छिन्नमस्ता कवच
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छिन्नमस्ता कवच

क्या आप जानते हैं कि छिन्नमस्ता कवच के पाठ से तांत्रिक शक्तियां जागृत होती हैं और शत्रु बाधाएं दूर होती हैं? जानें इसकी विधि, लाभ और शक्तिशाली श्लोक।

छिन्नमस्ता कवच के बारे में

छिन्नमस्ता कवच न केवल शत्रुओं से रक्षा करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि भी लाता है। इस लेख में हम छिन्नमस्ता कवच के पाठ करने के लाभ और इसकी विधि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

छिन्नमस्ता कवच श्लोक

हुं बीजात्मका देवी मुण्डकर्तृधरापरा।

हृदय पातु सा देवी वर्णिनी डाकिनीयुता।।

श्रीं ह्रीं हुं ऐं चैव देवी पुर्व्वास्यां पातु सर्वदा।

सर्व्वांगं मे सदा पातु छिन्नमस्ता महाबला।।

वज्रवैरोचनीये हुं फट् बीजसमन्विता।

उत्तरस्यां तथाग्नौ च वारुणे नैऋर्तेऽवतु।।

इन्द्राक्षी भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।

सर्व्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै।।

इदं कवचमज्ञात्वा यो जपेच्छिन्नमस्तकाम्।

न तस्य फलसिद्धिः स्यात्कल्पकोटिशतैरपि।।

छिन्नमस्ता कवच

हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष महत्व है, और इनमें से छठी महाविद्या के रूप में माँ छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। माँ छिन्नमस्ता एक उग्र और शक्तिशाली देवी हैं, जिनका स्वरूप अत्यंत रहस्यमयी और प्रभावशाली है। इनका नाम "छिन्नमस्ता" इसलिए पड़ा क्योंकि इन्होंने अपने ही सिर को काटकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया था। छिन्नमस्ता कवच एक शक्तिशाली मंत्रात्मक रचना है, जो भक्तों को सुरक्षा, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।

छिन्नमस्ता कवच का पाठ करने के लाभ / फायदे

शत्रुओं से रक्षा

छिन्नमस्ता कवच को सभी प्रकार के शत्रुओं का नाश करने वाला माना जाता है। यह न केवल बाहरी शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि आंतरिक नकारात्मकता जैसे क्रोध, ईर्ष्या और भय को भी नष्ट करता है। जो लोग अपने जीवन में शत्रुओं से परेशान हैं, उनके लिए यह कवच एक रक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।

मानसिक शांति और स्थिरता

माँ छिन्नमस्ता का स्वरूप उग्र होने के बावजूद उनके कवच का पाठ करने से मन को शांति मिलती है। यह चिंता, तनाव और अवसाद को दूर करता है। नियमित पाठ से व्यक्ति का मन स्थिर होता है और वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनता है।

आध्यात्मिक उन्नति

छिन्नमस्ता कवच का पाठ करने से साधक की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। यह कुंडलिनी जागरण और चक्रों के संतुलन में सहायक होता है। जो लोग तंत्र-मंत्र की साधना करते हैं, उनके लिए यह कवच सिद्धि प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार

इस कवच के पाठ से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो लंबे समय से किसी बीमारी से पीड़ित हैं।

संकटों से मुक्ति

जीवन में आने वाले अप्रत्याशित संकटों, जैसे आर्थिक हानि, पारिवारिक कलह या दुर्घटना, से बचाव के लिए यह कवच अत्यंत प्रभावी है।

काले जादू और तंत्र बाधा से सुरक्षा

यदि कोई व्यक्ति काले जादू, टोने-टोटके या तांत्रिक बाधाओं से पीड़ित है, तो छिन्नमस्ता कवच का पाठ उसे इन प्रभावों से मुक्त करता है। माँ छिन्नमस्ता की शक्ति ऐसी नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करने में सक्षम है।

साहस और आत्मबल में वृद्धि

माँ छिन्नमस्ता का उग्र स्वरूप साहस और निडरता का प्रतीक है। उनके कवच का पाठ करने से भक्त में आत्मबल और साहस का संचार होता है, जिससे वह कठिन परिस्थितियों में भी डटकर मुकाबला कर सके।

कामनाओं की पूर्ति

जो भक्त सच्चे मन से इस कवच का पाठ करते हैं, उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह कवच जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक है।

छिन्नमस्ता कवच पाठ विधि

छिन्नमस्ता कवच का पाठ करने के लिए कुछ नियमों और विधियों का पालन करना आवश्यक है ताकि इसका पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। यह एक तांत्रिक कवच है, इसलिए इसे सावधानी और श्रद्धा के साथ करना चाहिए। नीचे इसकी विधि विस्तार से दी गई है:

उचित समय का चयन

छिन्नमस्ता कवच का पाठ करने का सबसे उत्तम समय रात्रि का माना जाता है, विशेष रूप से मध्यरात्रि। इसके अलावा, नवरात्रि, अमावस्या, पूर्णिमा या मंगलवार और शनिवार जैसे दिन भी शुभ माने जाते हैं। सूर्यास्त के बाद का समय इस कवच के पाठ के लिए विशेष रूप से प्रभावी होता है।

शुद्धता और तैयारी

  • पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लाल या काले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये माँ छिन्नमस्ता के प्रिय रंग हैं।
  • पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएँ।
  • माँ छिन्नमस्ता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि संभव हो तो उनके यंत्र को भी रखें।

सामग्री

  • लाल फूल (हिबिस्कस या गुलाब), धूप, दीप, कुमकुम, चंदन, अक्षत (चावल), लाल चंदन, और प्रसाद के लिए मिठाई या फल।
  • एक तांबे का लोटा जल से भरा हुआ।
  • रुद्राक्ष की माला या लाल हकीक की माला जप के लिए।

संकल्प

पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर संकल्प करें। संकल्प में अपनी इच्छा या उद्देश्य (जैसे शत्रु नाश, स्वास्थ्य लाभ, या आध्यात्मिक उन्नति) स्पष्ट करें।

उदाहरण: "मैं (अपना नाम) आज माँ छिन्नमस्ता कवच का पाठ (अपना उद्देश्य) की प्राप्ति के लिए कर रहा/रही हूँ। माँ मेरी रक्षा करें और मेरी मनोकामना पूर्ण करें।"

प्रारंभिक पूजा

  • माँ छिन्नमस्ता का ध्यान करें। उनके स्वरूप का चिंतन करें - सिर कटा हुआ, हाथ में खड्ग और अपना सिर, रक्त की धारा बहती हुई। उन्हें धूप, दीप, फूल और प्रसाद अर्पित करें।

कवच का पाठ

  • शांत मन से बैठकर छिन्नमस्ता कवच का पाठ शुरू करें। इसे स्पष्ट उच्चारण के साथ और पूर्ण श्रद्धा से पढ़ें।
  • कवच का पाठ कम से कम 11 बार, 21 बार या 108 बार करना चाहिए, जो आपकी साधना के स्तर पर निर्भर करता है।
  • पाठ के दौरान माला का प्रयोग करें और प्रत्येक पाठ के बाद माँ को प्रणाम करें।

समापन

  • पाठ समाप्त होने के बाद माँ से अपनी गलतियों के लिए क्षमा माँगें।
  • अंत में "ॐ छिन्नमस्तायै नमः" मंत्र का जप करते हुए माँ को धन्यवाद दें।

नियम और सावधानियाँ

  • पाठ के दौरान मांस, मदिरा या तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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Published by Sri Mandir·April 9, 2025

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