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केतु कवच

क्या आप जानते हैं केतु ग्रह की दशा में केतु कवच का पाठ आपको मानसिक शांति और ग्रह पीड़ा से मुक्ति दिला सकता है? जानिए इसकी विधि और लाभ।

केतु कवच के बारे में

केतु कवच एक शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है जो केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों से रक्षा करता है। इसका नियमित पाठ जीवन में अचानक आने वाली समस्याओं, बाधाओं और मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है। केतु कवच साधक को आध्यात्मिक उन्नति, बुद्धि और रहस्यमयी ज्ञान की प्राप्ति में सहायक बनाता है।

केतु कवचम्

केतु कवचम् एक अत्यधिक प्रभावी और शक्तिशाली मंत्र है, जिसे विशेष रूप से केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचने और उसके दोषों को शमन करने के लिए जाप किया जाता है। केतु ग्रह को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है, और इसे "द्वादश ग्रहों में एक प्रमुख ग्रह" माना जाता है। इस ग्रह का संबंध अक्सर मानसिक उथल-पुथल, अचानक घटनाओं, रोगों, और अशांति से होता है। केतु कवचम् का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, मानसिक संतुलन, और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

केतु कवचम् का पाठ इस प्रकार है

ॐ अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमहामन्त्रस्य त्र्यम्बक-ॠषिः।

अनुष्टुप् छन्दः। केतुर्देवता। कं बीजम्। नमः शक्तिः।

केतुरिति कीलकम्। केतुकृतपीडानिवारणार्थे सर्वरोगनिवारणार्थे

सर्वशत्रुविनाशनार्थे सर्वकार्यसिद्ध्यर्थे केतुप्रसादसिद्ध्यर्थे च जपे विनियोगः।

केतु कवचम् श्लोक

केतुं करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम्।

प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम्।

चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः।

पातु नेत्रे पिङ्गलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः।

घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः।

पातु कण्ठं च मे केतुः स्कन्धौ पातु ग्रहाधिपः।

हस्तौ पातु सुरश्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः।

सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः।

ऊरू पातु महाशीर्षो जानुनी मेऽतिकोपनः।

पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिङ्गलः।

य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम्।

सर्वशत्रुविनाशं च धारयेद्विजयी भवेत्।

केतु कवचम् का अर्थ

केतु का ध्यान

मैं हमेशा केतु को प्रणाम करता हूँ, जिसका चेहरा भयावह है, जो रंग-बिरंगा है, जो मुकुट पहने हुए है और जो ग्रहों का स्वामी है। वह ध्वज के आकार में है और ग्रहों का शासक है। यह ध्यान करने से केतु की शक्ति और प्रभाव जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।

केतु की रक्षा

  • चित्रवर्ण (रंग-बिरंगे रंगों वाले) केतु के शिरः पातु (सिर की रक्षा करें)
  • भालं धूम्रसमद्युतिः (भाल की रक्षा करें, जो धुएं जैसी आभा वाली है)
  • पातु नेत्रे पिङ्गलाक्षः (आंखों की रक्षा करें, जो पीले रंग की हैं
  • श्रुती मे रक्तलोचनः (सुनने की क्षमता की रक्षा करें, रक्तलाल आंखों वाले द्वारा)
  • घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः (गंध की रक्षा करें, जो सोने जैसे चमकदार है)
  • पातु कण्ठं च मे केतुः (गर्दन की रक्षा करें)
  • स्कन्धौ पातु ग्रहाधिपः (कंधों की रक्षा करें, ग्रहों के स्वामी से)
  • हस्तौ पातु सुरश्रेष्ठः (हाथों की रक्षा करें, देवों के सर्वोत्तम द्वारा)
  • कुक्षिं पातु महाग्रहः (पेट की रक्षा करें, महान ग्रह द्वारा)
  • सिंहासनः कटिं पातु (कमर की रक्षा करें, सिंहासन पर बैठे हुए द्वारा)
  • मध्यं पातु महासुरः (पेट की मध्य भाग की रक्षा करें, महान असुर से)
  • ऊरू पातु महाशीर्षो: (जांघों की रक्षा करें, महान सिर वाले द्वारा)
  • जानुनी मेऽतिकोपनः (घुटनों की रक्षा करें, जो अत्यधिक क्रोधित हैं)
  • पातु पादौ च मे क्रूरः (पांवों की रक्षा करें, जो क्रूर हैं)
  • सर्वाङ्गं नरपिङ्गलः (सभी अंगों की रक्षा करें, नर पिंगल के द्वारा)

केतु कवचम् का फल

  • जो व्यक्ति इस दिव्य कवच का नियमित पाठ करता है, वह सभी रोगों से मुक्त होता है, और शत्रुओं का नाश करता है
  • यह कवच न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता आती है।
  • जो व्यक्ति इस कवच को धारण करता है, वह विजयी होता है और सभी संकटों से मुक्त हो जाता है।

केतु कवचम् का पाठ करने के लाभ

आध्यात्मिक उन्नति

केतु ग्रह का संबंध आध्यात्मिकता से भी है, और यह व्यक्ति की ध्यान, योग, और आत्मा की उन्नति के लिए मददगार होता है। इस कवच का पाठ करने से साधक को ध्यान और योग में सिद्धि प्राप्त हो सकती है।

रोगों से मुक्ति

केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव से शरीर में अज्ञात रोग उत्पन्न हो सकते हैं। केतु का प्रभाव शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। केतु कवच का पाठ करने से यह रोग दूर होते हैं और शरीर में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

शारीरिक और मानसिक शांति

मानसिक अवसाद, चिंता, और अशांति को दूर करने में केतु कवच अत्यंत प्रभावी होता है। यह मानसिक शांति की प्राप्ति में मदद करता है, जिससे व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।

आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव

केतु ग्रह अकस्मात घटनाओं और दुर्घटनाओं से संबंधित है। यह कवच व्यक्ति को ऐसी घटनाओं से बचाता है, और उसे सुरक्षित रखने में मदद करता है।

रहस्यमय शक्तियों की प्राप्ति

केतु ग्रह से जुड़ी शक्तियाँ रहस्यमय और गूढ़ होती हैं। केतु कवच का पाठ करने से साधक को ऐसी रहस्यमय शक्तियों की प्राप्ति हो सकती है, जो उसके जीवन में गहरी समझ और सृजनात्मकता ला सकती हैं।

केतु कवचम् पाठ विधि

स्नान और शुद्धि

केतु कवच का पाठ करते समय, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना चाहिए। यह व्यक्ति की आंतरिक और बाहरी शुद्धता को दर्शाता है और उपासना को अधिक प्रभावी बनाता है।

दिन का चुनाव

केतु के लिए विशेष रूप से गुरुवार और शनिवार का दिन शुभ होता है। इन दिनों में केतु कवच का पाठ करना विशेष फलदायक होता है। इन दिनों के दौरान विशेष ध्यान और साधना करने से इसके प्रभाव को अधिकतम किया जा सकता है।

मंत्र जप

किसी शांत और उपयुक्त स्थान पर, जहां कोई विघ्न न हो, केतु कवच का पाठ करें। ध्यान और पूर्ण एकाग्रता के साथ इस मंत्र का जाप करें। यदि संभव हो तो एक शांतिपूर्ण वातावरण में, दीपक और धूप जलाकर, संकल्प लें और मंत्र का उच्चारण करें।

साधक का संकल्प

पाठ के दौरान, साधक को संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने जीवन में किसी भी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए इस कवच का पाठ कर रहा है। इसके अलावा, साधक को किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह पाठ करना चाहिए, जैसे मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य या आध्यात्मिक उन्नति।

केतु कवचम् एक अत्यंत शक्तिशाली और दिव्य कवच है, जो केतु ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायक है। इस कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह कवच न केवल रोगों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि अचानक दुर्घटनाओं और शत्रुओं से भी रक्षा करता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का जीवन अधिक शांत, स्थिर, और सफल बनता है।

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Published by Sri Mandir·April 8, 2025

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