दूसरे श्रावण सोमवार की पूजा विधि
दूसरे श्रावण सोमवार की पूजा विधि

दूसरे श्रावण सोमवार की पूजा विधि

31 जुलाई, सोमवार - जानें व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास लाखों भक्तों के शिव भक्ति में डूब जाने, व्रत उपवास करने और महादेव को प्रसन्न करने का समय होता है। ऐसा कहा जाता है कि श्रावण में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत त्यागकर पृथ्वीलोक पर निवास करते हैं। इस कारण इस मास में, विशेषकर सोमवार के दिन शिव जी की आराधना का बहुत महत्व है। इस बार अधिकमास होने के कारण 8 श्रावण सोमवार पड़ रहे हैं। लेकिन हर सोमवार का अलग शुभ मुहूर्त है और उसकी पूजा विधि भी। आइए जानते है अधिकमास का दूसरा श्रावण सोमवार कब है और उसकी तिथि क्या है।

श्रावण अधिकमास का द्वितीय सोमवार कब है?

  • श्रावण अधिकमास का द्वितीय सोमवार, 31 जुलाई को शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पड़ रहा है।
  • त्रयोदशी तिथि 30 जुलाई, रविवार को सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • त्रयोदशी तिथि 31 जुलाई, सोमवार को सुबह 07 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी।
  • आइए अब जानते हैं श्रावण अधिकमास के द्वितीय सोमवार व्रत का शुभ मुहूर्त।

श्रावण अधिकमास के द्वितीय सोमवार के शुभ मुहूर्त-

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 03 बजकर 59 मिनट से प्रातः 04 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त प्रात: 04 बजकर 20 मिनट से सुबह 05 बजकर 24 मिनट तक होगा।
  • अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम में 06 बजकर 44 मिनट से 07 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल शाम में 06 बजकर 44 मिनट से 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन अमृत काल दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 04 बजकर 07 मिनट तक रहेगा
  • विशेष योग- श्रावण अधिकमास के द्वितीय सोमवार पर रवि योग भी बन रहा है। ये योग सुबह 05 बजकर 24 मिनट से शाम 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।

तो भक्तों, यह थी अधिक मास श्रावण के द्वितीय सोमवार व्रत के शुभ मुहूर्त। आइए अब जानते हैं श्रावण के द्वितीय सोमवार व्रत के महत्व के बारे में।

श्रावण के द्वितीय सोमवार का महत्व

श्रावण मास में प्रतिदिन भगवान की पूजा व उन्हें जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। जो जातक हर दिन भोलेनाथ की उपासना ना कर सकें, वे सोमवार को व्रत रखें और शिव आराधना करें। इस व्रत में श्रावण माहात्म्य और शिव महापुराण की कथा सुनने से विशेष पुण्य फल मिलता है। कुछ जातक सोमवार के दिन निर्जल व्रत रखते हैं, और कुछ जातक फलाहार या एक समय बिना नमक का भोजन करते हैं। मान्यता है कि जो भक्त सावन सोमवार का व्रत करता है, भगवान शिव उसकी हर मनोकामना शीघ्र पूर्ण करते हैं।

तो यह थी सावन के प्रथम सोमवार के शुभ मुहूर्त, तिथि व महत्व से जुड़ी पूरी जानकारी, आगे जानते हैं सावन के द्वितीय सोमवार व्रत की पूजन विधि अर्थात श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि।

सावन सोमवार व्रत की पूजा विधि

धार्मकि मान्यताओं के अनुसार किसी भी व्रत को विधि विधान से किया जाएं तो उसका सम्पूर्ण फल प्राप्त होता है। तो आइए सावन के सोमवार व्रत की पूजा विधि जानते है और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस कल्याणकारी दिन पर ब्रह्म मुहूर्त पर उठकर भगवान भोलेनाथ का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद आप स्नान आदि करके सभी नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। तत्पश्चात् स्वच्छ कपड़े धारण करके सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें। फिर मंदिर जाकर भगवान शिव का स्मरण करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। भगवान शिव को पंचामृत अतिप्रिय है इसलिए जल के बाद आप शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें।

इसके बाद भगवान शिव को पुष्प,फल, अक्षत, भांग, धतूरा, दूध, दही, घी, शहद, चंदन,रोली, तुलसी दल, बेलपत्र आदि अर्पित करें और शिव चालीसा पढ़ें। इसके बाद महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करना इस दिन बेहद शुभ माना जाता हैं।

साथ ही घर के मंदिर में भी भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उन्हें तिलक लगाकर पूजा सामग्री और भोग अवश्य अर्पित करें। इसके बाद श्रावण सोमवार की व्रत कथा सुने और श्रद्धापूर्वक भगवान शिव की आरती उतारें। फिर उनके आशीष की कामना करें और अंत में प्रसाद वितरित करें।

आपको बता दें श्रावण के प्रथम सोमवार के व्रत का विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन फलाहार करके व्रत रखें। ध्यान रखें व्रत में नमक का सेवन बिल्कुल भी ना करें। संध्याकाल में विधिपूर्वक भगवान की पूजा पाठ करने के बाद ही व्रत का पारण कर सकते हैं।

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

समान लेख

thumbnail
गौरी हब्बा कब है?
गौरी हब्बा 2025 की तिथि, पूजन विधि, कर्नाटक की परंपराएं, व्रत के नियम और शुभ मुहूर्त की सम्पूर्ण जानकारी। यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए विशेष फलदायक माना जाता है।
thumbnail
हरतालिका तीज 2025 कब है?
हरतालिका तीज 2025 की तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा, नियम और शिव-पार्वती पूजन से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी जानें। यह व्रत सौभाग्य, प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।
thumbnail
वराह जयंती 2025 कब है?
वराह जयंती 2025 की तिथि, पूजा विधि, वराह अवतार की कथा और व्रत से जुड़ी संपूर्ण जानकारी जानें। यह दिन धर्म की रक्षा और भगवान विष्णु के शक्तिशाली स्वरूप की आराधना का प्रतीक है।
thumbnail
चंद्र दर्शन 2025 कब है?
इस पवित्र अवसर पर चंद्रमा के दर्शन का महत्व और अनुष्ठान की जानकारी प्राप्त करें।
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook