गोकुलाष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी, जन्माष्टमी, नंदोत्सव जैसे अलग अलग नामों से मनाया जाता है।
अष्टमी रोहिणी तब मनाई जाती है जब हिंदू कैलेंडर के श्रावण या भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान रोहिणी नक्षत्र होता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार, केरल में श्री कृष्ण जयंती चिंगम महीने में अष्टमी-रोहिणी संयोग पर मनाई जाती है।
साल 2025 में अष्टमी रोहिणी 14 सितंबर 2025, रविवार को मनायी जायेगी।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:10 ए एम से 04:57 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:34 ए एम से 05:43 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:29 ए एम से 12:18 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 01:57 पी एम से 02:46 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:03 पी एम से 06:26 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:03 पी एम से 07:13 पी एम तक |
अमृत काल | 11:09 पी एम से 12:40 ए एम, सितम्बर 15 तक |
निशिता मुहूर्त | 11:30 पी एम से 12:17 ए एम, सितम्बर 15 तक |
अष्टमी रोहिणी एक प्रमुख वैष्णव पर्व है जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसीलिए इस दिन को अष्टमी रोहिणी, गोकुलाष्टमी या श्री जयंती के नाम से जाना जाता है।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। विशेष रूप से बालकृष्ण के स्वरूप की पूजा करना शुभ माना जाता है। भक्त इस दिन रोहिणी नक्षत्र में जन्मे भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण कर व्रत-उपवास रखते हैं और रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण को बाल्यावस्था से ही तरह तरह के भोजन पकवान बहुत भाते थे, जिनमें से उनका सबसे प्रिय भोजन मक्खन माना जाता है। इसलिए, अष्टमी रोहिणी पूजा के दौरान, भक्त बड़ी मात्रा में मक्खन के साथ विभिन्न प्रकार के भोजन व स्वादिष्ट पकवान तैयार करते हैं और भगवान कृष्ण को भेंट करते हैं। इस दिन, बच्चों को भगवान कृष्ण की तरह ही पीतांबर वस्त्र पहनाए जाते हैं, और कई स्थानों पर श्रीकृष्ण लीला का भी आयोजन किया जाता है।
लोग अपने घर के मुख्य द्वार से पूजा कक्ष तक बालकृष्ण के पदचिन्ह बनाते हैं, और कामना करते हैं कि भगवान कृष्ण उनके घर में प्रवेश करके पूजा कक्ष में विराजमान हों। केरल के कुछ क्षेत्रों में भक्त अष्टमी रोहिणी के पूरे दिन उपवास रखते हैं, और आधी रात को इस व्रत का पारण करते हैं, क्योंकि मान्यता है कि आधी रात को ही कंस की कारागार में वसुदेव-देवकी के आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
तो दोस्तों, ये थी अष्टमी रोहिणी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। साल भर में आने वाले सभी पर्व- त्यौहार लोगों के आध्यात्मिक संबंधों को बढ़ाते हैं, जिससे भगवान के आशीर्वाद के साथ-साथ मन की भी शांति मिलती है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी एक ऐसा ही पर्व है, जो अलग-अलग तरह से पूरे देश में मनाया जाता है। हमारी कामना है कि भगवान श्रीकृष्ण आप पर अपनी कृपा बनाए रखें। व्रत त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।
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