क्या आप जानते हैं कालरात्रि माता किस रंग को सबसे प्रिय मानती हैं और इस रंग का उपयोग पूजा में करने से भक्तों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरूप हैं, जिन्हें शक्ति और संरक्षण की देवी माना जाता है। उनका प्रिय रंग गंभीरता, साहस और निडरता का प्रतीक है। इस रंग को धारण करने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और जीवन में आत्मविश्वास बढ़ता है। इस लेख में जानिए मां कालरात्रि का वो पसंदीदा रंग कौन सा है और उसका महत्व।
नवरात्रि, शक्ति की उपासना और साधना का महान पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस पावन पर्व के सातवें दिन, भक्त माँ कालरात्रि की पूजा करते हैं। माँ का यह रूप जितना भयानक दिखाई देता है, उतना ही कल्याणकारी और रक्षक भी है। उनका काला वर्ण, खुले केश और वज्र तथा खड्ग से युक्त रूप दुष्ट शक्तियों के लिए विनाशकारी है, जबकि भक्तों के लिए वे मातृवत स्नेह और संरक्षण की देवी हैं। उनका नाम ही संकेत करता है कि वे काल (मृत्यु) और रात्रि (अंधकार) का नाश करने वाली हैं। इसलिए सातवें दिन की साधना जीवन में निर्भीकता, आत्मविश्वास और दिव्य शक्ति प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
दुर्गा के नौ रूपों में सातवाँ स्वरूप माँ कालरात्रि का है। नवरात्रि के सातवें दिन भक्तगण इसी रूप की आराधना करते हैं। माँ कालरात्रि का स्वरूप हमें जीवन के महान सत्य – मृत्यु – का बोध कराता है। वे इस सत्य का साक्षात्कार कराकर साधक को निर्भीकता और निडरता प्रदान करती हैं। माँ कालरात्रि का रूप अत्यंत उग्र और भयानक दिखाई देता है लेकिन उन्हें काली और शुभंकरी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि वे दुष्टों को पकड़कर खड्ग से उनका संहार कर देती हैं। रक्तबीज के युद्ध में भी देवी के इसी रूप ने दानव का वध किया था।
माँ कालरात्रि न केवल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाती है, बल्कि समस्त नकारात्मक शक्तियों – भूत, प्रेत, दानव और पिशाचों – का नाश भी करती है। इसी कारण उन्हें “संकटनाशिनी” कहा जाता है। उनकी उपासना साधक को भयमुक्त, साहसी और आत्मबल से परिपूर्ण बनाती है।
नवरात्रि में देवी दुर्गा के प्रत्येक स्वरूप की पूजा विशेष रंगों के साथ की जाती है। माना जाता है कि जिस दिन जिस देवी की आराधना की जाती है, उस दिन उनका प्रिय रंग धारण करने से साधक को विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना होती है। परंपरा के अनुसार, इस दिन नीले रंग के वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ माना गया है। नीला रंग शांति, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक है। यह रंग साधक को नकारात्मकता से दूर रखता है और जीवन में आत्मबल प्रदान करता है। कुछ मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि माँ कालरात्रि को हरा रंग भी प्रिय है, और इस रंग के वस्त्र पहनकर की गई पूजा साधक को शुभता और सौभाग्य प्रदान करती है। इसीलिए नवरात्रि में हर दिन एक विशेष रंग धारण करने की परंपरा है, जो देवी के विभिन्न रूपों से जुड़ी होती है।
नवरात्रि में प्रत्येक देवी स्वरूप की पूजा उनके विशेष रंगों से जुड़ी होती है। सातवें दिन की अधिष्ठात्री देवी माँ कालरात्रि हैं। उनका स्वरूप उग्र और भयावह दिखता है, किंतु वे भक्तों के लिए सुरक्षा और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती हैं। इस दिन धारण किए जाने वाले वस्त्रों के रंग का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना गया है।
नीले रंग का महत्व: माँ कालरात्रि के पूजन में नीले रंग को प्रमुख माना गया है। यह रंग आकाश और समुद्र की विशालता का प्रतीक है। नीला रंग शांति, सुरक्षा और विश्वास का द्योतक है। इसे पहनने से साधक का मन शांत होता है, ध्यान में एकाग्रता आती है और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है। यह रंग जीवन में गहराई और संतुलन भी प्रदान करता है, साथ ही नकारात्मक शक्तियों से बचाने वाली दिव्य ढाल का कार्य करता है।
हरे रंग का महत्व: कुछ परंपराओं में माँ कालरात्रि को हरा रंग भी अत्यंत प्रिय माना गया है। हरा रंग जीवन, आशा और समृद्धि का प्रतीक है। इस रंग के वस्त्र पहनकर की गई पूजा भक्तों को शुभ फल और सौभाग्य देती है, साथ ही जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है।
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की आराधना अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। आइए जानते हैं, सप्तमी तिथि पर माँ कालरात्रि की पूजा कैसे की जाती है।
जल्दी उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इस दिन नीले या हरे रंग के वस्त्र विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
एक स्वच्छ चौकी सजाएँ। स पर माँ कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
प्रतिमा/चित्र पर काले रंग की चुनरी चढ़ाएँ। माता को रोली, अक्षत, दीपक और धूप अर्पित करें।
रातरानी का फूल अवश्य अर्पित करें, क्योंकि यह माता को अत्यंत प्रिय है।
गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएँ।
पूजन के अंत में माँ कालरात्रि स्तोत्र का पाठ करें।
अथवा दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी है।
माँ कालरात्रि की पूजा हमें यह सिखाती है कि जीवन के अंधकार और भय को साहस और आत्मविश्वास से जीता जा सकता है। उनकी आराधना से साधक को ऊर्जा, सुरक्षा और निर्भीकता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सप्तमी के दिन नीले या हरे रंग का प्रयोग कर विधिपूर्वक की गई उपासना न केवल माँ को प्रसन्न करती है, बल्कि साधक के जीवन में शांति, सकारात्मकता और नई दिशा का संचार भी करती है।
Did you like this article?
नवरात्रि के सातवें दिन पूजित माता कालरात्रि अंधकार और बुराई नाश की देवी मानी जाती हैं। जानिए माता कालरात्रि किसका प्रतीक हैं और उनके स्वरूप का धार्मिक महत्व।
नवरात्रि के सातवें दिन पूजित माता कालरात्रि का बीज मंत्र अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। जानिए माता कालरात्रि का बीज मंत्र, उसका सही उच्चारण और जाप से मिलने वाले लाभ।
नवरात्रि के सातवें दिन पूजित माँ कालरात्रि को कौन सा फल अर्पित करना शुभ माना जाता है? जानिए माँ कालरात्रि का प्रिय फल, उसका महत्व और इससे मिलने वाले लाभ।