जानें इसे पढ़ने और जाप करने के अद्भुत लाभ। बुरी ऊर्जा, तनाव और नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति पाने का सरल उपाय।
नकारात्मक ऊर्जा को हटाने के लिए कुछ विशेष मंत्र बताए गए हैं, जो हमारे आस-पास के माहौल को शुद्ध करते हैं, हमारे मन को शांति देते हैं और जीवन में सकारात्मक सोच बढ़ाते हैं। इन मंत्रों का नियमित रूप से जाप करने से न सिर्फ घर का वातावरण सुधरता है, बल्कि भीतर से भी व्यक्ति को ऊर्जा और आत्मबल मिलता है।
नकारात्मक ऊर्जा एक ऐसी छुपी हुई ताकत होती है जो व्यक्ति के मन, शरीर और भावनाओं पर धीरे-धीरे बुरा असर डालती है। क्योंकि यह दिखाई नहीं देती, इसलिए ज़्यादातर लोग तुरंत समझ नहीं पाते कि उनके साथ क्या गलत हो रहा है। यह ऊर्जा इंसान को मानसिक रूप से परेशान, भावनात्मक रूप से कमजोर और शारीरिक रूप से थका हुआ महसूस करवा सकती है। इसका असर हमारे शरीर के अंगों पर भी पड़ता है। इसीलिए, नकारात्मक ऊर्जा के असर को समय रहते पहचानना और उसे दूर करना बहुत जरूरी होता है।
घर में होने वाली बहुत ही छोटी-छोटी चीजों से इस बात का पता चल सकता है कि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जा आ चुकी है, जिनमें से कुछ लक्षण इस प्रकार है:
1. इलेक्ट्रॉनिक सामान का बार-बार खराब होना
अगर आपके घर के बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रानिक्स सामान जैसे टीवी, फ्रिज, पंखा या लाइट बार-बार खराब हो रहे हैं, तो यह घर की ऊर्जा में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। बिजली चलती हुई ऊर्जा का प्रतीक है, और इसका बार-बार रुकना या खराब होना यह दर्शाता है कि घर में कोई ऊर्जा रुकावट या नकारात्मक प्रभाव मौजूद है।
2. किसी अदृश्य उपस्थिति का आभास होना
जब घर में कोई नहीं होता, फिर भी आपको ऐसा महसूस हो कि कोई आसपास है, जैसे किसी के कदमों की आहट या किसी का साया दिखना। यह संकेत हो सकता है कि घर में नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय है। रात के समय यह एहसास और भी गहरा हो सकता है, जब ऐसा लगे कि कोई आपको देख रहा है या घर में कुछ अजीब सा हो रहा है।
3. किसी बीमार व्यक्ति का लंबे समय तक ठीक न होना
अगर घर का कोई सदस्य बीमारी से पीड़ित है और दवा-इलाज के बावजूद भी ठीक नहीं हो पा रहा, तो यह सामान्य नहीं है। ऐसा बार-बार होने पर यह माना जा सकता है कि घर का वातावरण सकारात्मक नहीं है और वहां नकारात्मक ऊर्जा का असर हो रहा है।
4. बार-बार दुर्घटनाएं होना
अगर आपके घर में बार-बार किसी न किसी तरह की दुर्घटनाएं हो रही हैं, जैसे गिर जाना, जलना या चोट लगना तो इसे केवल संयोग न मानें। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर चुकी है, जो बार-बार नुकसान पहुंचा रही है।
5. घर में घुसते ही मन भारी होना या मूड बदल जाना
अगर बाहर रहते समय आप सामान्य या खुश महसूस करते हैं, लेकिन जैसे ही आप घर में प्रवेश करते हैं तो मन दुखी हो जाता है, चिड़चिड़ापन आता है या रोने का मन करता है, तो यह साफ संकेत हो सकता है कि घर का वातावरण प्रभावित है। ऐसा माहौल नकारात्मक ऊर्जा के कारण बनता है जो आपके भावनात्मक संतुलन को बिगाड़ देता है।
1. बार-बार चिंता, गुस्सा, डर या ईर्ष्या जैसे भाव मन में भरने लगें तो ये सिर्फ व्यक्ति ही नहीं, पूरे वातावरण को प्रभावित करते हैं।
2. घर में अगर नियमित सफाई न हो, चीज़ें बिखरी हों या कोनों में कचरा जमा हो, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
3. पूजा घर, रसोई या बेडरूम जैसी जगहों का गलत दिशा में होना ऊर्जा के संतुलन को बिगाड़ सकता है और अशुभता बढ़ा सकता है।
4. पुराने और बेकार सामान जैसे बंद घड़ियाँ, खराब इलेक्ट्रॉनिक्स या टूटी वस्तुएं घर की सकारात्मक ऊर्जा को रोकती हैं।
5. अगर घर में अक्सर बहस, झगड़े होते हैं या वहां मौजूद लोग हमेशा शिकायतें और निराशा जताते हैं, तो वहां सकारात्मक ऊर्जा टिक नहीं पाती।
1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
2. ॐ हं हनुमते नमः॥
3. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
4. ॐ कालभैरवाय नमः॥
5. ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥
आप इनमें से किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं जो आपके घर से और आस पास से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करेगा।
1. स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें: शरीर की सफाई से मन भी एकाग्र रहता है और पूजा का प्रभाव बढ़ता है।
2. एक शांत और साफ स्थान चुनें: जहां किसी तरह का शोर या ध्यान भटकाने वाली चीजें न हों।
3. दीया या धूपबत्ती जलाएं: इससे वातावरण पवित्र और भक्तिमय बनता है।
4. उचित आसन पर बैठें: जमीन पर बैठते समय चटाई, कुश या ऊनी कपड़े का आसन उपयोग करें। सीधे ज़मीन पर न बैठें।
5. जप माला का उपयोग करें: 108 दानों वाली तुलसी या रुद्राक्ष की माला से जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है।
6. मंत्र उच्चारण साफ और भाव से करें: जाप करते समय शब्दों का सही उच्चारण और भक्ति का भाव होना ज़रूरी है।
7. जाप का समय रोज एक जैसा रखें: सुबह या शाम का नियमित समय तय करें, ताकि साधना में स्थिरता बनी रहे।
8. अंत में ईश्वर से प्रार्थना करें: जाप के बाद मन ही मन ईश्वर का धन्यवाद करें और आशीर्वाद की कामना करें।
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