क्या आप जानते हैं ब्रह्मचारिणी माता का प्रिय रंग कौन सा है और नवरात्रि पूजा में इसका क्या महत्व है? यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी सरल शब्दों में।
हर देवी के स्वरूप से एक विशेष रंग जुड़ा होता है। माना जाता है कि नवरात्रि में यदि भक्त उस दिन की देवी के प्रिय रंग को धारण करे या उसे अपने जीवन में अपनाए, तो माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री की उपासना के लिए समर्पित होता है, जबकि नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन पूजित माँ ब्रह्मचारिणी आत्मिक जागृति और साधना की शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। वे सृष्टि में ऊर्जा, कर्मशीलता और आंतरिक सामर्थ्य को बढ़ाने वाली देवी हैं। माँ ब्रह्मचारिणी समस्त जगत की विद्या की अधिष्ठात्री कही जाती हैं। उनका स्वरूप एक सरल कन्या का है, जो सफेद वस्त्र धारण करती हैं। एक हाथ में उनके पास अक्षय माला (जपमाला) और दूसरे हाथ में कमंडल रहता है। ये दोनों ही उनके तप, ज्ञान और वैराग्य के प्रतीक हैं।
उनकी उपासना से भक्तों को आत्मबल, तपस्या की शक्ति और ज्ञान की संपत्ति प्राप्त होती है। ब्रह्मचारिणी का रूप अत्यंत शांत, सौम्य और सरल है। अन्य देवियों की अपेक्षा वे अधिक दयालु मानी जाती हैं और शीघ्र ही अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार को होगी और इसका समापन 1 अक्टूबर, बुधवार को होगा, जबकि 2 अक्टूबर, गुरुवार को विजयादशमी या दशहरा मनाया जाएगा।
माँ ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग सफेद माना जाता है। यह रंग शुद्धता, सादगी और पवित्रता का प्रतीक है। उनका स्वरूप भी इसी रंग को दर्शाता है, क्योंकि वे सदैव सफेद वस्त्र धारण करती हैं।
सफेद रंग आंतरिक शांति और आत्मबल का प्रतिनिधित्व करता है। नवरात्रि के दूसरे दिन जब भक्त माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं, तो सफेद वस्त्र पहनना या पूजा में इस रंग का प्रयोग करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सफेद रंग यह संकेत देता है कि भक्ति में निष्काम भाव, सादगी और आत्मिक पवित्रता आवश्यक है। माँ ब्रह्मचारिणी तप और साधना की देवी हैं, और उनका प्रिय रंग उनके इसी स्वरूप को दर्शाता है।
1. स्वच्छ और सादे वस्त्र: नवरात्रि एक पवित्र पर्व है, इसलिए पूजा-पाठ करते समय भक्तों को हमेशा साफ और सादे वस्त्र पहनने चाहिए। यह शुद्धता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
2. नौ दिनों के नौ रंग: नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा होती है और हर स्वरूप से एक विशेष रंग जुड़ा होता है। भक्त यदि उस दिन की देवी का प्रिय रंग धारण करें, तो विशेष कृपा प्राप्त होती है।
3. महिलाओं के परिधान: महिलाएँ प्रायः साड़ी, सलवार-सूट या लहंगा-चोली पहनती हैं। नवरात्रि के दौरान लाल, पीला, हरा, नीला और नारंगी जैसे चमकीले व ऊर्जावान रंग शुभ माने जाते हैं।
4. पुरुषों के परिधान: पुरुष प्रायः कुर्ता-पायजामा या धोती-कुर्ता पहनते हैं। वे भी उस दिन के अनुसार देवी से जुड़े रंग को धारण करते हैं।
5. सफेद और पीले रंग का महत्व: पूरे नवरात्रि में सफेद और पीला रंग पवित्रता और आस्था का प्रतीक माना जाता है। पूजा के समय इन रंगों के कपड़े पहनने से मन में शांति और भक्ति की भावना प्रबल होती है।
6. भक्ति को महत्व: नवरात्रि में वस्त्रों का चुनाव करते समय ध्यान रखना चाहिए कि यह अवसर केवल फैशन दिखाने के लिए नहीं, बल्कि देवी की भक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का है। सादगी और शालीनता के साथ पहने गए कपड़े सबसे अधिक शुभ फल प्रदान करते हैं।
नवरात्रि एक ऐसा पावन उत्सव है जिसमें माँ दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की आराधना की जाती है। इन नौ दिनों की उपासना से भक्तों को नई ऊर्जा, साहस और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
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