क्या आप जानते हैं ब्रह्मचारिणी देवी का यह दिव्य कवच साधकों को संयम, धैर्य और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है? जानिए पाठ की विधि और इसके अद्भुत लाभ।
मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त करने का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है ब्रहाम्चारिणी कवच, जिससे साधक को तप, त्याग और तेज का वरदान मिलता है। इस लेख में आप जानेंगे इस कवच का रहस्य, उसका महत्व, पाठ विधि और वह चमत्कारी लाभ के बारे में। ### **ब्रह्मचारिणी देवी कवच** त्रिपुरा में हृदये पातुललाटे पातु शंकर भामिनी। अर्पणा सदापातु नेत्रो अर्धरोचकपोलो॥ पंचदशी कण्ठेपातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥ षोडशी सदापातुनाभोगृ होचपादयो। अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥ ### **ब्रह्मचारिणी देवी कवच के पाठ के लाभ** • कष्टों से मुक्ति : ब्रह्मचारिणी देवी के कवच का पाठ करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। • तनाव और अनहोनी से रक्षा : कवच के पाठ से तनाव दूर होता है और कोई अनहोनी नहीं होती। • दुर्घटना से रक्षा : इस कवच का पाठ करने से दुर्घटना से भी रक्षा होती है। • सर्वसिद्धि की प्राप्ति : देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। • वैराग्य और ज्ञान की प्राप्ति : ब्रह्मचारिणी देवी ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी मानी जाती हैं। • कठिन संघर्षों में भी मन स्थिर रहता है : देवी की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए। • विद्यार्थियों और तपस्वियों के लिए शुभ : विद्यार्थियों और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ और फलदायी होती है। • धन-सौभाग्य की प्राप्ति : दुर्गा कवच का पाठ करने से धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। • कोर्ट-कचहरी से राहत : दुर्गा कवच के पाठ से कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामलों से भी राहत मिल सकती है। • अंगों की रक्षा : दुर्गा कवच हमारे बाहरी और आंतरिक अंगों की रक्षा करता है। ### **ब्रह्मचारिणी देवी कवच पाठ विधि** ### **1\. स्नान और शुद्धि** * प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। * पूजा स्थल की सफाई कर उसे शुद्ध करें। * आसन पर बैठकर ध्यान केंद्रित करें। ### **2\. संकल्प लें** * हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि आप देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्ति हेतु उनका कवच पाठ कर रहे हैं। * अपनी मनोकामना का उच्चारण करें। ### **3\. देवी का आह्वान करें** * दीप जलाएं और अगरबत्ती, धूप आदि से वातावरण को पवित्र करें। * देवी ब्रह्मचारिणी के चित्र या मूर्ति के समक्ष सफेद पुष्प अर्पित करें। * शुद्ध घी का दीपक जलाएं और नैवेद्य (मिठाई, फल, चीनी) अर्पित करें। ### **4\. ध्यान और मंत्र जप** ध्यान मंत्र - वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। जपमालाकमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ देवी के ध्यान के पश्चात, कम से कम 11 या 21 बार देवी ब्रह्मचारिणी के बीज मंत्र का जाप करें- “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः” ### **5\. कवच पाठ करें** * विधिपूर्वक निम्नलिखित ब्रह्मचारिणी देवी कवच का पाठ करें। * कवच का पाठ तीन, पांच या ग्यारह बार करना शुभ होता है। * यदि विशेष सिद्धि या कार्यसिद्धि हेतु पाठ कर रहे हैं, तो 9 दिनों तक नवरात्रि में इसका पाठ करें। ### **6\. आरती और समर्पण** * कवच पाठ के बाद देवी ब्रह्मचारिणी की आरती करें। * “जय अम्बे गौरी...” या “ब्रह्मचारिणी माता की आरती” गाएं। * देवी को प्रणाम कर प्रसाद वितरण करें। ### **ब्रह्मचारिणी देवी कवच का महत्व** इस कवच का पाठ करने से आत्मबल और धैर्य बढ़ता है। जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और मन को एकाग्रता प्राप्त होती है। यह कवच विद्यार्थियों और साधकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है। मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के दूसरे दिन इस कवच का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
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