श्री राम और नवरात्री की कहानी
श्री राम और नवरात्री की कहानी

श्री राम और नवरात्री की कहानी

ऐसे जुड़ा हरी राम से नवरात्र का संबंध


श्री राम और नवरात्री की कहानी (Shree Rama Aur Navratri katha)

नवरात्रि पर्व की महिमा से तो हम सभी परिचित हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि स्वयं भगवान राम जी ने भी विजयश्री के लिए इस पावन व्रत को किया था? चलिए इस कथा के माध्यम से जानते हैं कि किस प्रकार भगवान राम जी ने इस व्रत को करके देवी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया था।

वैसे तो नवरात्रि आदिशक्ति की आराधना का उत्सव है, लेकिन हमारे धर्म ग्रंथों में नवरात्रि की एक कथा भगवान श्री राम से भी जुड़ी हुई है। श्रीमद्भभागवत के तृतीय स्कंध के 26 से 30वें अध्याय में इस कथा का वर्णन मिलता है। आइए इस रोचक और पुण्यदायनी कथा को पढ़े-

**कथा ** जब रावण ने सीताजी का हरण कर लिया था, तब राम जी बहुत दुखी हुए थे और सीता जी को ढूंढने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया था। उस दौरान वहाँ नारद जी अपनी वीणा बजाते हुये आए और प्रभु श्री राम से बोले, " हे प्रभु, मुझे पता चला है कि रावण ने माँ सीता को हर लिया है! आप विश्वास कीजिए प्रभु, ऐसा करके उसने स्वयं अपनी मृत्यु को बुलावा दिया है। आप चिंतित ना हों, मैं यहाँ आपकी सहायता के लिए आया हूँ।”

यह सुनकर श्री राम ने नारद जी से उन्हें रावण पर विजय प्राप्त करने का कोई रास्ता बताने के लिए कहा। तब वह बोले "इस आश्विन महीने में आने वाले नवरात्रि का आप व्रत रखें और माँ भगवती की पूजा करें। उनके नाम का जप करने से हर तरह की सिद्धियां प्राप्त होती हैं, अतः इस कठिन परिस्थिति में आपको यह व्रत जरूर करना चाहिए।”

श्री राम बोले, “हे मुनिवर! मैं यह नवरात्र व्रत अवश्य करूंगा, परंतु जिनका व्रत मुझे करना है, वह देवी कौन हैं और कहां से अवतरित हुईं हैं, उनके बारे में आप मुझे विस्तार से बताएं।”

नारद जी बोले “वह देवी स्वयं शक्ति स्वरूप हैं, उनकी महिमा अनंत है। वह आदि शक्ति देवी हैं, जो हर जगह हमेशा विराजमान रहती हैं और जगत का कल्याण करती हैं।" इसके पश्चात्, प्रभु श्री राम ने मुनिवर नारदजी के कहे अनुसार विधिपूर्वक इस व्रत का पालन किया।

वैदिक ग्रंथों के अनुसार, शरद ऋतु में देवताओं की रात्रि होती है और इस अवधि में माँ भगवती का शयन काल भी होता है। इसी वजह से, रात्रि एवं शयन काल में देवी-देवता जागृत नहीं होते हैं। लेकिन भगवान श्री राम की कठिन साधना और भक्तिभाव की वजह से, अष्टमी की मध्य रात्रि में ही माँ भगवती ने अपनी निंद्रा को त्यागकर, श्री राम को दर्शन दिये और उन्हें विजयी होने का वरदान दिया था।

ऐसा कहते हैं, कि देवी जी के आशीर्वाद और नवरात्रि का व्रत करने से ही भगवान श्री राम, रावण से युद्ध में सफल हुए थे। और तब से ही भक्तजन माता का आशीष प्राप्त करने के लिए इस व्रत को श्रद्धाभाव से करते हैं।

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