ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र | Rinharta Ganesh Stotra
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ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र

व्यापार में वृद्धि और कर्ज मुक्ति के लिए पढ़ें यह स्तोत्र

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र के बारे में

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र भगवान गणेश को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। इसका पाठ करने से जीवन के कर्ज, बाधाएँ और मानसिक चिंताएँ दूर होती हैं। यह स्तोत्र व्यक्ति को आर्थिक स्थिरता, समृद्धि और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इस लेख में जानिए ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का महत्व, इसके पाठ से मिलने वाले लाभ और इससे जुड़ी खास बातें।

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र क्या है?

गणेश जी की पूजा अर्चना करने से कार्य सफल होते है। साथ ही सुख और समृद्धि भी प्राप्त होती है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र, भगवान गणपति जी का स्त्रोत है। जिसकी आराधना करने से गणेश जी प्रसन्न होते है और वह भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते है। गणेश जी का यह स्त्रोत बहुत ही फलदायक होता है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करने से जातक सभी ऋणों से मुक्ति पा लेता है।

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र

॥ ध्यान ॥

ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।

ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

॥ मूल-पाठ ॥

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 1

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 2

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 3

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 4

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 5

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 6

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 7

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 8

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,

एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।

दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का महत्व

गणेश जी की कृपा प्राप्ति और कर्ज से छुटकारा पाना चाहते हैं। तो इसके लिए ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। श्री गणेश जी का यह स्त्रोत करने से ऋण यानी कर्ज से छुटकारा मिल जाता है। जो भी भक्त इस ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करता है। उसका कठिन से कठिन कर्ज बहुत ही आसानी से चुक जाता है। इसके साथ ही धन को अर्जित करने हेतु कई मार्ग भी खुल जाते है। यह स्त्रोत भविष्य में आने वाली वित्तीय समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में सहायता करता है।

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र पढ़ने के फायदे

  • कर्ज मुक्ति के लिए इस स्त्रोत का नियमित पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
  • गणेश जी के इस स्त्रोत का पाठ करने से आय के कई मार्ग खुल जाते हैं। जिससे धन अर्जित करने में आसानी हो जाती है।
  • इस स्त्रोत का पाठ करने से भक्त पर सदैव गणेश जी की कृपा बनी रहती है। उसके सभी विध्न दूर हो जाते है।
  • ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का जाप करके व्यक्ति के कल्याण के मध्य आने वाली हर बाधा को दूर करता है और धन, बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि और सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
  • ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र जीवन में धन और समृद्धि के लिए भगवान गणेश का मंत्र है। यह ऋण और गरीबी को दूर रखने में मदद करता है।

॥ ध्यान ॥

ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।

ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

अर्थात - सच्चिदानन्द भगवान गणेश जी की अंगकान्ति सिन्दूर के समान है। उनके दो भुजाएं हैं, वे लम्बोदर (लंबे पेट वाले) हैं तथा कमलदल पर विराजमान हैं, ब्रह्मा आदि देवता उनकी सेवा में लगे है तथा वे सिद्ध समुदाय से घिरे हुए हैं। देवताओं में ऐसे प्रथम पूज्य श्री गणपति जी को मेरा प्रणाम है।

॥ मूल-पाठ ॥

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥1

अर्थात - सृष्टि के अदिकाल में ब्रह्माजी ने सृष्टिरूप फल की सिद्धि के लिए जिनका सम्यक पूजन किया था वे पार्वती पुत्र सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥2

अर्थात - त्रिपुर वध के पूर्व भगवान शिव ने जिनकी सम्यक् आराधना की थी, वे पार्वतीनन्दन श्री गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 3

अर्थात - भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप आदि दैत्यों के वध के लिए जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीकुमार गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 4

अर्थात - महिषासुर का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने जिन गणनाथ की उत्तम पूजा की थी, वे पार्वती नन्दन श्री गणेश सदा ही मेरे ऋणों का नाश करें।

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥5

अर्थात - कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर के वध से पूर्व जिनका भली-भांति पूजन किया था, वे पार्वतीपुत्र मेरे ऋण का नाश करें।

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥6

अर्थात - भगवान सूर्यदेव ने अपनी तेजोमयी प्रभा की रक्षा के लिए जिनकी आराधना की थी वे माता पार्वती के पुत्र सदा मेरे ऋण का नाश करें।

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥7

अर्थात - चन्द्रमा ने अपनी कान्ति की सिद्धि के लिए जिन गणनायक का पूजन किया वे मां पार्वती के पुत्र गणेश जी सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥8

अर्थात - विश्वामित्र ऋषि ने अपनी रक्षा के लिए तपस्या द्वारा जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीपुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,

एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।

दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

अर्थात - यह ऋणहर्ता स्तोत्र दारुण दरिद्रता का नाश करने वाला है। इसका प्रतिदिन एकाग्र तथा शुद्ध हृदय से पाठ करने से मनुष्य को निसंदेह ऋण से मुक्ति मिलती है तथा दरिद्रता भी नष्ट हो जाती है साथ ही साथ मनुष्य को कुबेर के समान ही धन और वैभव प्राप्त हो जाता है।

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Published by Sri Mandir·October 14, 2025

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