ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्रम्

ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्रम्

दूर होगी धन से जुड़ी सभी परेशानियां


ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्रम् (Rin Mochan Narasimha Stotra)

नृसिंह भगवान को पुराणों में भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। ऋण मोचन नरसिम्हा स्त्रोत भगवान नृसिंह जी को समर्पित है। यह स्तोत्र एक बहुत शक्तिशाली मंत्र है। जिसका जाप कई लोग वित्तीय कठिनाइयों और ऋणों से छुटकारा पाने के लिए करते हैं। इस स्त्रोत द्वारा उनसे प्रार्थना की गयी है साथ ही कर्ज मुक्ति के लिए विनती की गयी है। नृसिंह पुराण में इस स्त्रोत का वर्णन मिलता है। नृसिंह भगवान साधक को हर संकटों और दुर्घटनाओं से बचाते हैं।

# ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्र का महत्व (Importance of Rin Mochan Narasimha Stotra)

ऋण मोचन नरसिम्हा स्तोत्र ऋण मुक्ति के लिए बहुत ही प्रभावशाली स्त्रोत है। जो भी व्यक्ति कर्ज यानी ऋण से बहुत ज्यादा परेशां है उसे इस स्त्रोत का नियमित रूप से पाठ करना चाहिए। 90 दिनों तक लगातार इस स्त्रोत का नित्य पाठ करने से इसका लाभ अवश्य ही दिखाई देता है। इस स्त्रोत का पाठ करते समय क्ष्मी नारायण जी के साथ साथ नृसिंह देवता जी की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए। सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से जो भी साधक इस स्त्रोत का पाठ करता है वह सुख समृद्धि से परिपूर्ण हो जाता है। इस स्त्रोत का पाठ करने से भगवान नृसिंह के साथ साथ माता लक्ष्मी जी की भी कृपा होती है। यह एक ऐसा स्त्रोत है जिसमे दो भगवानों को ही एक ही स्त्रोत के द्वारा प्रसन्न किया जा सकता है और उनकी कृपा से जीवन को धन्य किया जा सकता है।

# ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्र पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Rin Mochan Narasimha Stotra)

श्री नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र का नियमित पाठ करने से चमत्कारिक लाभ की प्राप्ति होती है। साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जो साधक इस स्त्रोत का पाठ करता है उसे धन से जुडी कोई भी परेशानी नहीं आती है। माता लक्ष्मी जी की कृपा उस साधक पर सदैव बनी रहती है। उसका धन कभी भी ख़त्म नहीं होता है। श्री नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र का नित्य पाठ करने से किसी भी प्रकार का ऋण यानि क़र्ज़ हो, उससे मुक्ति मिल जाती है। इस स्त्रोत का पाठ ब्रह्म मुहूर्त के समय करना बहुत अधिक फलदायी होता है।

ऋण विमोचन नृसिंह स्तोत्र का हिंदी अर्थ (Hindi meaning of Rin Mochan Narasimha Stotra)

श्री लक्ष्मी नृसिंह सर्वसिद्धिकर ऋणमोचन स्तोत्र।

देवकार्य सिध्यर्थं सभस्तंभं समुद् भवम । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥1॥

लक्ष्म्यालिन्गितं वामांगं, भक्ताम्ना वरदायकं । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥2॥

अन्त्रांलादरं शंखं, गदाचक्रयुध धरम् । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥3॥

स्मरणात् सर्व पापघ्नं वरदं मनोवाञ्छितं । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥4॥

सिहंनादेनाहतं, दारिद्र्यं बंद मोचनं । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥5॥

प्रल्हाद वरदं श्रीशं, धनः कोषः परिपुर्तये । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥6॥

क्रूरग्रह पीडा नाशं, कुरुते मंगलं शुभम् । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥7॥

वेदवेदांगं यद्न्येशं, रुद्र ब्रम्हादि वंदितम् । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥8॥

व्याधी दुखं परिहारं, समूल शत्रु निखं दनम्। श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥9॥

विद्या विजय दायकं, पुत्र पोत्रादि वर्धनम् । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥10॥

भुक्ति मुक्ति प्रदायकं, सर्व सिद्धिकर नृणां । श्री नृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥11॥

उर्ग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तम् सर्वतोमुखं । नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्य मृत्युं नमाम्यहम॥12॥

य: पठेत् इंद् नित्यं संकट मुक्तये । अरुणि विजयी नित्यं, धनं शीघ्रं माप्नुयात् ॥13॥

॥ श्री शंकराचार्य विरचित सर्वसिद्धिकर ऋणमोचन स्तोत्र संपूर्णं॥

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