kashyap rishi | कश्यप ऋषि: इतिहास, पिता कौन थे, वंशावली

कश्यप ऋषि

जानें कश्यप ऋषि का जीवन परिचय: उनके पिता, वंशावली और महानता, जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखती है!


कश्यप ऋषि कौन थे?

हिंदू धर्म के अनुसार, प्रारंभिक काल में ब्रह्मा जी ने समुद्र और धरती पर हर प्रकार के जीवों की उत्पत्ति की। इस काल में उन्होंने अपने कई मानस पुत्रों को भी जन्म दिया, जिनमें से एक थे मरीची। कश्यप ऋषि मरीची जी के विद्वान पुत्र थे। इनकी माता कला कर्दम ऋषि की बेटी व भगवान कपिल देव की बहन थीं। प्राचीन वैदिक सप्तऋषियों में शामिल कश्यप जी सबसे प्रसिद्ध व प्रमुख थे। अपने श्रेष्ठ गुणों, प्रताप व तप के बल पर इनकी गिनती श्रेष्ठतम महान विभूतियों में होती थी।

मान्यता है कि सृष्टि की रचना में कई ​ऋषि मुनियों ने अपना योगदान दिया। जब हम सृष्टि के विकास की बात करते हैं तो इसका अर्थ जीव, जन्तु या मानव की उत्पत्ति से होता है। हिंदू धर्म में माना जाता है कि कश्यप ऋषि के वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक हुए। कश्यप जी की 17 पत्नियां थीं, जिनके वंश से सृष्टि का विकास हुआ।

कश्यप ऋषि का जीवन परिचय

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मान्यता है कि कश्यप ऋषि से ही संपूर्ण सृष्टि का निर्माण हुआ है। कश्यप एक प्रचलित गोत्र का भी नाम है। कहते हैं कि जिस मनुष्य का गोत्र नहीं मिलता उसका गोत्र कश्यप मान लिया जाता है, क्योंकि एक परम्परा के अनुसार सभी जीवधारियों की उत्पत्ति कश्यप से हुई।

कथा के अनुसार, एक बार परशुराम जी ने पूरी पृथ्वी पर विजय प्राप्त कर उसे अपने गुरु कश्यप मुनि को दान कर दी, जिसके बाद कश्यप जी ने परशुराम से कहा-”अब तुम मेरे देश में मत रहो।” अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम ने प्रत्येक रात पृथ्वी पर न रहने का संकल्प किया। वे रोजाना रात्रि में मन के समान तेज गमन शक्ति से महेंद्र पर्वत पर चले जाते थे।

कश्यप ऋषि का तेज पिघले हुए सोने के समान था। उनकी जटाएं अग्नि-ज्वालाएं जैसी थीं। वह ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। सुर-असुरों के मूल पुरुष कहे जाने वाले मुनिराज कश्यप जी का आश्रम मेरु पर्वत के शिखर पर था, जहां वे ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में लीन रहते थे। कश्यप ऋषि नीति प्रिय थे। वह स्वयं धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसका पालन करने का उपदेश देते थे।

श्री नरसिंह पुराण में कश्यप ऋषि के जीवन से जुड़ी जानकारी मिलती है। पुराण के अनुसार, कश्यप जी की पत्नियों से ही मानस पुत्रों का जन्म हुआ। जिसके बाद से इस सृष्टि का सृजन हुआ। इसीलिए महर्षि कश्यप ‘सृष्टि के सृजक’ या ‘सृष्टि के सृजनकर्ता’ कहलाए। पुराणों के अनुसार, कश्यप ऋषि की कुल 17 पत्नियां थीं। उनमें से 13 पत्नियां राजा दक्ष की कन्याएं थीं। कश्यप जी की इन 13 पत्नियों ने अपने-अपने गुण, स्वभाव, आचरण, कर्म व नाम के अनुसार संतानों को जन्म दिया।

ऋषि की पत्नी अदिति ने 12 पुत्रों को जन्म दिया जिनको अदिति पुत्र या आदित्य कहा गया। इनमें सबसे प्रमुख और सर्वव्यापक देवाधिदेव भगवान विष्णु का त्रिविक्रम नाम का वह अवतार भी शामिल है जिसे हम बौने ब्राह्मण के रूप में वामन अवतार के नाम से जानते हैं। भगवान विष्णु के इसी अवतार को मानव रूप में सबसे पहला अवतार माना गया। दक्षिण भारत में इस अवतार को उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है।

अदिति के गर्भ से देवों ने ही नहीं असुरों ने भी जन्म लिया था। ऋषि की पत्नी अदिति ने हिरण्यकश्यप व हिरण्याक्ष नाम के दो पुत्र व सिंहिका नाम की एक पुत्री को भी जन्म दिया था। दैत्य हिरण्यकश्यप का वध भगवान नरसिंह व हिरण्याक्ष का वध भगवान के वराह के हाथों किया गया था।

इसी प्रकार कश्यप ऋषि की पत्नी दनु ने 61 पुत्रों को जन्म दिया, जिनमें हयग्रीव, एकचक्र, महाबाहु और महाबल जैसे कुछ नाम प्रमुख हैं। जबकि पत्नी अरिष्टा के गर्भ से गन्धर्व गणों का जन्म हुआ। वहीं, सुरभि नाम की पत्नी ने जहां गाय, भैंस व अन्य दो खुर वाले पशुओं को जन्म दिया तो विनता के गर्भ से 2 विख्यात पुत्र गरूड़ और अरूण का जन्म हुआ। गरूड़ भगवान विष्णु के वाहन थे जबकि अरूण सूर्यदेव के सारथि बन गए।

कश्यप ऋषि की पत्नी क्रोधवशा ने बाघ जैसे हिंसक जीवों को पैदा किया। जबकि कद्रू के गर्भ से नाग वंश की उत्पत्ति हुई जिनकी संख्या 8 बताई जाती है। कश्मीर में आज भी उन नागों के नाम पर स्थानों के नाम हैं, जिनमें अनंतनाग को नागवंशियों की राजधानी माना गया था। मान्यता है कि इन 8 नागों से नागवंश की स्थापना हुई। इसीलिए कई पुराणों में कश्मीर को नागों का देश भी कहा गया है।

कश्यप ऋषि के महत्वपूर्ण योगदान

  • कश्यप ऋषि जी का सबसे बड़ा योगदान सृष्टि के सृजन कर्ता के रूप में माना जाता है।
  • कश्यप जी हमेशा धर्मोपदेश देते थे, जिसके कारण उन्हें ‘महर्षि’ जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई।
  • ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार, कश्यप ने विश्वकर्मभौवन नाम के राजा का अभिषेक कराया था।
  • कहते हैं कश्यप ऋषि के कहने पर परशुराम जी पृथ्वी छोड़कर महेंद्र पर्वत पर चले गए थे, जिससे क्षत्रियों के भय का समाधान हो सकता था।
  • माना जाता है कि कश्यप ऋषि जी के नाम पर ही कश्मीर का प्राचीन नाम पड़ा था।
  • कश्यप नाम का एक गोत्र भी है। कहा जाता है कि किसी मनुष्य को अपने गोत्र का पता नहीं होता, उसका गोत्र कश्यप ही मान लिया जाता है।

कश्यप ऋषि से जुड़े रहस्य

  • कहा जाता है कि कश्यप ऋषि की 17 पत्नियां थीं।
  • कश्यप ऋषि की पत्नियों ने देवों के साथ दैत्यों को भी जन्म दिया।
  • सृष्टि के सृजनकर्ता कहे जाने वाले कश्यप ऋषि से सर्प, पक्षी, पशु जैसे जानवरों की उत्पत्ति हुई
  • माना जाता है कि द्वापर युग में कश्यप जी ही भगवान विष्णु के कृष्णावतार में उनके पिता वासुदेव थे। इनकी पहली पत्नी अदिति के रूप में देवकी और दूसरी पत्नी दिति के रूप में रोहिणी थीं।

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