
श्री संतानगणपति स्तोत्रम् भगवान गणेश के संतानप्रदाता स्वरूप की आराधना के लिए श्रेष्ठ स्तोत्र है। इसके पाठ से संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन में आनंद, शांति व समृद्धि आती है। जानिए सम्पूर्ण पाठ, अर्थ और लाभ।
श्री संतानगणपति स्तोत्रम् भगवान गणेश के संतान प्रदायक रूप को समर्पित एक पवित्र स्तोत्र है। इसका पाठ संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। श्रद्धा और नियमपूर्वक इसका जप करने से संतान सुख, पारिवारिक आनंद और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
गणपति जी के संतान गणपति स्तोत्र से कई लोगों को संतान की प्राप्ति हुई है। इस स्तोत्र को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, क्योकि जब आप विश्वास के साथ स्तोत्र का पाठ करते हैं तो सब कुछ संभव हो जाता है। यहां हम श्री गणेश के श्री संतान गणपति स्तोत्र को हिंदी अर्थ के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं।
इस स्तोत्र को स्पष्ट उच्चारण के साथ सही विधान से जाप करने से सर्व सिद्धि प्राप्त होती है। संतान प्राप्ति के लिए यह एक भगवान गणपति का उत्तम स्तोत्र माना गया है।
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धिबुद्धियुताय च। सर्वप्रदाय देवाय पुत्रवृद्धिप्रदाय च॥
अर्थ: सिद्धि-बुद्धि सहित उन गणनाथ को नमस्कार है, जो पुत्र वृद्धि प्रदान करने वाले तथा सब कुछ देनेवाले देवता हैं।
गुरूदराय गुरवे गोत्रे गुह्यासिताय ते। गोप्याय गोपिताशेषभुवनाय चिदात्मने॥
अर्थ: जो लम्बोदर, ज्ञानदाता, रक्षक, गूढ स्वरूप तथा सब ओर से गौर हैं, जिनका स्वरूप और तत्त्व गोपनीय है तथा जो समस्त भुवनों के रक्षक हैं, उन चिदात्मा आप गणपति को नमस्कार है।
विश्वमूलाय भव्याय विश्वसृष्टिकराय ते। नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुण्डिने॥
अर्थ: जो विश्व के मूल कारण, कल्याण स्वरूप, संसार की सृष्टि करने वाले, सत्य रूप, सत्य पूर्ण तथा शुण्डधारी हैं, उन गणेश्वर को बारंबार नमस्कार है।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः। प्रपन्नजनपालाय प्रणतार्तिविनाशिने॥
अर्थ: जिनके एक दांत और सुन्दर मुख हैं; जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करने वाले हैं, उन शुद्ध स्वरूप आप गणपति को बारंबार नमस्कार है।
शरणं भव देवेश संततिं सुदृढां कुरु। भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक॥
अर्थ: हे देवेश्वर ! आप मेरे लिए शरणदाता हो। मेरी संतान - परम्परा को सुदृढ़ करें। हे गणनायक ! मेरी संतान प्राप्त करने की कामना को पूर्ण करें, मुझे संतान देकर मेरे कुल को सुदृढ़ करें।
ते सर्वे तव पूजार्थं निरताः स्युर्वरो मतः। पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम्॥
अर्थ: हे गणनायक! मेरे कुल में जो पुत्र हों, वे सब आपकी पूजा के लिए सदा तत्पर हों, यह वर प्राप्त करना मुझे।
भगवान गणेश को समर्पित ये स्तोत्र ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक भगवान श्री गणेश की आराधना के लिए बहुत ही फलदायी है। मान्यता है कि संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को भादो के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को इस स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
Did you like this article?
Shri Jagannath Ashtakam भगवान जगन्नाथ की महिमा का वर्णन करने वाला पवित्र स्तोत्र है। जानें श्री जगन्नाथ अष्टकम का अर्थ, पाठ विधि, लाभ और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व।
Kushmanda Devi Kavach देवी कूष्मांडा की सुरक्षा और आशीर्वाद पाने वाला पवित्र कवच है। जानें कूष्मांडा देवी कवच का पाठ विधि, लाभ और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व।
Damodar Ashtakam भगवान श्री कृष्ण के दामोदर रूप का स्तुति करने वाला पवित्र स्तोत्र है। जानें दामोदर अष्टकम का अर्थ, पाठ विधि, लाभ और इसका धार्मिक व आध्यात्मिक महत्व।