श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम्

श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम्

भूत, प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से मिलेगा छुटकारा


श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्रम् (Shri Tulsi Shodashakanam Stotram)

सनातन धर्म में तुलसी के पौधे को देवी की तरह पूजा जाता है। तुलसी को धन की देवी माँ लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। पौराणिक कथाओं की मानें तो माँ तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय भी मानी गई है। धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ तुलसी में कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, जिस वजह से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि तुलसी माता को प्रसन्न करके आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। तुलसी माता की पूजा के दौरान श्री तुलसी स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से तुलसी माँ और भगवान विष्णु प्रसन्न होकर जातक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का महत्व (Importance of Shri Tulsi Shodashnam Stotra)

पौराणिक कथाओं की मानें तो, भगवान विष्णु कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को चार महीने बाद अपनी योग निद्रा से जागते हैं, जिसके बाद द्वादशी तिथि को तुलसी माँ का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ कराया जाता है। तुलसी माँ की पूजा करने से और श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का जाप करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। इसके अलावा, रोग व्याधि से भी साधक को मुक्ति मिलती है। श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का जाप करने से तुलसी मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तुलसी मां के प्रसन्न होने से घर में सुख- समृद्धि आती है। साथ ही दाम्पत्य जीवन में भी खुशहाली आती है।

श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Shri Tulsi Shodshakanam Stotra)

  • श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का पाठ करने से घर में कभी नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है।
  • श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति और उसके परिवारजनों को आसानी से कोई रोग नहीं होता है।
  • हिंदू धर्म में मान्यता है कि श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का पाठ करने से मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है और साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का पाठ करने से जातक के पास भूत, प्रेत और दैत्य आदि नकारात्मक आत्माएं नहीं आती हैं।
  • श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का पाठ करने से घर से तुलसी दोष दूर होते हैं।

श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र का हिन्दी अर्थ (Hindi meaning of Shri Tulsi Shodshakanama Stotra)

१. वृन्दायै तुलसी-देव्यै प्रियायै केशवस्य च। स्वर्गाद् वसन्ति ये कुर्युः ते तुलसी-प्रिया: सदा॥

हिंदी अर्थ - हे वृन्दा, हे तुलसी, हे केशव की प्रिया जो भक्तजन स्वर्ग से भी उच्च स्थानों में निवास करते हैं, वे सदा तुलसी के प्रिय हैं।

२. यस्यां वास्ते महादेवि भगवती भूतपव्यया। शान्त्यै सत्यै तथा रौद्रे तस्मै तुलसि नमो नमः॥

हिंदी अर्थ - जिस महादेवी तुलसी में भगवती भूतपव्यया वास करती है, वह शान्ति, सत्य, और रौद्र स्वरूप है। मैं उस तुलसी को नमस्कार करता हूँ।

३. नित्यं पारिज्ञान्या रूपा तुलसीर्नाम भूमिता। सा भूमिर्यस्या सततं नन्दनन्दनप्रिया॥

हिंदी अर्थ - तुलसी का सदैव अपनी अद्वितीय रूप में परिचय होता है, उसका नाम भूमि पर विख्यात है। जिसकी तुलसी नित्य भूमि में स्थित होती है, वह भूमि सदैव नन्दनन्दन के प्रिय है।

४. तुलसी त्वां नमस्कुर्यात्कोटिसूर्यसमप्रभाम्। यः कुलेऽथवा निवसति तस्य विष्णुः प्रियो भवेत्॥

हिंदी अर्थ - हे तुलसी, जिसका प्रकाश सूर्य के समान है, उसको कोटि-कोटि बार नमस्कार करता है, वह व्यक्ति जो तुलसी के घर में रहता है, उसको विष्णु प्रिय होते हैं।

५. तुलसीमूलसम्भूता शालग्रामप्रिया सदा। ते विष्णुप्रेमिणः सर्वे वासन्त्या यान्ति तत्पदम्॥

हिंदी अर्थ - जो सदैव तुलसी के मूल से उत्पन्न होते है, वहीं शालिग्राम के प्रिय है। विष्णु के प्रेमी सभी लोग तुलसी के सहयोग से उसके पद की प्राप्ति करते हैं।

६. जानुपादयुगे तुलसी श्रीपादो भगवान्प्रभु। यः तुलसीमनुरूपेण पूजयेत्स पुनः पुनः॥

हिंदी अर्थ - तुलसी के जानुपादों के समान, श्रीपाद भगवान प्रभु हैं। जो व्यक्ति बार-बार तुलसी को उसके रूप में पूजता है, वह भगवान को पूजता है।

७. तुलसीं प्रतिदिनं भक्त्या पूजयेत्स यदि मनः। तस्यां विष्णुः प्रियो भूत्वा तुलसीं धान्यमानयेत्॥

हिंदी अर्थ - जो व्यक्ति मन से हर दिन भक्ति भाव से तुलसी को पूजता है, उसके लिए विष्णु अत्यंत प्रिय होकर तुलसी को धन्यवाद देते हैं।

इस प्रकार, श्री तुलसी षोडशकनाम स्तोत्र तुलसी माता के महत्त्वपूर्ण गुणों की स्तुति करता है और उनकी पूजा का महत्व बताता है।

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