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Varuna Stuti

क्या आप जीवन में जल तत्व की शक्ति, शांति और समृद्धि चाहते हैं? वरुण स्तुति से पाएं भगवान वरुण का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।

वरुण स्तुति के बारे में

हिंदू धर्म में वरुण देव जल और आकाश के स्वामी माने जाते हैं। उन्हें न्याय सत्य और नैतिकता का देवता माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वरुण देव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति और नकारात्मक ऊर्जा का निवारण होता है। यदि आप अपने जीवन से भयभ्रम बड़ा और जल संबंधी कासन को दूर करना चाहते हैं तो वरुण स्तुति का नियमित पाठ विशेष लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

वरुण स्तुति (वरुण सूक्त)

यच्चिद्धि ते विशो यथा प्र देव वरुण व्रतम् ।

मिनीमसि द्यविद्यवि॥

मा नो वधाय हलवे जिहीळानस्य रीरधः ।

मा हृणानस्य मन्यवे॥

विमृळीकाय ते मनो रथीरश्वं न संदितम् ।

गीर्भिर्वरुण सीमहि॥

परा हि मे विमन्यवः पतन्ति वस्यइष्टये।

वयो न वसतीरुप॥

कदा क्षत्रश्रियं नरमा वरुणं करामहे ।

मृळीकायोरुचक्षसम्॥

तदित्समानमाशाते वेनन्ता न प्र युच्छतः ।

धृतव्रताय दाशुषे॥

वेदा यो वीनां पदमन्तरिक्षेण पतताम् ।

वेद नावः समुद्रियः॥

वेद मासो धृतव्रतो द्वादश प्रजावतः ।

वेदा य उपजायते॥

वेद वातस्य वर्तनिमुरोरृष्वस्य बृहतः ।

वेदा ये अध्यासते॥

नि षसाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्यास्वा ।

साम्राज्याय सुऋतु॥

अतो विश्वान्यद्भुता चिकित्वाँ अभि पश्यति ।

कृतानि या च कर्त्वा॥

स नो विश्वाहा सुऋतुरादित्यः सुपथा करत् ।

प्रण आयूंषि तारिषत्॥

बिभ्रद्रापिं हिरण्ययं वरुणो वस्त निर्णिजम् ।

परि स्पशो नि षेदिरे॥

न य दिप्सन्ति दिप्सवो न द्रुहाणो जनानाम्।

न देवमभिमातयः॥

उत यो मानुषेष्वा यशश्चक्रे असाम्या ।

अस्माकमुदरेष्वा॥

परा मे यन्ति धीतयो गावो न गव्यूतीरनु ।

इच्छन्तीरुरुचक्षसम्॥

मं नु वोचावहै पुनर्यतो मे मध्वाभृतम् ।

होतेव क्षदसे प्रियम्॥

दर्श नु विश्वदर्शतं दर्श रथमधि क्षमि ।

एता जुषत मे गिरः॥

इमं में वरुण श्रुधी हवमद्या च मृळय ।

त्वामवस्युरा चके॥

त्वं विश्वस्य मेधिर दिवश्च ग्मश्च राजसि ।

स यामनि प्रति श्रुधि॥

उदुत्तमं मुमुग्धि नो वि पाशं मध्यमं चूत ।

अवाधमानि जीवसे॥

वरुण स्तुति पाठ की विधि

वरुण स्तुति का पाठ करने के लिए आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

  • यह पाठ जल स्त्रोत यानी कुआ तालाब नदी या जल के कलश के पास बैठकर करें।
  • प्रातः काल या संध्या के समय स्तुति करना विशेष फलदायक होता है।
  • सोमवार शनिवार या पूर्णिमा के दिन वरुण स्तुति का पाठ करने का विशेष महत्व है।
  • वरुण स्तुति में प्रयोग होने वाली सामग्री की बात करें तो एक कलश में स्वच्छ जल, नीला या सफेद पुष्प, घी या तेल का दीपक, सफेद चंदन, अक्षत व भोग तैयार कर लें।
  • वरुण स्तुति का पाठ करने के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • अब सामने जल में अक्षत मिश्रित कलश रखें और वरुण देव का ध्यान करें।
  • अब वरुण देव के सम्मुख दीपक जलाएं, और पुष्प व भोग आदि अर्पित करें।
  • हाथ जोड़कर 11 या 21 बार ‘ॐ वरूणाय नमः’ मंत्र का उच्चारण करें।
  • इसके बाद संपूर्ण स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ करें।
  • पाठ पूरा होने के बाद कलश के जल को घर में छिड़कें और बचे हुए जल को तुलसी में अर्पित करें।

वरुण स्तुति के लाभ

  • वरुण स्तुति का पाठ करने से जल संबंधी दोष, जैसे जल तत्व का संतुलन, जल से भय और त्वचा संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।
  • वरुण देव की स्तुति करने से मानसिक शांति मिलती है और भाई व भ्रम दूर होता है।
  • वरुण देव की उपासना से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सकारात्मक आती है।
  • वरुण देव न्याय और सत्य के देवता माने जाते हैं उनकी कृपा से व्यक्ति के स्वाभिमान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
  • नल, बोरिंग, कुएं, तालाब आदि में बार-बार खराबी ना हो, और जल मिलने में बाधा न हो, इसके लिए वरुण स्तुति प्रभावशाली मानी जाती है।
  • वरुण स्तुति करने से जल से भय दूर होता है। ऐसे में जिन लोगों को गहरे पानी या तैरने से डर लगता है, उनके लिए यह स्तुति विशेष रूप से सहायक होती है।
  • जल तत्वों के माध्यम से ब्रह्मांड की ऊर्जा से संतुलन बनाया जा सकता है। ऐसे में जो लोग ध्यान या तपस्या करना चाहते हैं, उन्हें वरुण स्तुति करने से उनकी साधना में सहायता मिलेगी।
  • मान्यता है कि वरुण स्तुति करने से व्यक्ति को जीवन में बाधाएं, कलह, अपयश और सामाजिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।

यदि आप भी जीवन में किसी तरह के भय, भ्रम या जल संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो इस लेख में बताई गई विधि से वरुण देव की पूजा व ‘वरुण स्तुति’ जरूर करें। हमारी कामना है कि वरुण देव सदा आप पर अपनी कृपा बनाए रखें और दुखों का निवारण करें।

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Published by Sri Mandir·June 17, 2025

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