क्या इस मंत्र के जाप से श्रीकृष्ण की कृपा और शांति दोनों मिल सकती हैं? जानिए अर्थ, विधि और वो दिव्य लाभ जो इस मंत्र से प्राप्त होते हैं।
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, जिसमें उन्हें वासुदेव, हरि और परमात्मा के रूप में प्रणाम किया जाता है। इसका अर्थ है। “मैं भगवान कृष्ण, वासुदेव, हरि और परमात्मा को नमस्कार करता हूँ।” इस आर्टिकल में आप जानेंगे इस मंत्र का महत्व, इसे जपने से मिलने वाले फायदे और कब व कैसे इसे जपना चाहिए।
**ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने | प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः ||**
आइए जानते हैं इस मंत्र का अर्थ
ॐ का अर्थ
• परम शक्ति का बीज मंत्र। • सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ध्वनि है। • सृष्टि, स्थिति और संहार का प्रतीक। • भगवान श्रीकृष्ण का आदि स्वरूप भी इसी में निहित है।
कृष्णाय का अर्थ
• कृष्ण का अर्थ है "जो आकर्षित करते हैं।" • यहाँ भगवान श्रीकृष्ण को संबोधित किया जा रहा है। • कृष्ण नाम स्वयं में सौंदर्य, मधुरता, करुणा और दिव्यता का प्रतीक है।
वासुदेवाय का अर्थ
• वासुदेव के पुत्र को। • इस शब्द से श्रीकृष्ण के पारिवारिक और दिव्य स्वरूप की पुष्टि होती है। • साथ ही वासुदेव शब्द का एक गूढ़ अर्थ यह भी है: "जो सभी प्राणियों के हृदय में वास करते हैं।"
हरये का अर्थ
• दुख, पाप और क्लेश का हरने वाले को। • जो संसार के समस्त दुख, पाप, भय, क्लेश और अज्ञान को हर लेते हैं। • हरि नाम से भगवान विष्णु व उनके अवतार श्रीकृष्ण की करुणामूर्ति का संकेत है।
परमात्मने का अर्थ
• जो सम्पूर्ण जगत के आत्मा हैं, परमात्मा हैं। • सम्पूर्ण चराचर जगत के अंदर जो आत्मा के रूप में विद्यमान हैं। • एकमात्र सच्चा ब्रह्म, सृष्टि का आधार और प्राणियों का परम आश्रय।
संपूर्ण भावार्थ
"हे श्रीकृष्ण! हे वासुदेव के पुत्र! हे हरि! जो समस्त जगत के परमात्मा हैं, जो दुखों का नाश करने वाले हैं — मैं आपको प्रणाम करता हूँ, आपकी शरण में आता हूँ।" यह मंत्र भगवान कृष्ण को समर्पित है और उनके विभिन्न नामों का उल्लेख करता है, जैसे कि कृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा और गोविंद।
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने मंत्र के जप से अनेक आध्यात्मिक, मानसिक और सांसारिक लाभ मिलते हैं। आइए जानते हैं........
आध्यात्मिक शांति और स्थिरता
आध्यात्मिक भाव
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