शनि गोचर क्या है और कब होगा? जानिए 2025 में शनि गोचर के प्रभाव और आपके जीवन पर इसके असर को! बदलाव के लिए तैयार रहें!
शनि गोचर किसी भी राशि में शनि ग्रह के परिवर्तन को दर्शाता है, जो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। शनि का गोचर आमतौर पर साढ़े दो वर्ष तक रहता है और यह करियर, स्वास्थ्य, धन और संबंधों पर प्रभाव डाल सकता है। आइये जानते हैं इसके बारे में....
शनि गोचर का अर्थ है जब शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की चाल का विशेष महत्व होता है, और शनि के गोचर का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में बाधाओं, सफलता, अनुशासन और कर्मफल के रूप में देखा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि गोचर को एक अत्यंत प्रभावशाली घटना माना जाता है। शनि ग्रह कर्म, अनुशासन, न्याय, धैर्य और संघर्ष का प्रतीक है। जब यह ग्रह किसी राशि में प्रवेश करता है, तो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
शनि एक राशि में लगभग ढाई साल तक स्थित रहता है और लगभग 30 सालों में सभी बारह राशियों का एक चक्र पूरा करता है। इसकी गति धीमी होने के कारण, इसका प्रभाव दीर्घकालिक और गहरा होता है।
शनि ग्रह को ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसे कर्म, अनुशासन और न्याय का कारक माना जाता है। शनि को "न्यायाधीश" भी कहा जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुरूप फल प्रदान करता है। यह ग्रह धीरे-धीरे प्रभाव डालता है, लेकिन इसका असर दीर्घकालिक होता है।
गंभीर और अनुशासनप्रिय – यह ग्रह अनुशासन, कड़ी मेहनत और ईमानदारी को बढ़ावा देता है।
धीमी गति वाला – अन्य ग्रहों की तुलना में शनि की गति धीमी होती है, जिससे इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है।
कर्मफल दाता– शनि व्यक्ति के कर्मों के मुताबिक शुभ या अशुभ परिणाम देता है।
संयम और धैर्य का प्रतीक – यह ग्रह जीवन में धैर्य और सहनशीलता का महत्व सिखाता है। साथ यही यह आत्म-अनुशासन और आध्यात्मिकता को भी प्रेरित करता है।
शनि ग्रह का प्रभाव - वहीं अगर हम शनि ग्रह के प्रभाव के बारे में बात करें तो इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव होते हैं।
चलिए पहले आपको बताते हैं शनि ग्रह के सकारात्मक प्रभावों के बारे में-
वहीं अगर हम शनि ग्रह के नकारात्कम प्रभावों के बारे में बात करें तो इससे
शनि ग्रह 29 मार्च 2025 को रात 11:01 बजे कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। यह गोचर लगभग ढाई वर्षों तक प्रभावी रहेगा, जिसके दौरान शनि मीन राशि में स्थित रहेंगे। इस दौरान शनि के इस गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर अलग-अलग होगा। साथ ही शनि के इस गोचर का प्रभाव व्यक्ति की व्यक्तिगत कुंडली और दशाओं पर भी निर्भर करेगा। तो चलिए आपको बताते हैं कि इस साल
साल 2025 में शनि ग्रह का गोचर सभी राशियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा। वर्तमान में शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में स्थित है और 29 मार्च 2025 को मीन राशि में प्रवेश करेगा। इस परिवर्तन से कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव समाप्त होगा, जबकि कुछ पर इसका आरंभ होगा।
शनि की साढ़ेसाती तब होती है जब शनि चंद्र राशि से बारहवें, पहले और दूसरे भाव में गोचर करता है, जिसका प्रभाव लगभग साढ़े सात वर्षों तक रहता है। 2025 में शनि के मीन राशि में प्रवेश के साथ
मकर राशि - साढ़ेसाती समाप्त होगी, जिससे कठिनाइयों में कमी आ सकती है और राहत के संकेत मिल सकते हैं।
कुंभ राशि - अंतिम चरण में प्रवेश करेगा, जो आत्मचिंतन और महत्वपूर्ण बदलावों का समय हो सकता है।
मीन राशि - दूसरे चरण में प्रवेश करेगा, जिससे व्यक्तिगत विकास और आत्मअन्वेषण के अवसर मिल सकते हैं।
मेष राशि - साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू होगा, जो नए अनुभवों और कुछ चुनौतियों का संकेत देता है।
जब शनि चंद्र राशि से चौथे या आठवें भाव में गोचर करता है, तो इसे ढैय्या कहा जाता है, जिसका प्रभाव लगभग ढाई वर्षों तक रहता है।
कर्क और वृश्चिक राशि - इन राशियों की ढैय्या समाप्त होगी, जिससे मानसिक शांति और स्थिरता की वापसी संभव है।
सिंह और कन्या राशि - इन राशियों पर ढैय्या शुरू होगी, जिससे धैर्य और सतर्कता की आवश्यकता होगी।
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