महादशा के प्रभाव: जीवन पर असर और उपाय
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महादशा के प्रभाव: जीवन पर असर और उपाय

क्या आप जानना चाहते हैं महादशा आपके जीवन को कैसे बदल सकती है? पढ़ें महादशा के शुभ-अशुभ प्रभाव और ग्रहों के अनुसार उपाय।

महादशा के प्रभाव के बारे में

आपने महादशा के बारे में सुना तो जरूर होगा, लेकिन ये होता क्या है इसके बारे में शायद ही जानते होंगे। तो आज के इस लेख में हम जानेंगे कि महादशा क्या होती है, इसका ज्योतिष में क्या महत्व है, यह कितनी देर तक चलती है और जातक के जीवन पर इसका प्रभाव कैसा होता है। तो देरी कैसी आइए समझें महादशा के बारे में पूरी जानकारी।

महादशा क्या होती है?

क्या आपने कभी किसी को यह कहते सुना है इसकी तो शनि की महादशा चल रही है, सब उल्टा ही हो रहा है! या फिर गुरु की महादशा ने इसकी किस्मत ही बदल दी! ऐसे वाक्य अक्सर हम सुनते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये महादशा होती क्या है। दरअसल, ज्योतिष्शास्त्र के अनुसार, महादशा जिसे विंशोत्तरी दशा प्रणाली के नाम से जाना जाता है। एक विशेष कालावधि होती है जिसमें कोई एक ग्रह जातक के जीवन पर विशेष प्रभाव डालता है। महादशा जिसमें महा का अर्थ है विशाल और दशा का मतलब है समय अवधि। यह दशा वर्षों तक चलती है और व्यक्ति के जीवन में शुभ-अशुभ परिणाम लाती है, जो उसकी कुंडली में उस ग्रह की स्थिति पर निर्भर करता है। वहीं, महादशा के साथ-साथ अंतर्दशा (संबंधित ग्रह की छोटी अवधि) और प्रत्यंतर दशा (और भी छोटी अवधि) भी चलती हैं, जो जीवन की घटनाओं को प्रभावित करती हैं।

महादशाएं कितनी होती हैं?

विंशोत्तरी प्रणाली में कुल 9 महादशाएं होती हैं

1. सूर्य महादशा 2. चंद्र महादशा 3. मंगल महादशा 4. राहु महादशा 5. गुरु (बृहस्पति) महादशा 6. शनि महादशा 7. बुध महादशा 8. केतु महादशा 9. शुक्र महादशा

हर ग्रह की महादशा का समय अलग होता है। यदि महादशाा को बेहतर तरीके से जानना है तो ऐसे में सही मार्गदर्शन और ज्योतिषीय परामर्श से महादशा को समझा जा सकता है ।

महादशा और ग्रहों का संबंध

ज्योतिष शास्त्र में ग्रह और महादशा का गहरा संबंध होता है। किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में स्थित ग्रह न केवल उसके स्वभाव, सोच और व्यवहार को प्रभावित करते हैं, बल्कि जीवन की घटनाओं और परिवर्तनों को भी नियंत्रित करते हैं। हर ग्रह की एक निश्चित महादशा होती है, जो वर्षों तक चलती है और उस अवधि में वही ग्रह व्यक्ति के जीवन पर प्रमुख प्रभाव डालता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की महादशा चल रही है, तो शनि से संबंधित गुण, परिस्थितियाँ और फल सामने आते हैं। चाहे वे शुभ हों या अशुभ, यह उस ग्रह की कुंडली में स्थिति पर निर्भर करता है। इसी प्रकार गुरु की महादशा में ज्ञान, धर्म और करियर में उन्नति हो सकती है, यदि गुरु शुभ स्थिति में हो। महादशा के दौरान ग्रह की स्थिति, भाव, दृष्टि और उसके साथ संबंध में बैठे अन्य ग्रह मिलकर यह तय करते हैं कि उस समय जीवन में कैसी परिस्थितियाँ आएंगी। इस प्रकार, ग्रहों की स्थिति और महादशा मिलकर व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा निर्धारित करते हैं।

महादशा कैसे निर्धारित की जाती है?

ज्योतिष शास्त्र में महादशा किसी व्यक्ति के जीवन की घटनाओं और परिवर्तनों को प्रभावित करने वाली एक प्रमुख प्रणाली है। यह दशा प्रणाली जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति और नक्षत्र पर आधारित और निर्धारित होती है।

  • दशा स्वामी का निर्धारणः प्रत्येक महादशा का स्वामी एक ग्रह होता है। उदाहरणतः, शुक्र महादशा में शुक्र ग्रह का प्रभाव सबसे अधिक होता है।
  • ग्रह की कुंडली में स्थितिः महादशा का प्रभाव इस पर निर्भर करता है कि दशा स्वामी ग्रह कुंडली में किस भाव में स्थित है शुभ भाव (जैसे 1, 5, 9) में हो तो सकारात्मक फल मिलते हैं।
  • ग्रह की राशि पर शासनः हर ग्रह कुछ राशियों का स्वामी होता है। जैसे शुक्र, वृषभ और तुला राशि का स्वामी है। ये राशियाँ कुंडली में कहां स्थित हैं, यह भी महादशा के फल को प्रभावित करता है।
  • केंद्र और त्रिकोण भावों में स्थितिः यदि दशा स्वामी केंद्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (1, 5, 9) भावों में स्थित हो, तो उसका प्रभाव प्रबल और अधिक शुभ माना जाता है।
  • ग्रह की स्थिति: उच्च, नीच या मित्र राशि में। यदि ग्रह उच्च राशि में हो तो वह शुभ फल देता है; नीच राशि में होने पर इसके परिणाम बाधित हो सकते हैं।
  • अन्य ग्रहों के साथ संबंधः दशा स्वामी पर अन्य ग्रहों की दृष्टि या युति (संयोग) शुभ या अशुभ प्रभाव डालती है।
  • अन्य ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभावः महादशा के दौरान जो अंतर्दशाएं चल रही होती हैं, वे भी दशा के परिणामों को बदल सकती हैं।
  • कुंडली के अनुसार व्यक्तिगत भिन्नताः हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है। इसलिए एक ही महादशा अलग-अलग लोगों पर अलग प्रभाव डाल सकती है। इस प्रकार महादशा का निर्धारण केवल ग्रह के नाम से नहीं, बल्कि उसकी स्थिति, भाव, दृष्टि, युति और अन्य दशाओं के परस्पर संबंध से किया जाता है।

ग्रहों की महादशा और उनकी अवधि

ज्योतिष शास्त्र में महादशा को जीवन के प्रमुख कालखंडों के रूप में देखा जाता है, जिनमें विभिन्न ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। विंशोत्तरी दशा प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक ग्रह की अपनी निश्चित महादशा होती है, जिसकी कुल अवधि 120 वर्षों की मानी जाती है। जानकारी के अमुसार, यह आयु एक आदर्श मानक के रूप में स्वीकार की गई है, ताकि व्यक्ति जीवन में सभी नौ ग्रहों की दशाओं का अनुभव कर सके।

ग्रहों की महादशाएं और उनकी अवधि

  • सूर्य: 6 वर्ष
  • चंद्रमा: 10 वर्ष
  • मंगल: 7 वर्ष
  • राहु: 18 वर्ष
  • गुरु (बृहस्पति): 16 वर्ष
  • शनि: 19 वर्ष
  • बुध: 17 वर्ष
  • केतु: 7 वर्ष
  • शुक्र: 20 वर्ष

जानकारी के अमुसार, शुक्र, शनि, राहु, बुध और गुरु की महादशाएं सबसे लंबी होती हैं, जबकि सूर्य, चंद्रमा, मंगल और केतु की महादशाएं अपेक्षाकृत छोटी होती हैं। हर ग्रह की दशा में व्यक्ति के जीवन में उस ग्रह से संबंधित अनुभव होते हैं।

महादशा के प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में महादशा का प्रभाव व्यक्ति की जन्म कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। जब कोई ग्रह अपनी उच्च राशि में, अनुकूल भाव में या शुभ ग्रहों के साथ स्थित होता है, तो उसकी महादशा आमतौर पर जीवन में सकारात्मक परिणाम लाती है। जैसे कि सफलता, समृद्धि, सम्मान और मानसिक शांति। वहीं, यदि ग्रह नीच राशि में, अशुभ भावों में हो या पाप ग्रहों के प्रभाव में हो, तो उसकी महादशा कठिनाइयों, मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याओं और संघर्षों का कारण बन सकती है। हालांकि, महादशा का प्रभाव पूर्ण रूप से पूर्वनिर्धारित नहीं होता। व्यक्ति अपने कर्म, आचरण और प्रयासों से इसके प्रभावों को नियंत्रित कर सकता है। नकारात्मक महादशा के दौरान यदि व्यक्ति संयम, सकारात्मक सोच, दान-पुण्य और आध्यात्मिक साधना को अपनाता है, तो कठिन समय को काफी हद तक संतुलित किया जा सकता है। वहीं, शुभ महादशा में भी अगर व्यक्ति आलस्य, अहंकार या लापरवाही में पड़ जाए, तो वह उस अवसर का लाभ नहीं उठा पाता। इसीलिए, महादशा को केवल भाग्य का खेल मानना उचित नहीं है। यह जीवन के उतार-चढ़ाव का वह चक्र है जो कर्म और आत्मविकास के अवसर देता है।

महादशा के दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं?

सही दिशा में कर्म करना और सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक होता है। ऐसे में आइए जानें महादशा के दौरान क्या करें और क्या नहीं।

महादशा के दौरान क्या करें?

  • ज्योतिषी से सलाहः जन्मकुंडली दिखाकर महादशा, अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा का विश्लेषण जरूर करवाएं।
  • ग्रहों से संबंधित उपायः संबंधित ग्रह के मंत्रों का जाप करें, दान-पुण्य करें और पूजा-पाठ अपनाएं।
  • सकारात्मक सोचः महादशा के दौरान कठिन समय में भी विश्वास और आत्मबल बनाए रखें।
  • धैर्य और संयमः महादशा के दौरान धैर्य से काम लें।
  • हनुमान चालीसा का पाठः विशेषकर शनि और राहु की महादशा के दौरान हनुमान का चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है।
  • दान-पुण्यः महादशा के दौरान दान-पुण्य फलदायी होता है। जैसे शनि की दशा में काले तिल, कपड़े व तेल, केतु में बाजरा और राहु में काले रंग की वस्तुएं दान करना अच्छा होता है।
  • सात्विक जीवनशैलीः महादशा के दौरान आहार-विहार में संयम रखें और नैतिकता का पालन करें।

महादशा के दौरान क्या न करें?

  • क्रोध और उत्तेजना से बचेंः महादशा के दौरान क्रोध और उत्तेजना न करें क्योंकि यह निर्णयों को प्रभावित कर सकता है।
  • नकारात्मक कर्म से बचेंः नकारात्मक कर्म महादशा के प्रभाव को और बिगाड़ सकते हैं।
  • विनम्रता लाएंः महादशा में विनम्रता जीवन में संतुलन बनाए रखती है।
  • अधार्मिक कार्य से बचेंः अधार्मिक कार्य महादशा को अशुभ बना सकते हैं।
  • आत्मविश्वास और आशा बनाए रखेंः महादशा में आत्मविश्वास और आशा बनाए रखें।

जानकारी के अनुसार, महादशा का प्रभाव पूर्णतः नकारात्मक या सकारात्मक नहीं होता। कुंडली के ग्रहों की स्थिति, दृष्टि और युति के आधार पर इसका असर तय होता है। इसलिए किसी भी दशा में विवेकपूर्ण निर्णय लेना, शुभ कर्म करना और ज्योतिषीय सलाह लेना अत्यंत आवश्यक होता है।

महादशा में उपाय

महादशा न तो पूर्णतः शुभ होती है और न ही पूरी तरह अशुभ। सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उस ग्रह की कुंडली में स्थिति कैसी है। ऐसे में, उचित ज्योतिषीय उपाय करके इन प्रभावों को संतुलित किया जा सकता है।

  • सूर्य महादशाः सूर्य की अशुभ महादशा में ॐ घृणि: सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। आदित्य स्तोत्र का पाठ करें और अनामिका में तांबे की अंगूठी या माणिक्य धारण करें। लाल वस्त्र, मसूर की दाल, गुड़ और अनार का दान करें।
  • चंद्र महादशाः ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम: मंत्र का जाप करें। शिव-पार्वती की पूजा, रुद्राभिषेक और सोमवार को दूध व श्वेत चंदन से अर्घ्य दें। चांदी का चंद्रमा पहनें और मोती धारण करें।
  • मंगल महादशाः ॐ अं अंगारकाय नम: मंत्र जपें। सात मंगलवार हनुमान जी को चोला चढ़ाएं और मूंगा धारण करें। बंदरों को गुड़-चना खिलाएं और मंगल की वस्तुएं दान करें।
  • बुध महादशाः ॐ बुं बुधाय नम: मंत्र का जाप करें। मां दुर्गा की पूजा करें, दुर्गा सप्तशती पढ़ें और बुधवार को गौ सेवा करें। पन्ना या ओनेक्स धारण करें।
  • गुरु महादशाः ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: मंत्र का जाप करें। भगवान विष्णु की पूजा, पीले वस्त्र धारण करें और केले के पेड़ पर घी का दीपक जलाएं। चने की दाल, हल्दी और पीले फूल दान करें। पुखराज धारण करें।
  • शुक्र महादशाः ॐ शुं शुक्राय नम: मंत्र का जाप करें। मां लक्ष्मी की पूजा, श्रीसूक्त का पाठ करें। शुक्र से संबंधित वस्तुओं का दान करें और हीरा या ओपल धारण करें।
  • शनि महादशाः ॐ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें। शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें, पीपल के नीचे दीपक जलाएं और असहायों की सेवा करें। काले कुत्ते को रोटी दें।
  • राहु महादशाः ॐ रां राहवे नम: मंत्र जपें। भगवान शिव व भैरव की पूजा करें। काले कुत्ते को रोटी व पक्षियों को जौ खिलाएं। गोमेद रत्न धारण करें।
  • केतु महादशाः ॐ कें केतवे नम: मंत्र का जाप करें। गणेश जी की पूजा करें, पक्षियों को बाजरा खिलाएं, मंदिर में कंबल दान करें और लहसुनिया मध्यमा उंगली में पहनें।

हालांक बताए गए ये उपाय तभी प्रभावी माने जाते हैं जब किसी योग्य ज्योतिषी द्वारा कुंडली की स्थिति का विश्लेषण कर सलाह ली जाए। स्वयं से कोई रत्न या उपाय करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूरी है।

महादशा कैलकुलेटर कैसे काम करता है?

महादशा कैलकुलेटर वैदिक ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की दशाओं यानी महादशा और अंतर्दशा की गणना करता है। यह मुख्य रूप से विंशोत्तरी दशा प्रणाली पर आधारित होता है, जिसमें कुल 120 वर्षों के जीवन चक्र को ग्रहों की अलग-अलग अवधि में बांटा जाता है। महादशा कैलकुलेटर काम करने के लिए व्यक्ति की जन्म तिथि, समय और स्थान की जानकारी लेता है। इसके बाद यह जन्म के समय स्थित नक्षत्र की गणना करता है, जो यह निर्धारित करता है कि किस ग्रह की महादशा कब शुरू हुई और कितनी लंबी होगी। कैलकुलेटर ग्रहों की अवधि के आधार पर यह भी बताता है कि महादशा के अंदर कौन-कौन सी अंतर्दशाएं चल रही हैं। इससे व्यक्ति जान सकता है कि उसके जीवन के किस समय कौन सा ग्रह प्रभावी होगा और उसके फलस्वरूप क्या संभावित घटनाएं हो सकती हैं।

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Published by Sri Mandir·August 26, 2025

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