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Chandra Stuti

क्या आप मानसिक अस्थिरता, चिंता या चंद्र दोष से परेशान हैं? चंद्र स्तुति से पाएं शीतलता, भावनात्मक संतुलन और चंद्र देव का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और दिव्य लाभ।

चंद्र स्तुति के बारे में

चंद्र स्तुति चंद्र देव की महिमा का वर्णन करने वाली एक पवित्र स्तुति है, जो मन, शांति, सुंदरता और मानसिक संतुलन के प्रतीक हैं। वैदिक और पुराणिक ग्रंथों में चंद्र देव को नवग्रहों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

भगवान चंद्र: शीतलता, मन और भावनाओं के अधिष्ठाता

हिंदू धर्म में, नवग्रहों में से एक, भगवान चंद्र को मन, भावनाओं, शांति और शीतलता का प्रतीक माना जाता है। वे रात्रि के स्वामी हैं और उनकी सौम्य किरणें पृथ्वी पर अमृत वर्षा करती हैं। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति, भावनाओं और माता के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। चंद्र स्तुति का पाठ करने से चंद्रमा के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है और उनके सकारात्मक आशीर्वाद को प्राप्त किया जा सकता है

श्री चंद्र स्तुति

दधि शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।

नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुट भूषणम्॥

श्वेताम्बरः श्वेतवपुः किरीटी श्वेतद्युतिर्दण्डधरो द्विबाहुः।

चंद्रात्मको सौम्यगुणैः सुजातः शुभप्रदो मे भवतु चंद्रमाः॥

ॐ श्रियै नमः। ॐ सोम सोमाय नमः।

ॐ चंद्रमसे नमः। ॐ सुधाकराय नमः॥

नमो नमः शशकाय, नमः कलानिधये नमः।

नमो नमः शुभ्राय, नमः रजनीशाय नमः॥

रोगशोकं विनाशाय, धनधान्यं प्रदायिनम्।

आरोग्यं सुखसंपत्त्या, शांतिं देहि नमो नमः॥

शीतल रश्मि से युक्त, हे शशिदेव नमो नमः।

अज्ञान तिमिर हरण कर, ज्ञान ज्योति प्रदायिनम्॥

ग्रह पीड़ा हरणाय, दुष्ट दृष्टि निवारणम्।

जीवन सुखमय कर हे, हे सोमदेव नमो नमः॥

ॐ सोमदेवाय विद्महे, सुधाकराय धीमहि।

तन्नो चंद्रः प्रचोदयात्॥

जय चंद्र देव, जय चंद्र देव, जय ज्योतिर्मय देवा।

करो कृपा हे सोमदेव, करो हम सब की सेवा॥

चंद्र स्तुति पाठ विधि

चंद्र स्तुति का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने से इसके पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं:

  • शुद्धि और पवित्रता: पाठ शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत और एकाग्रचित्त करें।
  • स्थान का चुनाव: पूजा स्थान या एक शांत और स्वच्छ जगह का चुनाव करें। यदि संभव हो तो चंद्रमा की रोशनी जहाँ पड़ती हो, वहाँ बैठकर पाठ करें।
  • मूर्ति या चित्र स्थापना: भगवान चंद्र की एक मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि उपलब्ध न हो तो मन में उनका ध्यान कर सकते हैं।
  • दीप प्रज्वलन: एक घी का दीपक या तेल का दीपक प्रज्वलित करें। धूप और अगरबत्ती जलाएँ।
  • पुष्प और प्रसाद: भगवान चंद्र को सफेद रंग के पुष्प (जैसे चमेली, सफेद गुलाब) अर्पित करें। सफेद रंग की मिठाई, चावल से बनी खीर या दूध से बना प्रसाद चढ़ा सकते हैं।
  • संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं।
  • पाठ का समय: चंद्र स्तुति का पाठ विशेष रूप से सोमवार के दिन या चंद्रमा की होरा में करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है। शाम को या रात्रि के समय जब चंद्रमा दिखाई दे रहा हो, तब पाठ करना विशेष लाभप्रद होता है।
  • एकाग्रता: पाठ करते समय मन को पूरी तरह से भगवान चंद्र पर केंद्रित करें। स्तुति के प्रत्येक शब्द और उसके अर्थ पर ध्यान दें।
  • माला का उपयोग (वैकल्पिक): यदि आप मंत्रों का जाप कर रहे हैं, तो सफेद चंदन की माला या स्फटिक की माला का उपयोग कर सकते हैं।
  • क्षमा याचना: पाठ समाप्त होने के बाद, यदि कोई त्रुटि हुई हो तो भगवान से क्षमा याचना करें।
  • प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों और परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

चंद्र स्तुति पाठ के फायदे

चंद्र स्तुति का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को कई प्रकार के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं:

  • मानसिक शांति और स्थिरता: चंद्रमा मन का कारक है। इसकी स्तुति करने से मन शांत होता है, तनाव कम होता है और मानसिक स्थिरता आती है।
  • भावनात्मक संतुलन: यह पाठ भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति भावनात्मक रूप से संतुलित और स्थिर रहता है।
  • अनिद्रा से मुक्ति: जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है, उनके लिए यह स्तुति बहुत लाभदायक होती है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करती है।
  • माता के स्वास्थ्य में सुधार: ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को माता का कारक माना जाता है। इस स्तुति के पाठ से माता के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उनके साथ संबंध बेहतर होते हैं।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि: चंद्रमा की सकारात्मक ऊर्जा आत्मविश्वास को बढ़ाती है और व्यक्ति को निर्णय लेने में मदद करती है।
  • नकारात्मकता का नाश: यह पाठ घर और व्यक्ति के आसपास से नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है।
  • कुंडली में चंद्र दोष का निवारण: यदि किसी की कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो या चंद्र दोष हो, तो इस स्तुति का नियमित पाठ करने से उसके नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
  • सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि: चंद्रमा सौंदर्य और आकर्षण का भी कारक है। इसकी स्तुति करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में आकर्षण बढ़ता है।
  • जल संबंधी रोगों से बचाव: चंद्रमा का संबंध जल से है। इसकी स्तुति करने से जल संबंधी रोगों से बचाव होता है।
  • ज्ञान और अंतर्ज्ञान में वृद्धि: यह पाठ अंतर्ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • यात्रा में सफलता: चंद्रमा यात्रा का भी प्रतीक है। इसकी स्तुति से यात्राएँ सफल और सुखद होती हैं।

चंद्र स्तुति का पाठ केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के समग्र कल्याण के लिए एक शक्तिशाली आध्यात्मिक अभ्यास है। यह हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और चंद्रमा की दिव्य ऊर्जा का लाभ उठाने में मदद करता है।

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Published by Sri Mandir·June 11, 2025

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