बसंत पंचमी शाही स्नान मुहूर्त 2025
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बसंत पंचमी शाही स्नान मुहूर्त 2025

इस दिन के महत्व को समझें और स्नान और पूजा से पुण्य अर्जित करें, साथ ही देवी सरस्वती के आशीर्वाद से जीवन में ज्ञान लाएं!

बसंत पंचमी शाही स्नान के बारे में

बसंत पंचमी हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से सरस्वती पूजन और बसंत ऋतु के आगमन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा के साथ-साथ सर्दी के मौसम के बाद आने वाली गर्मी की शुरुआत का प्रतीक होता है। खासकर कुंभ मेला में इस दिन का शाही स्नान विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।

बसंत पंचमी शाही स्नान

कुम्भ के प्रमुख स्नान पर्वों में बसंत पंचमी तीसरा और आखिरी शाही स्नान है। बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा के दिन संगम में स्नान करना विशेष पुण्य देने वाला माना गया है, इससे देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या के बाद तीसरे शाही स्नान बसंत पंचमी पर भी त्रिवेणी स्नान करता है, उसे पूरे कुंभ स्नान का फल प्राप्त होता है। बता दें कि बसंत पंचमी पर स्नान-ध्यान, जप-तप, पूजा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।

बसंत पंचमी शाही स्नान मुहूर्त

  • वसन्त पंचमी, 02 फरवरी 2025, रविवार को मनाई जाएगी।
  • वसन्त पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त - 09:14 AM से 12:12 PM तक
  • वसन्त पंचमी मध्याह्न का क्षण - 12:12 PM
  • पंचमी तिथि प्रारम्भ - 02 फरवरी 2025, 09:14 AM
  • पंचमी तिथि समाप्त - 03 फरवरी 2025 को 06:52 AM

महाकुंभ में स्नान का महत्व

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में किया जाता है। 2025 में महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस दौरान करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करके a अपना जीवन धन्य करेंगे।

महाकुंभ में किए गए स्नान, दान और पूजा को मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना गया है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही, इस दिन किया गया दान-पुण्य भी विशेष फलदायक होता है। मान्यता है कि इस दिन किए गई स्नान दान से सिर्फ ईश्वर ही नहीं, बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

महाकुंभ पूजा विधि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं
  • अब अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर का ध्यान करें और पवित्र नदी को प्रणाम करें।
  • नदी में प्रवेश से पहले गंगा स्तुति या "ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। नर्मदे सिंधु कावेरी जलऽस्मिन सन्निधिं कुरु।।" का जाप करें।
  • अब त्रिवेणी संगम में तीन बार डुबकी लगाएं।
  • इसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
  • स्नान के बाद वस्त्र, भोजन, तिल, चावल, आटा आदि का दान करें।
  • इसके बाद संगम तट पर आरती करें, और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

महाकुंभ में दान का महत्व

महाकुंभ में दान को असंख्य पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस अवधि में किया गया दान न केवल इस जन्म में, बल्कि अगले जन्म में भी शुभ फल प्रदान करता है। इस दिन किए गए दान से जातक को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है, और ग्रह दोष समाप्त होते हैं। ध्यान रहे कि दान हमेशा श्रद्धा और निःस्वार्थ भाव से करें।

महाकुंभ में दान की विधि

  • आर्थिक समृद्धि और सुख-शांति के लिए चावल का दान करें।
  • दरिद्रता को समाप्त करने के लिए वस्त्र दान करें।
  • पितृ दोष से छुटकारा दिलाने और ग्रह दोषों को शांत करने के लिए तिल का दान करें।
  • अन्न के अभाव से बचने और समृद्धि लाने के लिए आटा का दान करें।

तो यह थी बसंत पंचमी शाही स्नान से जुड़ी विशेष जानकारी। महाकुंभ 2025 के विशेष दिनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ के साथ

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Published by Sri Mandir·January 3, 2025

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