इस पूजा के माध्यम से मां महागौरी की कृपा प्राप्त करें।
अष्टमी के शुभ अवसर पर देवी के आठवें स्वरूप यानी कि मां महागौरी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन मां की आराधना करने से घर में सुख शांति आती है और कार्यों में पड़ने वाला विघ्न भी नष्ट होता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम जानते हैं कि इस नवरात्रि मां के आठवे स्वरूप की पूजा कब है?
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो नौ दिनों तक माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि 2025 में माँ महागौरी की पूजा अष्टमी तिथि को की जाएगी, जो इस पर्व का आठवां दिन होता है। माँ महागौरी शांति, शुद्धता और करुणा की प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को जीवन में सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस लेख में हम माँ महागौरी की पूजा विधि, इस दिन के शुभ मुहूर्त, तिथि, संयोग और विशेष योगों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
माँ महागौरी का स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य है। इन्हें सफेद वस्त्रों में सुशोभित और बैल पर सवार दर्शाया जाता है। इनके चार हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू होता है, जबकि अन्य दो हाथ वरदान और अभय मुद्रा में रहते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, माँ पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण उनका रंग काला पड़ गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और गंगा जल से स्नान कराने पर उनका रंग गौरवर्ण हो गया। तब से वे महागौरी के नाम से जानी जाती हैं। यह रूप शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है।
माँ महागौरी की पूजा से भक्तों के सभी पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शांति व समृद्धि आती है। यह माना जाता है कि माँ महागौरी ग्रह राहु को नियंत्रित करती हैं, इसलिए उनकी पूजा से ज्योतिषीय दोषों से भी मुक्ति मिलती है। जो लोग वैवाहिक जीवन में सुख और संतान प्राप्ति की कामना करते हैं, उनके लिए यह पूजा विशेष लाभकारी होती है।
पूजा के दौरान माँ महागौरी की कथा सुनें या पढ़ें, इससे मन में श्रद्धा बढ़ती है। उनकी कथा में यह भी वर्णित है कि उन्होंने असुरों का संहार कर धर्म की स्थापना की थी।
यदि संभव हो तो इस दिन सफेद वस्तुओं का दान करें, जैसे सफेद कपड़े, चावल या मिठाई। इससे माँ की कृपा दोगुनी होती है। पूजा के बाद ध्यान और प्राणायाम करें, इससे मानसिक शांति मिलती है।
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥ पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्। वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्। मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥ प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्। कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
इस प्रकार आपकी पूजा विधिपूर्वक संपूर्ण हो जाएगी।
महाष्टमी या नवमी के दिन होने वाले हवन और संधि आरती के लिए आप श्रीमंदिर पर इस वीडियो को अवश्य देखें।
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