पितृ पक्ष नवमी श्राद्ध 2025 कब है?
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पितृ पक्ष नवमी श्राद्ध 2025 कब है?

पितृ पक्ष नवमी श्राद्ध 2025 कब है? यहां जानें इसकी सही तिथि, पूजा विधि और महत्व। इस दिन नवमी श्राद्ध करने से पितरों की कृपा मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

पितृ पक्ष नवमी श्राद्ध के बारे में

पितृ पक्ष नवमी श्राद्ध विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए किया जाता है जो असमय निधन को प्राप्त हुई हों। इस दिन तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराने से पितरों की आत्मा को शांति और परिवार को आशीर्वाद मिलता है।

नवमी श्राद्ध

नवमी श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान आने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है, जब अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष हिंदू धर्म में एक ऐसा समय होता है जब लोग अपने पितरों का श्राद्ध करके उन्हें तृप्त करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितर लोक से अपने वंशजों के पास आते हैं और श्राद्ध कर्म से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

नवमी श्राद्ध क्या होता है?

नवमी श्राद्ध को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। यह पितृ पक्ष में आने वाली एक खास तिथि है, जिस दिन परिवार की मातृ पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस दिन दिवंगत माताओं, बहनों, या बेटियों का श्राद्ध करने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने से माताओं का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है। इस दिन मातृ ऋण से भी मुक्ति पाई जा सकती है।

नवमी श्राद्ध कब है?

पितृ पक्ष की तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इस साल पितृ पक्ष में नवमी तिथि का श्राद्ध सितंबर 15, 2025 (सोमवार) को किया जाएगा। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान दिया जाता है।

नवमी श्राद्ध मुहूर्त

  • तारीखः सितंबर 15, 2025 (सोमवार)
  • कुतुप मूहूर्त - सुबह 11:51 से दोपहर 12:41 बजे तक
  • रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12:41 से 01:30 बजे तक
  • अपराह्न काल - दोपहर 01:30 से 03:58 बजे तक

नवमी श्राद्ध कैसे करें?

  • मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर की बहुओं को उपवास रखना चाहिए। इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है।
  • इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • श्राद्ध के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शरीर को शुद्ध किया जाता है। स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • श्राद्ध के लिए घर की दक्षिण दिशा में हरा वस्त्र बिछाएं। सभी पूर्वज-पितरों के फोटो या प्रतीक रूप में एक सुपारी हरे वस्त्र पर स्थापित करें। यह स्थान साफ-सुथरा और स्वच्छ होना चाहिए।
  • कुश, जल, तिल, गंगाजल, दूध, घी, शहद की जलांजलि देने के बाद दीपक, अगरबत्ती, धूप जलाएं।
  • पितरों का स्मरण कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • तिल के पिंड बनाकर पितरों को अर्पित किए जाते हैं।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
  • श्राद्ध में कढ़ी, भात, खीर, पुरी और सब्जी का भोग लगाता जाता है।
  • गरीबों को दान देना शुभ माना जाता है।
  • इसके बाद भोजन को गाय, कौवे, कुत्ते और फिर चीटियों को खिलाएं।
  • श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, शराब पीना, मांस खाना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से पितृ नाराज हो जाते हैं।
  • श्राद्ध में मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, मसूर की दाल, सरसों का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।

नवमी श्राद्ध का महत्व

श्राद्ध में मातृ नवमी के दिन माताओं की पूजा की जाती है, इसलिए इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, जो लोग मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करते हैं उन्हें धन, संपत्ति, समृद्धि मिलती है और उनका सौभाग्य सदैव बना रहता है।

मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर की बहुओं को व्रत रखना चाहिए। इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन गरीबों या ब्राह्मणों को भोजन कराने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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Published by Sri Mandir·September 1, 2025

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