क्या आप जानते हैं महागौरी माता किस रंग को सबसे प्रिय मानती हैं और इस रंग का उपयोग पूजा में करने से भक्तों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
मां महागौरी नवदुर्गा का आठवां स्वरूप हैं, जिन्हें शांति, पवित्रता और सरलता की देवी माना जाता है। उनका प्रिय रंग सादगी और निर्मलता का प्रतीक है। मान्यता है कि इस रंग को धारण कर पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है। इस लेख में जानिए मां महागौरी के इस रंग का महत्व, उससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ और भक्तों को मिलने वाले विशेष संदेश।
नवरात्रि के आठवें दिन, जिसे दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा की जाती है। ‘महा’ का अर्थ है महान और ‘गौरी’ का अर्थ है श्वेत या गोरा। इस प्रकार, माँ महागौरी का अर्थ है ‘महान श्वेत वर्ण वाली देवी’। उनका यह स्वरूप सुंदरता, शांति और पवित्रता का प्रतीक है। उनकी पूजा करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
माँ महागौरी, देवी पार्वती का एक अत्यंत सौम्य और शुद्ध स्वरूप हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या के कारण उनका शरीर धूल और मिट्टी से ढक गया था और उनका रंग काला पड़ गया था।
भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें स्वीकार किया और उनके शरीर को गंगाजल से धोया। गंगाजल के स्पर्श से देवी का शरीर पुनः शुद्ध, निर्मल और अत्यंत गोरा हो गया। इसी कारण उन्हें महागौरी के नाम से जाना गया।
उनका स्वरूप अत्यंत शांत और दयालु है। वे श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनके चार हाथ हैं। उनके दाहिने हाथ में अभय मुद्रा है और त्रिशूल है, जबकि बाएं हाथ में डमरू और वरमुद्रा है। वह बैल पर सवार हैं, जो उनकी शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है।
मां महागौरी का प्रिय रंग सफेद माना जाता है। इसलिए उनकी पूजा में सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प और सफेद आभूषणों का विशेष महत्व है।
इस रंग का धार्मिक महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन, माँ महागौरी की पूजा में उनका श्वेत (सफेद) स्वरूप पवित्रता, शांति, सादगी और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। आइए इसके धार्मिक महत्व को समझते हैं:
पवित्रता और निष्कलंकता का प्रतीक
महागौरी का श्वेत रूप यह दर्शाता है कि वे निर्मल, निष्पाप और परम शुद्ध स्वरूप वाली देवी हैं। सफेद रंग सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि का द्योतक है
शांति और करुणा का प्रतीक
सफेद रंग को शांति और करुणा का प्रतीक माना गया है। महागौरी अपने भक्तों के क्रोध, पाप और दुःख को शांति और धैर्य में बदलने की शक्ति देती हैं।
मोक्ष और आध्यात्मिक उन्नति
धर्मशास्त्रों में सफेद रंग को मोक्ष और आत्मज्ञान से जोड़ा गया है। महागौरी की उपासना से साधक के पाप नष्ट होते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
संपूर्णता और संतोष का संदेश
देवी का श्वेत स्वरूप जीवन में संतोष, मानसिक संतुलन और समृद्धि का आशीर्वाद देता है।
इस प्रकार, महागौरी का प्रिय रंग सफेद न केवल उनके स्वरूप का प्रतीक है बल्कि धार्मिक दृष्टि से शांति, पवित्रता और मुक्ति का संदेश भी देता है।
महागौरी का प्रिय रंग सफेद है, इसलिए पूजा में सफेद वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ माना गया है।
सफेद रंग शांति, पवित्रता और मोक्ष का प्रतीक है। इससे साधक को मानसिक शांति और पापों से मुक्ति मिलती है।
कुछ परंपराओं में बैंगनी (पर्पल) रंग भी देवी को प्रिय बताया गया है। इस रंग के वस्त्र या पुष्प चढ़ाने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
महागौरी माता की पूजा में सफेद रंग का प्रयोग अनिवार्य और सर्वाधिक शुभ माना गया है, जबकि बैंगनी रंग अतिरिक्त रूप से विशेष फल प्रदान करता है।
प्रातः स्नान कर घर के पूजा स्थान को शुद्ध करें और चौकी पर स्वच्छ सफेद या पीला कपड़ा बिछाएँ।
उस पर मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
कलश स्थापित करके उसके मुख पर आम के पत्ते सजाएँ और ऊपर नारियल स्थापित करें।
मां को गंगाजल से स्नान कराएँ और फिर सफेद पुष्प, अक्षत, वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित कर महागौरी मंत्र या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
माता को दूध से बने पकवान और सफेद मिठाई जैसे पेड़ा, खीर या नारियल का भोग लगाएँ।
पूजा के समापन पर माता की आरती करें और तत्पश्चात प्रसाद सभी भक्तों में बाँटें।
माँ महागौरी की पूजा हमें यह सिखाती है कि सच्ची सुंदरता बाहरी रूप से नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता से आती है। उनका स्वरूप हमें शांति, करुणा और पवित्रता का महत्व समझाता है। सफेद रंग के प्रयोग से हम न केवल देवी को प्रसन्न करते हैं, बल्कि अपने जीवन में भी प्रेम, आशा और सद्भाव का संचार करते हैं। दुर्गा अष्टमी का यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि देवी की कृपा से सभी कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं, और जीवन में एक नई शुरुआत होती है।
Did you like this article?
नवरात्रि के नववें दिन पूजित माँ सिद्धिदात्री की पूजा में विशेष भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। जानिए माँ सिद्धिदात्री को कौन-सा भोग प्रिय है और इससे भक्तों को मिलने वाले लाभ।
नवरात्रि के आठवें दिन पूजित माँ महागौरी का वाहन बैल है। जानिए माँ महागौरी के वाहन का महत्व, उसका प्रतीकात्मक अर्थ और भक्तों को मिलने वाले लाभ।
नवरात्रि के आठवें दिन पूजित महागौरी माता शांति, पवित्रता और देवी शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। जानिए महागौरी माता किसका प्रतीक हैं और उनके स्वरूप का धार्मिक महत्व।