नवरात्रि साल में कितनी बार आती है?
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नवरात्रि साल में कितनी बार आती है?

क्या आप जानते हैं नवरात्रि साल में कितनी बार आती है? जानें चैत्र, शारदीय और विशेष नवरात्रियों का महत्व, पूजा विधि और धार्मिक रहस्य विस्तार से।

नवरात्रि साल में कितनी बार आती है, इसके बारे में

नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है – चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इसके अलावा गुप्त नवरात्रि भी होती है। माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के इस पर्व में भक्त उपवास रखते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नवरात्रि क्या है और क्यों खास है?

नवरात्रि में जगतजननी मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। पुराणों में उल्लेख है कि जब-जब धरती पर अधर्म और अत्याचार बढ़ता है, तब-तब देवी दुर्गा अपने विभिन्न रूपों में अवतरित होकर असुरों का संहार करती हैं और धर्म की रक्षा करती हैं। शरद ऋतु में आने वाली 'शारदीय नवरात्रि' वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि है। मान्यता है कि इसी समय मां दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध कर देवताओं की रक्षा की थी। इन्हीं पौराणिक मान्यताओं के आधार पर नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि कब है?

वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 22 सितंबर, सोमवार को होगा। महानवमी 01 अक्टूबर, बुधवार व दुर्गा विसर्जन और विजयदशमी 02 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।

नवरात्रि साल में कितनी बार मनाई जाती है?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। प्रत्येक नवरात्रि का समय, महत्व और लाभ अलग-अलग होते हैं।

चैत्र नवरात्रि (मार्च–अप्रैल)

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब महिषासुर नामक असुर अपने वरदान के कारण अजेय हो गया, तब देवताओं ने माता पार्वती से प्रार्थना की। माता ने अपने तेज से नौ शक्तियों का प्रकट किया और देवताओं ने उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्र अर्पित किए। कहा जाता है कि अस्त्र शस्त्र अर्पित कर देवियों को शक्ति संपन्न करने की यह प्रक्रिया नौ दिनों तक चली, इसलिए चैत्र माह की प्रतिपदा से नवमी तक चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्रि (सितंबर–अक्टूबर)

धार्मिक मान्यताओं के आधार पर आश्विन मास में माँ दुर्गा ने महिषासुर के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया और दशमी के दिन उसका संहार किया। तभी से इन नौ दिनों तक देवी की उपासना और शक्ति की आराधना की जाने लगी। चूंकि यह समय शरद ऋतु की शुरुआत का होता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। दसवें दिन को विजय और धर्म की स्थापना के प्रतीक रूप में विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।

माघ गुप्त नवरात्रि (जनवरी–फरवरी)

माघ गुप्त नवरात्रि सामान्य नवरात्रि से भिन्न होती है। इसमें दस महाविद्याओं माँ काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की विशेष पूजा होती है। यह नवरात्रि खासकर गुप्त साधना करने वाले साधकों और अघोरियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय की गई साधना से अद्भुत सिद्धियाँ और गुप्त शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि (जून–जुलाई)

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में भी देवी की दस महाविद्याओं की पूजा और साधना का विशेष महत्व होता है। इस समय तांत्रिक और अघोरी गुप्त रूप से तंत्र-मंत्र साधना करते हैं और कई दुर्लभ सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं। गुप्त नवरात्रि का महत्व इसी कारण और भी बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस अवधि में श्रद्धा और विश्वास से की गई देवी की पूजा से अन्य भक्तों की भी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

नवरात्रि साल में दो बार क्यों मनाई जाती है?

हालांकि नवरात्रि साल में चार बार आती है, मगर दो नवरात्रियाँ ही विशेष धूमधाम से मनाई जाती हैं, खासकर शारदीय नवरात्रि। नवरात्रि का साल में दो बार मनाए जाने के पीछे पौराणिक कथाएँ और प्राकृतिक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि प्रारंभिक समय में नवरात्रि केवल चैत्र माह में मनाई जाती थी। लेकिन जब भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध किया और विजय प्राप्त की, तो वे माँ दुर्गा का आशीर्वाद लेने के लिए अगले चैत्र नवरात्र की प्रतीक्षा नहीं करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने उसी समय शरद ऋतु में माता दुर्गा की उपासना की। तभी से चैत्र और शारदीय, दोनों नवरात्रि मनाने की परंपरा प्रचलित हो गई।

इसके साथ ही, प्राकृतिक दृष्टि से भी नवरात्रि का समय अत्यंत विशेष है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि, दोनों ही ऋतु परिवर्तन के अवसर पर आते हैं। चैत्र नवरात्रि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक मानी जाती है, जबकि शारदीय नवरात्रि शरद ऋतु की शुरुआत का। दोनों ही समय प्रकृति में परिवर्तन होता है और मनुष्य के शरीर व मन पर इसका असर पड़ता है। ऐसे समय में देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि नवरात्रि साल में दो बार विशेष रूप से मनाई जाती है।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का अंतर

धार्मिक और पौराणिक अंतर

चैत्र नवरात्रि

चैत्र नवरात्रि का महत्व भगवान श्रीराम और माँ दुर्गा दोनों से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि का व्रत सर्वप्रथम श्री राम जी ने ही किया था, और लंका विजय से पूर्व माँ दुर्गा की उपासना कर शक्ति प्राप्त की थी। दूसरी पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिषासुर के बढ़ते प्रभाव से देवता और मानव व्याकुल हो उठे थे। तब सभी देवताओं ने माता पार्वती से रक्षा की प्रार्थना की। माता ने अपने तेज से नौ रूपों को प्रकट किया और देवताओं ने इन नौ देवियों को दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। तभी से चैत्र माह की प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि मनाने की परंपरा आरंभ हुई।

शारदीय नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि का महत्व माँ दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी स्वरूप से जुड़ा है। देवी पुराण और मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, आश्विन मास में माँ दुर्गा ने महिषासुर से लगातार नौ दिनों तक युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध कर सृष्टि की रक्षा की। इसी समय से शरद ऋतु का आरंभ होता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। दसवें दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय और धर्म की पुनःस्थापना का प्रतीक है।

लोकप्रियता और सामाजिक महत्व का अंतर

चैत्र नवरात्रि का उत्सव विशेष रूप से उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। ग्रामीण परिवेश में इस समय खेतों की नई फसल के आगमन और रामनवमी के कारण यह पर्व अत्यंत विशेष हो जाता है।

शारदीय नवरात्रि की लोकप्रियता पूरे भारत में है। खासकर पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में दुर्गा पूजा भव्य पंडालों, मूर्तियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाई जाती है। गुजरात और राजस्थान में गरबा और डांडिया नृत्य की धूम रहती है।

नवरात्रि 4 बार मनाने से क्या लाभ होते हैं?

  • साल की चारों नवरात्रियों में पूजा और व्रत करने से मां दुर्गा की नौ शक्तियों की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • भक्त के जीवन में सुख-शांति और खुशहाली बनी रहती है।
  • घर-परिवार में धन, समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है।
  • साधक को अच्छा स्वास्थ्य, आरोग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
  • कार्यक्षेत्र और व्यवसाय में उन्नति तथा सफलता के योग बनते हैं।
  • जीवन की कठिनाइयाँ, बाधाएँ और क्लेश समाप्त हो जाते हैं।

शारदीय नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा की आराधना, साधना और शुभ फल प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माने गए हैं। इस समय यदि पूरी आस्था से माता की उपासना की जाए, तो जातक को नौ देवियों की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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Published by Sri Mandir·September 25, 2025

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