जानिए वृन्दावन के अनोखे श्री रंगनाथ मंदिर का इतिहास, वास्तुशिल्प विशेषताएं, पूजा-पाठ का समय और यात्रा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।
श्री रंगनाथ मंदिर वृंदावन का भव्य और दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित मंदिर है, जो भगवान विष्णु के श्री रंगनाथ स्वरूप को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अनोखी वास्तुकला, विशाल परिसर और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन और पूजा करने से भक्तों को मोक्ष और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए श्री रंगनाथ मंदिर वृंदावन का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित वृन्दावन नगरी में श्री रंगनाथ मंदिर, जिसे रंग जी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु को समर्पित एक भव्य मंदिर है। यह वृन्दावन के सबसे बड़े और प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसकी एक खास विशेषता यह है कि यहाँ पूजा दक्षिण भारतीय ब्राह्मणों द्वारा की जाती है, जिससे इसमें दक्षिण भारत की धार्मिक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
श्री रंगनाथ मंदिर की स्थापना सेठ गोबिंद दास और राधा कृष्ण ने की थी। इस मंदिर के निर्माण में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान और संत स्वामी रंगाचार्य का मार्गदर्शन लिया गया था। निर्माण कार्य 1845 में प्रारंभ हुआ और 1851 में यह मंदिर पूर्ण हुआ। इस मंदिर के निर्माण में लगभग 6 वर्ष का समय और लगभग 45 लाख रुपये की लागत लगी थी।
इस मंदिर में सातवां द्वार ‘वैकुंठ द्वार’ कहलाता है, जो केवल वर्ष में एक बार, वैकुंठ एकादशी के दिन ही खुलता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भक्त इस द्वार से प्रवेश करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मंदिर का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि यहां दक्षिण भारत के मंदिरों जैसी अनुभूति होती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार श्रीराम के राज्याभिषेक के समय विभीषण ने श्री रंगनाथ जी की मूर्ति प्राप्त कर ली थी और लंका ले जाते समय इसे एक स्थान पर रखा, जिसके बाद यह मूर्ति वहीं स्थिर हो गई और उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना हुई।
मंदिर की वास्तुकला
श्री रंगनाथ मंदिर दक्षिण भारत के श्रीरंगम मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। इसकी वास्तुकला द्रविड शैली की है, जो दक्षिण भारतीय मंदिरों की प्रमुख विशेषता है। गर्भगृह के चारों ओर पाँच आयताकार परिक्रमा पथ हैं। पूर्वी और पश्चिमी द्वार जयपुर शैली के सुंदर पत्थरों से निर्मित हैं। मंदिर के पश्चिमी द्वार पर एक लकड़ी का रथ है, जिसका उपयोग ब्रह्मोत्सव के अवसर पर किया जाता है। गर्भगृह में भगवान विष्णु (श्रीरंगनाथ) शेषनाग पर विराजमान हैं और उनके चरणों के पास माता लक्ष्मी जी उपस्थित हैं।
श्री रंगनाथ मंदिर वृन्दावन का प्रसाद
इस मंदिर में भगवान को लड्डुओं का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही फूलों से भी पूजा की जाती है।
हवाई मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा आगरा एयरपोर्ट है। वहां से टैक्सी या बस द्वारा मथुरा-वृन्दावन पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है। वहाँ से ऑटो या टैक्सी से वृन्दावन के श्री रंगनाथ मंदिर पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
मथुरा बस स्टैंड से वृन्दावन के लिए बस या ऑटो रिक्शा की सुविधा उपलब्ध है। निजी वाहन द्वारा भी मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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