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बटुक भैरव मूल मंत्र

संकट और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव के लिए पढ़ें बटुक भैरव मूल मंत्र। जानें मूल मंत्र का संपूर्ण पाठ और इसके लाभ सरल भाषा में।

बटुक भैरव मूल मंत्र के बारे में

बटुक भैरव मूल मंत्र “ॐ बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय स्वाहा” अत्यंत प्रभावशाली है। यह मंत्र साधक को संकटों से बचाता है, भय दूर करता है और आत्मबल बढ़ाता है। नियमित जाप से बटुक भैरव की कृपा प्राप्त होती है।

बटुक भैरव मूल मंत्र

बटुक भैरव मंत्र भगवान भैरव को समर्पित शक्तिशाली मंत्र हैं। भगवान भैरव को खासकर शिव भक्तों द्वारा पूजा जाता है और ये मंत्र उनकी कृपा पाने के लिए बोला जाता हैं। ऐसा माना जाता है कि इन मंत्र के जाप से जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं, भगवान का आशीर्वाद मिलता है और बुरी शक्तियों से बचाव होता है। बटुक भैरव मूल मंत्र एक पवित्र और शक्ति देने वाला मंत्र है। यह भक्त को भगवान की दिव्य शक्ति से जोड़ता है। इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति, सुख और सुरक्षा मिलती है। यह श्रद्धा और शक्ति के साथ उनके स्मरण और आह्वान का प्रतीक है।

बटुक भैरव मूल मंत्र

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"ओम ह्रीं बटुकाय आप्दुधारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं"-

अर्थ:- इस मंत्र का प्रत्येक शब्द एक गहरा और दिव्य अर्थ समेटे हुए है, जो भक्त को आध्यात्मिक ऊर्जा, शक्ति और ज्ञान की ओर ले जाता है।

ओम: "ॐ" एक पवित्र ध्वनि है जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ईश्वर की दिव्यता का प्रतीक है।

ह्रीम: "ह्रीं" बटुक भैरव से जुड़ा एक शक्तिशाली बीज मंत्र है, जो उनकी दिव्य शक्ति, ऊर्जा और तेज का प्रतीक माना जाता है।

बटुकायः यह शब्द भगवान शिव के बालस्वरूप की ओर संकेत करता है, जो अपने रक्षक रूप और भक्तों के कष्ट हरने के लिए पूजे जाते है।

आपदुद्धारणायः इसका अर्थ है संकटों से मुक्ति देने वाला या परेशानियों को दूर करने वाला।

कुरु कुरु: यह किसी कार्य को शीघ्रता से संपन्न करने के लिए ईश्वर से आग्रह करने के रूप में प्रयोग किया जाता है।

बटुकाय ह्रीं: यह मंत्र में भगवान बटुक भैरव के नाम और उनके बीज मंत्र “ह्रीं” की पुनरावृत्ति है, जो उनकी दिव्य शक्ति, ऊर्जा और प्रभाव को और अधिक सशक्त बनाता है।

बटुक भैरव मूल मंत्र का जाप विधि

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • किसी साफ जगह पर भगवान भैरव की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  • लाल या काले रंग का आसन बिछाकर उस पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • घी का दीपक, अगरबत्ती और धूप जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।
  • मन में भगवान बटुक भैरव को याद करें और जो इच्छा हो वो मन में कहें।
  • ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ स्वाहा॥ इस मंत्र को रुद्राक्ष की माला से 108 बार जपें।
  • बटुक भैरव मूल मंत्र का श्रद्धा के साथ जाप करें।
  • भैरव जी को नारियल, गुड़, काले तिल, उड़द और नारियल के लड्डू चढ़ाएं।
  • किसी काले कुत्ते को रोटी या कुछ भोजन खिलाएं। यह भगवान भैरव की सेवा मानी जाती है।
  • अंत में भगवान भैरव की आरती करें और सिर झुकाकर आशीर्वाद मांगें।

बटुक भैरव मूल मंत्र के लाभ

  • यह मंत्र बुरी नजर, काले जादू, श्राप और नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
  • यह जीवन की परेशानियों और मुश्किलों को खत्म करने में मदद करता है।
  • इस मंत्र के जाप से भगवान भैरव की सुरक्षा मिलती है।
  • यह मानसिक शांति, सुख और खुशी लाता है।
  • यह जीवन में अच्छे बदलाव और सफलता दिलाने में मदद करता है।
  • यह मंत्र खुद और अपने परिवार को दुश्मनों, बुरी शक्तियों और डर से बचाता है।
  • यह जाप मंगलवार, शनिवार या भैरव अष्टमी को करना अधिक फलदायी माना जाता है।
  • जाप के दौरान पूर्ण एकाग्रता, श्रद्धा और संयम बनाए रखें।
  • इस मंत्र को लगातार 21 या 40 दिन तक जाप करने से विशेष फल मिलता है।
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Published by Sri Mandir·June 3, 2025

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