हसनंबा मंदिर के दरवाज़े 2025 में कब खुलेंगे?
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हसनंबा मंदिर के दरवाज़े 2025 में कब खुलेंगे?

हसनाम्बा मंदिर साल में सिर्फ कुछ ही दिनों के लिए खुलता है। जानिए 2025 में कब खुलेंगे दरवाज़े और इस रहस्यमयी देवी के दर्शन का सही समय।

हसनाम्बा मंदिर के बारे में

सनातन धर्म में प्राचीन समय से कई चमत्कारी घटनाएं देखने को मिलती हैं। हिंदू धर्म में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जहां आज भी चमत्कार होते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कर्नाटक के हासन जिले में स्थित हसनंबा मंदिर, जो साल में सिर्फ एक बार ही खोला जाता है।

हसनंबा मंदिर: जानें क्यों प्रसिद्ध है ये मंदिर

सनातन धर्म में पुराने समय से ही कई बड़े चमत्कारों के विषय में बताया गया है। हिन्दू धर्म के ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर है जिनके रहस्य को समझ पाना आमजन के लिए संभव नहीं है। इन मंदिरों में आज भी ऐसे चमत्कार होते हैं जिन्हें लोग समझ नहीं पाते हैं। इन्हीं रहस्यमयी मंदिरों में से एक है कर्नाटक के हासन जिले में बना हुआ हसनंबा मंदिर। इस मंदिर को साल में एक बार ही खोला जाता है। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि उस खास दिन चढ़ाए गए फूल पूरे साल तक ताजे रहते हैं।

हसनंबा मंदिर का महत्व

सनातन धर्म की प्राचीन कथाओं में ऐसा बताया गया है कि इस मंदिर के स्थान पर बहुत समय पहले एक राक्षस अंधकासुर हुआ करता था। उसने कठोर तपस्या की जिससे ब्रह्मा जी प्रसन् हो गए और उन्होंने उस राक्षस से वरदान मांगने को कहा। तो उस राक्षस ने उनसे वरदान मांगा कि वो उन्हें अदृश्य होने का आशीर्वाद दे।

जैसे ही उस राक्षस को यह इस वरदान मिला उसने ऋषि, मुनियों और मनुष्यों का जीवन जीना मुश्किल कर दिया, हर तरफ हाहाकार मच गया। संसार की ऐसी हालत देखकर भगवान शिव ने उस राक्षस का वध करने का मन बना लिया। लेकिन वह ऐसा राक्षस था कि उसकी खून की एक-एक बूंद राक्षस बन जाते थे। इसलिए कोई और रास्ता निकालना बहुत जरूरी इसलिए उसके वध के लिए भगवान शिव ने तपयोग से योगेश्वरी देवी का निर्माण किया, जिन्‍होंने अंधकासुर का नाश कर दिया।

हसनंबा मंदिर कब खुलेगा? 

यह मंदिर भक्तों के लिए दिवाली के दौरान केवल 7 दिनों के लिए खुलता है। इसके बाद बालीपद्यमी के उत्सव के तीन दिन बाद मंदिर बंद कर दिया जाता है। दिवाली के खास त्योहार के समय बड़ी संख्या में भक्त यहां आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। सबसे खास बात ये है कि मंदिर जब बंद होने वाला होता है उस समय पर यहां घी का दीपक जलाया जाता है और गर्भगृह में फूलों और पके हुए चावल के प्रसाद के साथ रख देते हैं। जैसी परंपरा है कि इस मंदिर को सिर्फ दिवाली के समय पर खोला जाता है इसलिए यह मंदिर 2025 में 20 अक्टूबर को खुलेगा। इसके बाद पारंपरिक तरीके से यहाँ पूजा की जाएगी और मंदिर में दिया जलाया जाएगा।

कपाट खुलने की विधि और परंपरा

इस पूजा के एक साल बाद जब दोबारा दीपावली के दिन मंदिर के पट खोले जाते हैं, तो वही दीपक जलता हुआ मिलता है। यहां तक की भक्‍तों द्वारा जो देवी हसनंबा पर चढ़ाए गए फूल  होते है वह भी एकदम ताजा होते हैं। यही नहीं, यहां जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, वह प्रसाद भी अगले साल तक ताजा बना रहता है। यह इतना बड़ा रहस्य है कि इसको कोई नहीं समझ पता है। 

विधि 

1. इस मंदिर के कपाट दीपावली के त्योहार से एक दिन पहले बुधवार या गुरुवार को खोले जाते हैं।

2. जब मंदिर खुल जाता है तो इसके बाद देवी हसनंबा की पूजा विशेष विधि से पूजा होती है।

3. इस मंदिर को 7 दिन तक दर्शन के लिए  खोला जाता है।

4. इस खास पूजा के बाद, दीया जलाकर माता को अर्पित किया जाता है और मंदिर के कपाट फिर से एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। 

हसनंबा मंदिर का धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म मे कई सारी मान्यताएं हैं उन्हीं में से एक इस मंदिर से जुड़ी हुई है ऐसा माना जाता है कि जब एक बार सात मातृका यानी ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वारही, इंद्राणी और चामुंडी दक्षिण भारत की ओर तैरते हुए पहुँच गई तो वे हसन क्षेत्र की सुंदरता देखकर मंत्रमुग्ध हो गई और तब से उन्होंने ऐसा मन बनाया कि वो यहीं बस जाएंगी। तभी से हसनंबा और सिद्धेश्वर को समर्पित इस मंदिर के मुख्य परिसर में तीन अन्य मंदिर भी हैं। हसनंबा में जो सबसे मुख्य मीनार है उसका निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है। इसी जगह पर एक अन्य प्रमुख आकर्षण भी है जो कलप्पा को समर्पित मंदिर है। हसनंबा देवी को शक्ति की देवी का स्वरूप माना जाता है।

  • भक्तों में ऐसी मान्यता है कि माता अपने भक्तों की रक्षा करती हैं और बुरी शक्तियों को दूर करती हैं।

  • देवी माँ का ये मंदिर चमत्कारी मंदिरों में गिना जाता है क्योंकि साल भर बंद रहने के बाद भी मंदिर के अंदर का वातावरण बिल्कुल ताज़ा रहता है।

  • भक्त ऐसा मानते हैं कि यहाँ पूजा करने से कष्टों से मुक्ति और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मंदिर के चमत्कार

भक्त ऐसा मानते हैं कि देवी हसनंबा ने एक बार एक बहू को परेशान करने वाली सास को पत्थर बना दिया था। इसी तरह, देवी के गहने चुराने की कोशिश करने वाले चार चोरों को भी पत्थर में बदल दिया। ये चार पत्थर आज भी कलप्पा गुड़ी में देखे जा सकते हैं।

ऐसा माना जाता है कि ये पत्थर हर साल एक इंच सरकते हैं। कहते हैं, जिस दिन ये पत्थर देवी हसनंबा के चरणों तक पहुंच जाएंगे, उसी दिन कलियुग का अंत हो जाएगा।

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Published by Sri Mandir·June 16, 2025

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