माता ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का दूसरा स्वरूप है, जो कि भक्तों और सिद्धों को शुभ और अनंत फल देने वाला है। साथ ही इनकी तपस्या से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की बढ़ोतरी होती है। वही मां ब्रह्मचारिणी की आरती सुनने से भी मन को बेहद शांति पहुंचती है। यहां पढ़ें माता ब्रह्मचारिणी की आरती।
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
मैया जय ब्रह्मचारिणी मां
जन-जन की उद्धारिणी
जन-जन की उद्धारिणी
चरणों में हमें रखना
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
माला धारणी मैया,
जो जन तुम्हें ध्याता
मैया जो जन तुम्हें ध्याता
ज्ञान ध्यान बढ़ जावे
ज्ञान ध्यान बढ़ जावे
सिद्धि नर पाता
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
अष्ट कमण्डल सोहे
भक्तों की प्यारी
मैया भक्तों की प्यारी
तपस्विनी है मैया
तपस्विनी है मैया
सेवक नर नारी
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
साधक सिद्धि पावे
मां कल्याण करे
मैया मां कल्याण करे
निज भक्तों की मैया
निज भक्तों की मैया
नित उद्धार करे
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
श्वेत वस्त्र है न्यारा
ऋषि मुनि हर्षावे
मैया ऋषि मुनि हर्षावे
त्याग और संयम बढ़ता
त्याग और संयम बढ़ता
जो मां को ध्यावे
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
पूजा जो नित करता
ज्ञान सदा पावे
मैया ज्ञान सदा पावे
अज्ञान तिमिर को मिटावे
अज्ञान तिमिर को मिटावे
चरणों निज आवे
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
द्वितीय नवरात्रों में
पूजा मां की करो
पूजा मां की करो
शक्ति स्वरूपा मां के
शक्ति स्वरूपा मां के
चरणों का ध्यान करो
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
योगियों के मन में मां
सदा निवास करें
मैया सदा निवास करें
साधक कष्ट मिटावे
साधक कष्ट मिटावे
मां भव पार करे
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
ब्रह्मचारिणी मां की
आरती जो भी करे
मैया आरती जो भी करे
ज्योतिर्मय जीवन हो
ज्योतिर्मय जीवन हो
मां से दुख टरे
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
ॐ जय ब्रह्मचारिणी मां
नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है तो वहीं दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की आराधना। ये देवी भी हर मनोकामना करती है। कहते हैं इस दिन कुंडलिनी शक्तियों को जागृत करने के लिए भी साधना की जाती है।
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