क्या आप जानते हैं माँ कालरात्रि को कौन सा फल प्रिय है और इसे अर्पित करने से भक्तों को क्या फल प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल और स्पष्ट शब्दों में।
नवरात्रि का सातवाँ दिन, माँ कालरात्रि की उपासना का दिन है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप जितना भयानक प्रतीत होता है, उतना ही यह अपने भक्तों के लिए कल्याणकारी है। उनकी पूजा से सभी पाप, कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। उनका रूप अंधकार का प्रतीक है, लेकिन उनकी भक्ति से जीवन में ज्ञान और प्रकाश का संचार होता है। वे अपने भक्तों को हर तरह के भय से मुक्ति दिलाकर साहस और सुरक्षा प्रदान करती हैं।
माँ कालरात्रि, देवी दुर्गा का सातवाँ स्वरूप हैं। उनका स्वरूप अत्यंत भयानक और रौद्र है, जो बुराई का नाश करने वाली शक्ति का प्रतीक है।
स्वरूप: उनका शरीर घने अंधकार की तरह काला है। उनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली की तरह चमकती हुई माला है। उनके तीन नेत्र हैं, जो ब्रह्मांड की तरह गोल हैं और जिनसे अग्नि की लपटें निकलती हैं। उनके चार हाथ हैं: दाहिने हाथ ऊपर और नीचे की ओर क्रमशः वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं, जबकि बाएं हाथों में लोहे का काँटा और खड्ग (तलवार) है। उनका वाहन गधा है।
महत्व: उनका यह भयानक स्वरूप सिर्फ राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों के लिए है, भक्तों के लिए वे हमेशा शुभ फल देने वाली हैं। उन्हें ‘शुभंकारी’ भी कहा जाता है। उनकी पूजा से सभी ग्रह बाधाएं दूर होती हैं, और भय से मुक्ति मिलती है। वे भक्तों को बुरी आत्माओं, जादू-टोना और सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों से बचाती हैं।
शास्त्रों में माँ कालरात्रि को चढ़ाए जाने वाले भोगों का उल्लेख है, लेकिन किसी एक विशिष्ट फल को उनका सबसे प्रिय फल नहीं माना गया है। अलग-अलग परंपराओं में फलों को लेकर भिन्न-भिन्न मान्यताएं हो सकती हैं, लेकिन जो भोग उन्हें सबसे प्रिय है, वह है गुड़।
माँ कालरात्रि को चढ़ाई जाने वाली अन्य सामग्री
गुड़ के अलावा, माँ कालरात्रि को उनकी पूजा में कई अन्य सामग्री भी अर्पित की जाती हैं:
तिल और गुड़ के व्यंजन: तिल और गुड़ से बने लड्डू या अन्य मिठाइयाँ उन्हें अर्पित की जाती हैं।
पुष्प: लाल रंग के फूल, जैसे गुड़हल, और रात रानी के फूल उन्हें बहुत प्रिय हैं। ये फूल उनकी शक्ति और रात के अंधकार में भी सुगंध फैलाने के प्रतीक हैं।
नींबू: कुछ जगहों पर नींबू की माला बनाकर देवी को अर्पित की जाती है।
गंगाजल और पंचामृत: गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत भी उन्हें चढ़ाया जाता है।
पूजा में भोग लगाना सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। माँ कालरात्रि को भोग लगाने का विशेष महत्व है:
रोगों से मुक्ति: यह माना जाता है कि गुड़ का भोग लगाने से व्यक्ति को रोगों और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
नकारात्मक ऊर्जा का नाश: माँ को भोग अर्पित करने से वे घर और जीवन से सभी नकारात्मक शक्तियों और बुरी ऊर्जा को दूर करती हैं।
समृद्धि: देवी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और धन का आगमन होता है।
पाप मुक्ति: श्रद्धापूर्वक भोग लगाने से अनजाने में किए गए पापों का नाश होता है।
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा इस विधि से करनी चाहिए:
स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल या काले रंग के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
देवी का आह्वान: पूजा स्थान पर माँ कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें रोली, अक्षत, और लाल फूल अर्पित करें।
भोग और अर्पण: एक साफ थाली में गुड़ और गुड़ से बने व्यंजन, तिल के लड्डू, और अन्य भोग रखें। मंत्रों का जाप करते हुए देवी को ये सभी वस्तुएं श्रद्धापूर्वक अर्पित करें।
मंत्र जाप और आरती: घी का दीपक जलाकर माँ कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें और अंत में श्रद्धापूर्वक उनकी आरती करें।
मुख्य मंत्र: “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः।”
ध्यान मंत्र: “एक वेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥”
फल अर्पण से मिलने वाले लाभ
निर्भयता: गुड़ की मिठास और तिल की ऊर्जा, देवी की कृपा से व्यक्ति के मन से सभी प्रकार के भय को दूर करती है और उसे निर्भय बनाती है।
शत्रुओं पर विजय: उनकी पूजा और भोग से व्यक्ति को अपने शत्रुओं और जीवन की बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है।
सौभाग्य और धन: यह माना जाता है कि गुड़ का भोग अर्पित करने से देवी अपने भक्तों को सुख, सौभाग्य और धन का आशीर्वाद देती हैं।
आध्यात्मिक उन्नति: यह भोग व्यक्ति को शारीरिक ऊर्जा के साथ-साथ आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करता है, जिससे वह साधना के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है।
माँ कालरात्रि का स्वरूप भले ही भयावह लगे, लेकिन वे अपने भक्तों के लिए अत्यंत दयालु हैं। उनकी पूजा करने से व्यक्ति सभी प्रकार के भय, रोग और नकारात्मक शक्तियों से मुक्त हो जाता है। उनकी पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन के अंधकार को दूर करने के लिए साहस और दृढ़ता आवश्यक है।
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