क्या आप न्याय, कर्म और मृत्यु के बाद के जीवन के विषय में ज्ञान चाहते हैं? यम स्तुति से पाएं यमराज भगवान का आशीर्वाद और जीवन में संतुलन – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।
यम जिन्हें मृत्यु का देवता माना जाता है। उनकी स्तुति मृत्यु के भय को दूर करने, आत्मिक शांति पाने और जीवन के अंत के बाद सही मार्गदर्शन के लिए मदद करती है। यदि आप यम स्तुति के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं जैसे पाठ विधि, इसके फायदे आदि तो हमारे इस आर्टिकल को पढ़ें और इसके बारे में जानिए संपूर्ण जानकारी।
यम को यम देव, यमराज और काल के नाम से भी जाना जाता है। यम स्तुति यमराज की प्रशंसा का एक रूप है। इस स्तुति में उनके न्यायप्रिय स्वभाव, शक्ति और सभी प्राणियों के जीवन और मृत्यु पर नियंत्रण का वर्णन है। यम स्तुति का पाठ करने से मृत्यु के भय दूर होता है और आत्मिक शांति की प्राप्ति मिलती है।
धर्मराज नमस्तेऽस्तु साक्षाद्धर्मस्वरूपिणे।
धर्मिष्ठ शान्तरूपाय सत्यरूप नमो नमः ॥
यमाय मृत्यवे तुभ्यं कालाय च नमो नमः।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु सर्वभूतक्षयाय ते ॥
साधूनां पितृतुल्याय वचनामृतदायिने
कटकाङ्कितकेयूर हारनूपुरधारिणे ॥
दूरादेव सतो दृष्ट्वा दुराचाराद्यविप्लुतान्।
अर्चते गन्ध पुष्पाद्यैः प्रत्युत्थानासनार्हणैः॥
मध्यस्थाय नमस्तुभ्यं तत्त्वज्ञाय नमो नमः।
ददते निज सर्वस्वं साधूनां समदर्शिनाम् ॥
देवदेव नमस्तुभ्यं वेदवेदान्त वेदिने।
सत्कृतत्संकृतं पूर्वं जातं पाथेयमत्यवः॥
स्वर्लोकान्गच्छत क्षिप्रमिति संप्रियवादिने।
नमस्ते पितृरूपाय भक्तानामभयंकर ॥
कमलाकान्तभक्ताय
कमलोदरचक्षुषे।
मलोद्भव भव्याय कमलाभासक त्विषे ॥
नमो लावण्यनिधये कारुण्यवचनालय।
पापिनां घोररूपाय गर्जते दुर्जनाग्रतः ॥
दंष्ट्राकराल भ्रुकुटी भीषणानन ते नमः।
ऊर्ध्वरोम्णे महारोम्णे दीर्घरोम्णे नमो नमः ॥
घण्टारव महाचण्ड कालदण्डाय चण्डिने।
दण्ड्यान् दण्डयते नित्यमुग्रदण्डाय ते नमः ॥
कोदण्ड कालदण्डाऽसिपरश्वध वरायुधान्।
धारिणे मारिणे लोकान् पुण्यराशिस्वरूपिणे ॥
ग्रहणे सर्वलोकानां जागरूकाधिकारिणे।
दिव्यज्ञानप्रशस्ताय समस्ताङ्गायते नमः ॥
समस्तलोकवन्द्याय समस्तस्तोत्ररूपिणे।
कालाम्बुदमहानील महावृषभवाहन ॥
कल्पानल महाकील ज्वलल्लोचन ते नमः।
भयंकराय पापानां अभयाय सुधर्मिणाम् ॥
द्रवत्सुधांशु संपूर्णचन्द्रास्याय नमो नमः।
प्रलयांबुदनिर्घोषभीषयित्रेऽहदर्शिने ॥
गोभ्यां करुण्यपूर्णाभ्यां पश्यते सुकृतात्मनाम्।
तत्त्वाय तत्त्वरूपाय तत्त्वदृष्टे नमोनमः ॥
अतीवगर्जत्प्रलयाम्बुदध्वनिप्रमूर्च्छिताऽशेषदिगंतराय।
छिन्धीति भिन्धीति च चूर्णतेऽसतो वीक्ष्य विभो नमस्ते ॥
करालकायाऽतिकठोरवाचा पापिष्ठसंघं भृशभीषयित्रे।
ज्वलद्युगान्तोद्यमबाडवाग्निसमोर्ध्वरोम्णे परपीडकानाम् ॥
विषोल्बणा भीषण कृष्णसर्प दण्डाभिघाताघि विमोहयित्रे।
साधुमित्रायते शश्वन्मित्रपुत्रायते नमः ॥
शान्तगात्राय शान्तानां मेरुगोत्रसमञ्जसे।
पूजामात्रातितुष्टाय भक्ताभीष्टप्रदायिने ॥
शिपिविष्ट नमस्तेऽस्तु नमस्ते परमेष्ठिने ।
वाचा प्रीणयते साधून् पूज्यान् पूजयते नमः ॥
प्रदात्रे साधु सल्लोकं अपहर्त्रे सतां भयम् ।
धर्मशास्त्रस्वरूपाय न्यायशास्त्रार्थचक्षुषे ॥
वृकोदर नमस्तुभ्यं यमुना सोदराय च।
यमाय धर्मराजाय मृत्यवे चान्तकाय च ॥
वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय च ।
औदुंबराय दध्नाय नीलाय परमेष्ठिने ॥
वृकोदराय चित्राय चित्रगुप्ताय ते नमः।
भूयो भूयो नमस्तुभ्यं भक्तरक्षगते नमः ॥
यम स्तुति का पाठ विधि से नियमित रूप से करने से जीवन में शांति मिलती है। सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें। फिर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहन लें। फिर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और साफ कपड़ा बिछाकर मूर्ति या चित्र को स्थापित करें। अब पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें। यह कार्य करने के बाद फूल,अक्षत, चंदन, फल और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।
फिर मन को शांत करके यम देव की स्तुति का पाठ करें। ध्यान रखें कि पाठ करते समय आपके मन में कोई भी नकारात्मक विचार न आए। पाठ करने के बाद आरती, भजन करें और भोग अर्पित करें। अंत में यम देव से आशीर्वाद मांगें। ध्यान रखें किसी विशेष मुहूर्त पर पूजन करने के लिए जानकारी पंडित और विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें और फिर पूजा को विधिपूर्वक करें ताकि पूजा सही समय पर हो और अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो।
यम स्तुति का पाठ करने से कई फायदे प्राप्त होते हैं।
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