तुलसी विवाह मंगलाष्टक

तुलसी विवाह मंगलाष्टक

पढ़ें रोग-दोष से मुक्ति के लिए


तुलसी विवाह मंगलाष्टक (Tulsi Vivah Mangalashtak)

हिंदू धर्म में तुलसी माता की पूजा का महत्व किसी देवी देवता की पूजा अर्चना से कम नहीं है। हिंदू घरों में तुलसी का पौधा मुख्य रूप से लगाया जाता है। तुलसी का न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्व है बल्कि आयुर्वेद में भी तुलसी का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके पत्ते, जड़ और बीज सभी गुणों से भरपूर होते हैं। सनातन धर्म में तुलसी जी को देवी का रूप माना जाता है। तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। कहते हैं कि जिस घर में रोजाना तुलसी जी की पूजा होती है, उस घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती है।

तुलसी जी भगवान विष्णु जी को अति प्रिय है। कार्तिक मास में देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवोत्थान एकादशी के दिन माता तुलसी का भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ विवाह हुआ था। इसलिए कहते हैं कि इस दिन जो भी विधि विधान से तुलसी विवाह का आयोजन करता है, उसे कन्यादान के बराबर ही फल प्राप्त होता है। तुलसी विवाह में पूजन के साथ तुलसी मंगलाष्टक का पाठ अवश्य किया जाता है। मंगलाष्टक के इन मन्त्रों में सभी श्रेष्ठ शक्तियों से मंगलमय वातावरण, मंगलमय भविष्य के निर्माण की प्रार्थना की जाती है।

तुलसी विवाह मंगलाष्टक का महत्व (Importance of Tulsi Vivah Mangalashtak)

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह को बहुत ही पुण्य का काम माना जाता है। तुलसी के पौधे को लाल चुनरी ओढ़ाई जाती है। साथ ही 16 श्रृंगार का सामान भी चढ़ाया जाता है। भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम और तुलसी जी को हाथ में उठाकर फेरे लगवाए जाते हैं। इस दौरान तुलसी विवाह मंगलाष्टक गाया जाता है। कहते हैं कि तुलसी विवाह मंगलाष्टक भगवान श्री विष्णु जी के भक्तों के लिए एक अनुपम उपहार की तरह है। तुलसी जी श्री हरि को प्रिय है, इसलिए यह मंगलाष्टक भगवान श्री ​हरि की कृपा को आकर्षित करता है।

धार्मिक कथाओं के अनुसार, एक बार बलशाली व पराक्रमी राक्षस जलंधर ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करके उनसे अमरता का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्मा जी ने उसे अमरता का वरदान देने के बजाय मथुरा के राक्षस राजा की बेटी वृंदा से विवाह करने की सलाह दी, क्योंकि वृंदा भगवान कृष्ण की भक्त थी और उसकी तपस्या और आराधना से उसके पति को अवश्य लाभ होगा। जलंधर ने ब्रह्मा जी के बताए अनुसार वृंदा से विवाह कर लिया। कालांतर में जलंधर क्रूर और अहंकारी हो गया। उसने स्वर्ग, गंधर्व, पाताल, पृथ्वी आदि सभी लोकों पर अपना कब्जा जमा लिया। भयभीत होकर सभी देवतागण मदद के लिए भगवान विष्णु जी की शरण में पहुंचे।

भगवान विष्णु ने बताया कि जालन्दर को सिर्फ भगवान शिव जी के त्रिशूल से ही मारा जा सकता है, जिसके बाद सभी देवता भगवान शिव के पास गए। उसी दौरान जलंधर देवी पार्वती पर मोहित हो गया और कैलाश पर्वत पर अधिकार जमाने के लिए आक्रमण कर दिया। शिवगणों और जलंधर के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया। वृंदा की भक्ति के कारण जलंधर को मारना संभव नहीं था, इसलिए विष्णु जी का रूप धारण कर वृंदा के पास गए। वृंदा ने जलंधर रूप में विष्णु जी की आरती की और आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छुए, जिससे उसकी पवित्रता नष्ट हो गई। इसी के बाद भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से जलंधर का वध कर दिया।

पति जलंधर की मृत्यु की खबर सुनते ही वृंदा दुखी हो गई और उसने भगवान श्रीकृष्ण को पत्थर बन जाने का श्राप दे डाला। जिसके बाद संपूर्ण सृष्टि में हाहाकार मच गया। सभी देवगणों ने वृंदा से प्रार्थना की कि वह अपना श्राप वापस ले ले। जिसके बाद वृंदा को अपनी गलती का आभास हुआ और उसने श्राप वापस ले लिया और स्वयं सती हो गई। वृंदा ने जहां अपना देह त्यागा वहां कुछ दिनों बाद एक पौधा उगा, जिसे विष्णु जी ने तुलसी का नाम दिया। वृंदा की भक्ति से प्रसन्न भगवान विष्णु ने उसे वरदान दिया कि शालिग्राम सदैव तुलसी के रहेंगे। उनके स्वरूप शालिग्राम से तुलसी का विवाह संपन्न होगा। उसी के बाद से हिंदू धर्म में हर साल तुलसी विवाह के आयोजन के साथ तुलसी विवाह मंगलाष्टक का गायन किया जाता है।

तुलसी विवाह मंगलाष्टक पढ़ने के फायदे (benefits of tulsi vivah mangalashtak)

  • तुलसी विवाह मंगलाष्टक का पाठ करने से मां तुलसी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं।
  • कहते हैं कि तुलसी विवाह मंगलाष्टक का नियमित पाठ करने से मां तुलसी सभी रोग-दोष से मुक्ति प्रदान करती हैं।
  • माना जाता है कि तुलसी विवाह मंगलाष्टक का पाठ करने से तुलसी जी के साथ भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है।
  • मान्यता है कि इसका पाठ दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाए रखने में सहायक होता है।
  • कहते हैं कि तुलसी विवाह के दौरान मंगलाष्टक का पाठ करने से भक्तों के जीवन के सारे अमंगल दूर होने लगते हैं।
  • मान्यता है कि विवाह में अगर किसी प्रकार की समस्या या अड़चन आ रही हो तो उन्हें तुलसी विवाह के आयोजन के साथ तुलसी विवाह मंगलाष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  • तुलसी विवाह मंगलाष्टक के पाठ के बगैर तुलसी विवाह अधूरा माना जाता है, ऐसे में अगर कोई व्यक्ति इसका पाठ कर ले तो उसके जीवन से सभी दुख दूर हो जाते हैं।
  • तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है, इसलिए कहते हैं कि अगर मां तुलसी जिस भी भक्त पर प्रसन्न होती हैं उसके जीवन में आर्थिक समस्या कभी नहीं आती।

तुलसी विवाह मंगलाष्टक स्तोत्र का हिंदी अर्थ (Hindi meaning of tulsi vivah mangalashtak)

ॐ श्री मत्पंकजविष्टरो हरिहरौ, वायुमर्हेन्द्रोऽनलः। चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिपादिग्रहाः । प्रद्यम्नो नलकूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः, स्वामी शक्तिधरश्च लांगलधरः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - चंद्रमा, सूर्य, कोषाध्यक्ष, वरुण, नायकों के स्वामी और अन्य ग्रह, प्रद्युम्न, नल, कुबर, देवताओं के हाथी, चिंतामणि, कौस्तुभ, स्वामी, शक्तिधरा और लंगलाधर आप सभी को सौभाग्य प्रदान करें।

गंगा गोमतिगोपतिगर्णपतिः, गोविन्दगोवधर्नौ, गीता गोमयगोरजौ गिरिसुता, गंगाधरो गौतमः । गायत्री गरुडो गदाधरगया, गम्भीरगोदावरी, गन्धवर्ग्रहगोपगोकुलधराः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - गंगा, गोमती के पति, गोपति गरनापति, गोविंदा, गायों की माता, गीता गिरि, गोमाया और गोराजौ की बेटी और गंगाधर गौतम हैं, गायत्री, गरुड़, गदाधर, गया, गंभीर, गोदावरी, गंधवर्गह, गोप और गोकुलधारा आप सभी को सौभाग्य प्रदान करें।

नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पादत्रयं, तत्तद्विष्णुपदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च रामत्रयम् । गंगावाहपथत्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्, संध्यानां त्रितयं द्विजैरभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - तीन आंखों वाले जानवरों के महान स्वामी अग्नि के तीन पैर, तीनों लोकों में विष्णु के तीन पैर और प्रभु श्रीराम के प्रसिद्ध तीन पैर हैं, गंगा के तीन सबसे प्रसिद्ध पवित्र मार्ग, तीन वेद ब्राह्मण और ब्राह्मणों द्वारा अनुमोदित तीन संध्याएं आपको सभी शुभताएं प्रदान करें।

वाल्मीकिः सनकः सनन्दनमुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः, जाबालिजर्मदग्निरत्रिजनकौ, गर्गोऽ गिरा गौतमः । मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः, पुण्यो धमर्सुतो ययातिनहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - वाल्मीकि, सनक, सनन्दन, व्यास, वशिष्ठ, भृगु, जाबालि, जमदग्नि, त्रिजनक, गर्ग और गिरा, गौतम, मांधाता, भरत, राजा सगर ने दिलीप, नल, धमार के धर्मपरायण पुत्र, ययाति और नहुष, कुवंरदा को आशीर्वाद दिया, आप सभी का सौभाग्य हो।

गौरी श्रीकुलदेवता च सुभगा, कद्रूसुपणार्शिवाः, सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रतारुन्धती । स्वाहा जाम्बवती च रुक्मभगिनी, दुःस्वप्नविध्वंसिनी, वेला चाम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - गौरी श्री और सुभागा की कुल देवी हैं, कद्रू और सुपना शिव हैं, सावित्री और सरस्वती सुगंधित हैं और सत्यव्रत अरुंधती हैं, स्वाहा, जाम्बवती, रुक्म की बहन, बुरे सपनों को नष्ट करने वाली, वेला, समुद्र के पास शार्क और कुवर्लदा आप सभी के लिए मंगलमय हो।

गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा, कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका । शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी, ख्याता च या गण्डकी, पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - गंगा, सिंधु, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, सरयू, इंद्र की पुत्री और चमर्ण्वती वेदिका हैं, महान नदियां शिप्रा और वेत्रवती और समुद्र सहित पवित्र जल से भरी गंगा आपको सौभाग्य प्रदान करें।

लक्ष्मीः कौस्तुभपारिजातकसुरा, धन्वन्तरिश्चन्द्रमा, गावः कामदुघाः सुरेश्वरगजो, रम्भादिदेवांगनाः । अश्वः सप्तमुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं चाम्बुधे, रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - लक्ष्मी, जिनकी आभूषण कौस्तुभ है, जो पारिजात वृक्ष की तरह अमृतवनी हैं, धन्वंतरि चंद्रमा हैं, गायें इच्छा से दूध देती हैं, हाथी देवताओं के देवता हैं, रंभा और दन्य देवियां देवताओं की पत्नियां हैं, सात मुख वाला घोड़ा, अमृतधारी हरा धनुष, शंख, समुद्र में विष और चार आंखों वाले रत्न आपको हर दिन सौभाग्य प्रदान करें।

ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः, शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः । विष्णुयर्ज्ञपतियर्मः पितृपतिः, तारापतिश्चन्द्रमा, इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम् ॥

हिंदी अर्थ - ब्रह्मा वेदों के स्वामी हैं, शिव पशुओं के स्वामी हैं, सूर्य ग्रहों के स्वामी हैं, शुक्र देवताओं के स्वामी हैं और स्कंद सेना के स्वामी हैं, विष्णु, यर्षपति, यर्मा, पितृपति, तारापति और चंद्रमा, सुपानारा आप सभी को सौभाग्य प्रदान करें।

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