ब्रह्मा स्तुति
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ब्रह्मा स्तुति (Brahma Stuti)

क्या आप ज्ञान, रचनात्मकता या मानसिक स्पष्टता की तलाश में हैं? ब्रह्मा स्तुति से पाएं सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी का आशीर्वाद जानिए इसका पाठ और दिव्य लाभ।

ब्रह्मा स्तुति के बारे में

ब्रह्मा स्तुति भगवान ब्रह्मा द्वारा श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान है। यह स्तुति श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित है, जिसमें ब्रह्मा भगवान कृष्ण की दिव्यता, लीला और सर्वशक्तिमान स्वरूप की प्रशंसा करते हैं।

ब्रह्मा स्तुति

ब्रह्मा स्तुति हिन्दू धर्म की एक महत्वपूर्ण स्तुति है, जिसमें सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी का गुणगान किया जाता है। यह स्तुति वेदों और पुराणों में वर्णित ब्रह्मा जी की दिव्य शक्तियों और संसार सृजन के उनके महान कार्यों का स्मरण कराती है। ब्रह्मा स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में ज्ञान, सृजनशीलता और नई ऊर्जा का संचार होता है। यह स्तुति विशेष रूप से विद्या, कला और रचनात्मक कार्यों में सफलता के लिए की जाती है।

ब्रह्मा स्तुति

नमोस्त्वनंताय विशुद्धचेतसे स्वरूपरूपाय सहस्रबाहवे ।

सहस्ररश्मिप्रभवाय वेधसे विशालदेहाय विशुद्धकर्मणे ।।१ ।।

समस्तविश्वार्तिहराय शंभवे समस्तसूर्यानलतिग्मतेजसे ।

नमोस्तु विद्यावितताय चक्रिणे समस्तधीस्थानकृते सदा नमः।।२ ।।

अनादिदेवाच्युत शेखरप्रभो भाव्युद्भवद्भूतपते महेश्वर ।

महत्पते सर्वपते जगत्पते भुवस्पते भुवनपते सदा नमः।।३ ।।

यज्ञेश नारायण जिष्णु शंकर क्षितीश विश्वेश्वर विश्वलोचन ।

शशांकसूर्याच्युतवीरविश्वप्रवृत्तमूर्तेमृतमूर्त अव्यय ।।४ ।।

ज्वलद्धुताशार्चि निरुद्धमंडल प्रदेशनारायण विश्वतोमुख ।

समस्तदेवार्तिहरामृताव्यय प्रपाहि मां शरणगतं तथा विभो ।।५ ।।

वक्त्राण्यनेकानि विभो तवाहं पश्यामि यज्ञस्य गतिं पुराणम् ।

ब्रह्माणमीशं जगतां प्रसूतिं नमोस्तु तुभ्यं प्रपितामहाय ।।६ ।।

संसारचक्रक्रमणैरनेकैः क्वचिद्भवान्देववराधिदेवः ।

तत्सर्वविज्ञानविशुद्धसत्वैरुपास्यसे किं प्रणमाम्यहं त्वाम् ।।७ ।।

एवं भवंतं प्रकृतेः पुरस्ताद्यो वेत्त्यसौ सर्वविदां वरिष्ठः ।

गुणान्वितेषु प्रसभं विवेद्यो विशालमूर्तिस्त्विह सूक्ष्मरूपः ।।८।।

वाक्पाणिपादैर्विगतेन्द्रियोपि कथं भवान्वै सुगतिस्सुकर्मा ।

संसारबंधे निहितेंद्रियोपि पुनः कथं देववरोसि वेद्यः ।।९ ।।

मूर्त्तादमूर्त्तं न तु लभ्यते परं परं वपुर्देवविशुद्धभावैः ।

संसारविच्छित्तिकरैर्यजद्भिरतोवसीयेत चतुर्मुख त्वम् ।।१०।।

परं न जानंति यतो वपुस्ते देवादयोप्यद्भुतरूपधारिन् ।

विभोवतारेग्रतरं पुराणमाराधयेद्यत्कमलासनस्थम् ।।११।।

न ते तत्त्वं विश्वसृजोपि योनिमेकांततो वेत्ति विशुद्धभावः ।

परं त्वहं वेद्मि कथं पुराणं भवंतमाद्यं तपसा विशुद्धम् ।।१२ ।।

पद्मासनो वै जनकः प्रसिद्ध एवं प्रसिद्धिर्ह्यसकृत्पुराणात् ।

संचिंत्य ते नाथ विभुं भवंतं जानाति नैवं तपसाविहीनः ।।१३ ।।

अस्मादृशैश्च प्रवरैर्विबोध्यं त्वां देवमूर्खाः स्वमतिं विभज्य ।

प्रबोद्धुमिच्छन्ति न तेषु बुद्धिरुदारकीर्तिष्वपि वेदहीनाः ।।१४ ।।

जन्मांतरैर्वेद विवेकबुद्धिभिर्भवेद्यथा वा यदि वा प्रकाशः ।

तल्लाभलुब्धस्य न मानुषत्वं न देवगंधर्वपतिः शिवः स्यात् ।।१५ ।।

न विष्णुरूपो भगवान्सुसूक्ष्मः स्थूलोसि देवः कृतकृत्यतायाः ।

स्थूलोपि सूक्ष्मः सुलभोसि देव त्वद्बाह्यकृत्या नरकेपतंति ।।१६ ।।

विमुच्यते वा भवति स्थितेस्मिन्दस्रेन्दुवह्न्यर्कमरुन्महीभिः ।

तत्वैः स्वरूपैः समरूपधारिभिरात्मस्वरूपे वितत स्वभावः ।।१७ ।।

इति स्तुतिं मे भगवन्ह्यनंत जुषस्व भक्तस्य विशेषतश्च ।

समाधियुक्तस्य विशुद्धचेतसस्त्वद्भावभावैकमनोनुगस्य ।।१८ ।।

सदा हृदिस्थो भगवन्नमस्ते नमामि नित्यं भगवन्पुराण ।

इति प्रकाशं तव मे तदीशस्तवं मया सर्वगतिप्रबुद्ध ।।१९।।

संसारचक्रे भ्रमणादियुक्ता भीतिं पुनर्नः प्रतिपालयस्व ।।२० ।।

ब्रह्मा स्तुति पाठ विधि

  • स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें - ब्रह्मा जी का पूजन शुद्धता के साथ किया जाता है। सुबह के समय स्नान के बाद उत्तम माना जाता है।
  • पूजन स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें - यह दिशा सकारात्मक ऊर्जा देती है।
  • ब्रह्मा जी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें - कमल पुष्प, दूर्वा और चंदन अर्पित करें।
  • दीपक और धूप जलाएं - वातावरण को पवित्र और ऊर्जा से भरने के लिए।
  • ॐ ब्रह्मणे नमः का जप करें - कम से कम 108 बार माला से जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है।
  • ब्रह्मा स्तुति का पाठ करें - मन शांत और एकाग्र रखते हुए पूरे श्रद्धा भाव से स्तुति पढ़ें।
  • अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें - परिवार या आस-पास के लोगों में प्रसाद बांटना शुभफलदायक होता है।

ब्रह्मा स्तुति पाठ के फायदे

  • बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि - ब्रह्मा जी ज्ञान के देवता हैं। उनका पाठ करने से स्मरण शक्ति और मानसिक क्षमता बढ़ती है।
  • रचनात्मकता और नई सोच का विकास - कला, लेखन, संगीत, विज्ञान आदि क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के लिए यह स्तुति विशेष लाभकारी है।
  • विद्यार्थियों के लिए शुभफलदायक - पढ़ाई में मन लगाना, परीक्षा में सफलता और प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त होती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा और मन की शांति - रोजाना पाठ करने से मन शांत रहता है और चिंता दूर होती है।
  • नए कार्यों में सफलता - व्यवसाय शुरू करने या कोई नया प्रोजेक्ट आरंभ करने से पहले ब्रह्मा स्तुति का पाठ शुभ माना जाता है।
  • घर-परिवार में सुख-शांति - घर में नियमित पाठ करने से पारिवारिक कलह दूर होते हैं और आपसी प्रेम बढ़ता है।
  • कर्मों में निपुणता - ब्रह्मा जी की कृपा से व्यक्ति अपने कर्मों में दक्ष बनता है और कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।
  • सृष्टि और प्रकृति के साथ सामंजस्य - यह स्तुति व्यक्ति को प्राकृतिक ऊर्जा से जोड़ती है और प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखती है।
  • सप्ताह में गुरुवार विशेष शुभ - गुरुवार के दिन ब्रह्मा जी का पूजन और स्तुति करने से दोगुना फल मिलता है।
  • अध्यात्मिक उन्नति में सहायक - साधना और योग में रुचि रखने वालों के लिए यह स्तुति चेतना को ऊंचा करने में सहायक है।
  • अज्ञान और भ्रांति का नाश - नकारात्मक विचारों और गलतफहमियों से छुटकारा मिलता है।
  • धन और समृद्धि में वृद्धि - ब्रह्मा जी की कृपा से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
  • कार्य में रुकावटें दूर होती हैं - पाठ के नियमित अभ्यास से रुके हुए काम बनने लगते हैं।
  • संतान प्राप्ति में सहायक - संतान की इच्छा रखने वालों के लिए भी ब्रह्मा स्तुति का पाठ शुभ माना गया है।
  • संपूर्ण जीवन में संतुलन - यह स्तुति शरीर, मन और आत्मा तीनों में संतुलन स्थापित करती है।

निष्कर्ष

ब्रह्मा स्तुति न केवल ज्ञान और सृजन का स्रोत है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। यदि आप जीवन में नई ऊर्जा, सफलता और शांति पाना चाहते हैं तो ब्रह्मा जी की स्तुति को अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें।

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Published by Sri Mandir·June 13, 2025

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