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अन्नकूट पूजा 2025

अन्नकूट पूजा 2025 कब है? जानें शुभ मुहूर्त, विधि और भगवान को अर्पित करें विशेष भोग। इस पर्व पर पाएं उनके आशीर्वाद!

अन्नकूट पूजा के बारे में

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को, यानि दीपावली के अगले दिन अन्नकूट पर्व मनाया जाता है। अन्नकूट/ गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई। ये त्यौहार ब्रजवासियों के लिए विशेष महत्व रखता है। अन्नकूट के अवसर पर भगवान कृष्ण को छप्पन तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है, साथ ही इस दिन सामूहिक भोज भी आयोजित किया जाता है।

अन्नकूट पूजा कब है?

  • गोवर्धन पूजा बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को
  • गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - 06:00 ए एम से 08:17 ए एम
  • अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट्स
  • द्यूत क्रीड़ा बुधवार, अक्टूबर 22, 2025 को
  • गोवर्धन पूजा सायाह्नकाल मुहूर्त - 03:08 पी एम से 05:25 पी एम
  • अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट्स
  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 22, 2025 को 08:16 पी एम बजे

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:19 ए एम से 05:10 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:44 ए एम से 06:00 ए एम

अभिजित मुहूर्त

कोई नहीं

विजय मुहूर्त

01:36 पी एम से 02:22 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:25 पी एम से 05:50 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:25 पी एम से 06:40 पी एम

अमृत काल

04:00 पी एम से 05:48 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:17 पी एम से 12:08 ए एम, अक्टूबर 23

क्या है अन्नकूट पूजा?

अन्नकूट पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो दीपावली के अगले दिन, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हुए उन्हें छप्पन प्रकार के व्यंजन (छप्पन भोग) का भोग लगाया जाता है। यह पर्व गोवर्धन पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है और विशेष रूप से ब्रज क्षेत्र में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मंदिरों और घरों में विविध प्रकार के अन्न, मिठाइयाँ और पकवान बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं।

क्यों करते हैं अन्नकूट पूजा?

अन्नकूट पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है। द्वापर युग में जब व्रजवासी प्रतिवर्ष इंद्र देव की पूजा किया करते थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का उपदेश दिया। भगवान कृष्ण ने कहा कि गोवर्धन पर्वत ही हमें अन्न, जल और आश्रय प्रदान करता है। जब व्रजवासियों ने इंद्र के स्थान पर गोवर्धन पूजा की, तो इंद्र देव क्रोधित हो गए और उन्होंने प्रचंड वर्षा आरंभ कर दी। उस समय श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठिका (छोटी उंगली) पर गोवर्धन पर्वत को सात दिनों तक उठाकर पूरे ब्रज की रक्षा की। इसके बाद व्रजवासियों ने भगवान श्रीकृष्ण को धन्यवाद स्वरूप अन्नकूट पर्व मनाया और छप्पन प्रकार के पकवानों का भोग लगाया। तभी से यह परंपरा हर वर्ष इस दिन निभाई जाती है।

अन्नकूट पूजा का महत्व

अन्नकूट पूजा का धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक तीनों ही स्तरों पर विशेष महत्व है...

कृष्ण भक्ति और गोवर्धन पूजन का प्रतीक – यह दिन भक्त और भगवान के प्रेम तथा उनकी रक्षा भावना का प्रतीक है। कृतज्ञता का पर्व – इस दिन अन्न, प्रकृति, पशु और पर्वत के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है, जो जीवन के आधार हैं। समृद्धि और अन्न की वृद्धि का प्रतीक – अन्नकूट पर्व पर घर में तैयार किए गए अन्न से पूजा करने से परिवार में सुख, संपन्नता और अन्न-धन की वृद्धि होती है। सामूहिक एकता का संदेश – इस दिन समाज में सामूहिक भोज और दान की परंपरा भी निभाई जाती है, जिससे भाईचारे और सहयोग की भावना बढ़ती है। आध्यात्मिक अर्थ – “अन्नकूट” का अर्थ है ‘अन्न का पहाड़’। यह भगवान के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है — जहाँ भक्त अपने संपूर्ण प्रेम से भगवान को अर्पण करता है।

इस प्रकार, अन्नकूट पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन में प्रकृति, अन्न, पशु और भगवान के प्रति सम्मान और कृतज्ञता रखना अत्यंत आवश्यक है।

अन्नकूट पूजा के दिन किसकी पूजा करें

अन्नकूट पूजा के दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। साथ ही गौमाता (गाय), गोप-ग्वाल बाल, और प्रकृति की भी आराधना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से व्यक्ति को भगवान श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूजा के दौरान मिट्टी या गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजा की जाती है।

पूजा में निम्न देवताओं का पूजन किया जाता है

भगवान श्रीकृष्ण – गोवर्धन पूजा के मुख्य देवता गोवर्धन पर्वत – जीवन और प्रकृति के आधार का प्रतीक गौमाता – पवित्रता, समृद्धि और धर्म की प्रतीक इंद्र देव – वर्षा और कृषि समृद्धि के प्रतीक, जिन्हें अप्रत्यक्ष रूप से प्रसन्न किया जाता है प्रकृति माता – अन्न और अन्नदाता तत्वों की कृपा प्राप्त करने के लिए

अन्नकूट पूजा की पूजन सामग्री

अन्नकूट पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्रियाँ आवश्यक मानी जाती हैं। इन्हें श्रद्धा और भक्ति भाव से एकत्र कर पूजन किया जाना चाहिए —

  • गोबर या मिट्टी से बना गोवर्धन पर्वत का मॉडल
  • भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र
  • गौमाता की प्रतिमा या चित्र
  • दीपक (तेल या घी का)
  • पुष्प और माला
  • रोली, अक्षत (चावल), मौली, जल का कलश
  • धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी
  • अन्नकूट में बनाए गए पकवान (छप्पन भोग के रूप में)
  • दूध, दही, घी, शहद, शक्कर – पंचामृत के लिए
  • तुलसी पत्र – भगवान श्रीकृष्ण के भोग में अनिवार्य

पूजन के बाद गोवर्धन पर्वत की सात या ग्यारह परिक्रमा करने की परंपरा भी होती है।

अन्नकूट भोग में शामिल प्रमुख सामग्री

सब्जियां

अन्नकूट में विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियां डाली जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं —

  • आलू
  • बैंगन
  • लौकी और तोरई
  • कद्दू
  • फूलगोभी और पत्तागोभी
  • मूली
  • भिंडी
  • शिमला मिर्च
  • शकरकंद
  • कच्चा केला
  • सिंघाड़ा
  • मेथी के पत्ते

अनाज और अन्य सामग्री

  • बाजरा
  • चावल
  • पूड़ी
  • कढ़ी
  • खीर
  • मावा बाटी
  • गुजिया
  • मिठाई जैसे हलवा
  • सूजी का हलवा

विशेषताएं

  • यह एक पारंपरिक व्यंजन है जो गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) के दिन विशेष रूप से बनाया जाता है।
  • इसमें विभिन्न प्रकार की मौसमी सब्जियों का उपयोग किया जाता है, जो इसे पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाता है।
  • सब्जियां आमतौर पर उबालकर और हल्के मसालों के साथ तैयार की जाती हैं।
  • इसमें सिंघाड़ा, मेथी और कद्दू जैसी सामग्री का उपयोग शुभ और पवित्र माना जाता है।
  • अन्नकूट का यह प्रसाद भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर सभी भक्तों में प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है।

अन्नकूट पूजा कैसे करें

अन्नकूट पूजा (गोवर्धन पूजा) भगवान श्रीकृष्ण के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का पर्व है। इस दिन घर और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानें इस पूजा की संपूर्ण विधि

स्नान और शुद्धता

  • प्रातःकाल स्नान कर घर की अच्छी तरह सफाई करें। पूजा स्थल को गोबर और गंगाजल से शुद्ध करें।

गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं

  • आंगन या पूजा स्थल पर गोबर से गोवर्धन पर्वत का रूप बनाएं। इसके चारों ओर गाय, बछड़े और श्रीकृष्ण की प्रतिमाएं रखें।

दीप जलाना और सजावट

  • पूजा स्थल के चारों ओर दीपक जलाएं, फूलों और रंगोली से सजाएं।

भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करें

  • भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के समक्ष बैठें और धूप, दीप, पुष्प, फल, मिठाई, जल, और पंचामृत से उनका पूजन करें।

अन्नकूट भोग लगाना

  • विभिन्न प्रकार की सब्जियों और पकवानों से बना ‘अन्नकूट’ तैयार करें और भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाएं।

गोवर्धन की परिक्रमा करें

पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत (गोबर से बनी आकृति) की परिक्रमा करें और परिवार सहित भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें।

अन्नकूट पूजा के पूजन मंत्र

पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं —

गोवर्धन पूजा मंत्र

  • “गोवर्धनधारी देवाय नमः।”

कृष्ण पूजन मंत्र

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”

अन्नकूट अर्पण मंत्र

  • “अन्नकूटं समर्पयामि नमः।”

आरती मंत्र (आरती के समय)

  • “ॐ जय श्रीकृष्ण हरे, प्रभु जय श्रीकृष्ण हरे।”

अन्नकूट पूजा की भोग विधि

  • पहले भगवान श्रीकृष्ण को जल से स्नान कराएं और वस्त्र धारण कराएं।
  • उन्हें फूल, चंदन, तुलसी दल और मिठाई अर्पित करें।
  • उसके बाद अन्नकूट में तैयार की गई सभी सब्जियां, खीर, पूरी, मिठाई, कढ़ी और अन्य प्रसाद अर्पित करें।
  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करते हुए भगवान को छप्पन भोग लगाएं।
  • अंत में आरती करें और प्रसाद को परिवार एवं भक्तों में बांटें।

विशेष सुझाव

  • पूजा के समय पूरे परिवार का एक साथ उपस्थित रहना शुभ माना जाता है।
  • इस दिन गोमाता की सेवा करना और उन्हें हरा चारा, गुड़ या मिठाई खिलाना अत्यंत पुण्यकारी होता है।
  • अन्नकूट पूजा के बाद अन्नदान या प्रसाद वितरण करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

कैसे आरंभ हुई अन्नकूट की परंपरा?

अन्नकूट से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृंदावन में देवराज इंद्र की पूजा करने की परंपरा थी। किंतु एक बार भगवान श्री कृष्ण ने सभी व्रजवासियों को देवराज इंद्र के स्थान पर गोवर्धन पूजा करने के लिये कहा। इस प्रकार उस वर्ष वृंदावन में इंद्र की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा की गयी। उधर, जब इंद्रदेव को इस बात की जानकारी हुई, तो वे बड़े क्रोधित हुए, और वृंदावन को नष्ट करने के लिये मूसलाधार वर्षा आरंभ कर दी। इंद्रदेव के इस प्रकोप से सभी व्रजवासी भयभीत हो गये, और श्री कृष्ण से कहने लगे- हे कांधा! हमने आपके कहने पर इस बार इंद्र भगवान की पूजा नहीं की, अब हम सब इस प्रलय से कैसे बचेंगे!?

इस पर भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठिका उंगली पर उठाकर संपूर्ण ब्रज को उसके नीचे सुरक्षित किया दिया था। लगभग सात दिन तक व्रजवासी उसी पर्वत के नीचे बैठे रहे। अंत में देवराज इंद्र ने हार मान ली, और जब इस बात का आभास हुआ कि ये तो भगवान की माया है, तब उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। इस प्रकार सात दिन के उपरांत भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को पुनः पृथ्वी पर रखा। तभी से ही हर वर्ष कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पर्वत की पूजा कर अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण को छप्पन भोग लगाने का कारण

जैसा कि आपने जाना कि देवराज इंद्र के प्रकोप से व्रजवासियों की रक्षा करने के लिये श्रीकृष्ण ने लगातार सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाए रखा था। इस दौरान उन्होंने अन्न जल आदि ग्रहण नहीं किया था। सात दिनों के उपरांत एक दिन के आठ पहर के अनुसार माता यशोदा और व्रजवासियों ने उनके लिए छप्पन प्रकार के पकवान बनाये, तभी से छप्पन भोग की परंपरा चली आ रही है। वहीं इस परंपरा से जुड़ी एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु के आसन कमल की पंखुड़ियों की संख्या छप्पन होती है, इसलिये भी भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है।

छप्पन भोग कौन से हैं?

  1. भक्त (भात)
  2. सूप (दाल)
  3. प्रलेह (चटनी)
  4. सदिका (कढ़ी)
  5. दधिशाकजा (दही शाक की कढ़ी)
  6. सिखरिणी (सिखरन)
  7. अवलेह (शरबत)
  8. बालका (बाटी)
  9. इक्षु खेरिणी (मुरब्बा)
  10. त्रिकोण (शर्करा युक्त)
  11. बटक (बड़ा)
  12. मधु शीर्षक (मठरी)
  13. फेणिका (फेनी)
  14. परिष्टश्च (पूरी)
  15. शतपत्र (खजला)
  16. सधिद्रक (घेवर)
  17. चक्राम (मालपुआ)
  18. चिल्डिका (चोला)
  19. सुधाकुंडलिका (जलेबी)
  20. धृतपूर (मेसू)
  21. वायुपूर (रसगुल्ला)
  22. चन्द्रकला (पगी हुई)
  23. दधि (महारायता)
  24. स्थूली (थूली)
  25. कर्पूरनाड़ी (लौंगपूरी)
  26. खंड मंडल (खुरमा)
  27. गोधूम (दलिया)
  28. परिखा
  29. सुफलाढय़ा (सौंफ युक्त)
  30. दधिरूप (बिलसारू)
  31. मोदक (लड्डू)
  32. शाक (साग)
  33. सौधान (अधानौ अचार)
  34. मंडका (मोठ)
  35. पायस (खीर)
  36. दधि (दही)
  37. गोघृत (गाय का घी)
  38. हैयंगपीनम (मक्खन)
  39. मंडूरी (मलाई)
  40. कूपिका (रबड़ी)
  41. पर्पट (पापड़)
  42. शक्तिका (सीरा)
  43. लसिका (लस्सी)
  44. सुवत
  45. संघाय (मोहन)
  46. सुफला (सुपारी)
  47. सिता (इलायची)
  48. फल
  49. तांबूल
  50. मोहन भोग
  51. लवण
  52. कषाय
  53. मधुर
  54. तिक्त
  55. कटु
  56. अम्ल

अन्नकूट पर किए जाने वाले अन्य अनुष्ठान

अन्नकूट महोत्सव के अवसर पर मंदिरों में अनेक प्रकार पकवान बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। इसके अलावा इस दिन बलि पूजा, मार्गपाली आदि उत्सव भी मनाने की परंपरा है।

इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराकर उन्हें माला पहनाई जाती है, और धूप-चंदन आदि से उनकी पूजा की जाती है। अन्नकूट पर गौमाता को मिठाई खिलाकर उनकी आरती उतारने का विशेष महत्व है।

इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति, गाय तथा ग्वाल-बालों की प्रतिमा स्थापित करके उनकी पूजा की जाती है। इस पूजा में रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही तेल का दीप प्रज्वलन आदि सम्मिलित हैं। पूजा के अंत में परिक्रमा करने का विधान है।

तो ये थी अन्नकूट पूजा से जुड़ी विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि इस दिन आपके द्वारा किए गए सभी धार्मिक कार्य सफल हों, और भगवान श्री कृष्ण की कृपा से आपका घर धन धान्य से परिपूर्ण रहे। व्रत त्योहारों से जुड़ी धार्मिक जानकारियों के लिये जुड़े रहिये 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

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Published by Sri Mandir·October 15, 2025

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