क्या आप जानना चाहते हैं कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 2025 में जयपुर में कब और कहाँ निकलेगी? जानिए इस दिव्य यात्रा की तारीख, मार्ग और दर्शन से जुड़ी सभी अहम बातें।
जयपुर की रथ यात्रा हर वर्ष भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा की भव्य शोभायात्रा के रूप में निकलती है। यह यात्रा श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित होती है, जिसमें हजारों भक्त शामिल होते हैं।
राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी जयपुर में 2025 की जगन्नाथ रथ यात्रा इस बार 27 जून को निकाली जाएगी। इस शुभ अवसर की शुरुआत ‘छेरा पोहरा’ की परंपरा से होगी, जिसमें प्रदेश के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे स्वयं भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना कर रथ को आगे बढ़ाएंगे। इसके साथ ही, 27 जून से 5 जुलाई तक ‘ब्रिज निधि मंदिर’ में नौ दिनों तक धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला चलेगी, जिसमें भोग-प्रसाद, हरिकिर्तन, नाटक, शास्त्रीय संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियां होंगी। हर वर्ष की तरह इस बार भी इस रथ यात्रा में हजारों श्रद्धालु भाग लेकर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन करेंगे।
पुरी की रथ यात्रा को विश्वभर में भगवान जगन्नाथ के प्रमुख पर्व के रूप में जाना जाता है, जो सदियों पुरानी परंपराओं पर आधारित है। वहीं जयपुर की रथ यात्रा, पुरी की तुलना में नई है, लेकिन इसका आयोजन भी पुरी की ही तरह बहुत ही भव्य तरीके से किया जाता है।
पुरी में जहां रथ यात्रा का आयोजन समुद्र के किनारे स्थित जगन्नाथ मंदिर से शुरू होता है, वहीं जयपुर में यह यात्रा गोविंद देव जी मंदिर से प्रारंभ होती है। पुरी में रथ यात्रा की शुरुआत स्थानीय राजा द्वारा रथ की सफाई यानी छेरा पोहरा से होती है, और ठीक उसी परंपरा को जयपुर में राज्यपाल निभाते हैं।
एक और खास बात ये है कि जयपुर में जो भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा विराजमान की जाती है, उसे पुरी से ही मंगाया गया है, और उनकी पूजा भी वही पुरोहित करते हैं जो पुरी में सेवा करते हैं। यही कारण है कि जयपुर की जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी धाम की रथ यात्रा से काफ़ी मिलती-जुलती है।
आपको बता दें कि जयपुर में जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले भगवान गणेश को मोती डूंगरी गणेश मंदिर में पहला आमंत्रण दिया जाता है, फिर गोविंद देव को दूसरा और अंत में ब्रिज निधि को तीसरा निमंत्रण अर्पित किया जाता है।
जयपुर में जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन पिछले कुछ वर्षों में शुरू हुआ, फिर भी यह यात्रा श्रद्धालुओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। इतिहास में देखें तो महाराजा मानसिंह प्रथम ने अफगानी आक्रमणकारियों से युद्ध कर पुरी धाम की रक्षा की थी, जिससे पूरी और राजस्थान के बीच धार्मिक संबंध की नींव पड़ी।
मीरा बाई की रचनाओं में भी जगन्नाथ मंदिर और उनकी यात्रा का उल्लेख मिलता है। यही नहीं, ऐसा माना जाता है कि पुरी मंदिर में अन्न-भोग की परंपरा की प्रेरणा भी राजस्थान से ही मिली थी।
अभी जयपुर में जो रथ यात्रा होती है, वह जगन्नाथ सेवा समिति के निर्देशन में आयोजित होती है। हर वर्ष अक्षय तृतीया पर रथ निर्माण का कार्य विधिवत आरंभ होता है, और इस बार रथ में विशेष यंत्र भी जोड़े गए हैं, जिससे इसकी ऊँचाई जरूरत के अनुसार 25 फीट से घटाकर 12 फीट तक की जा सकेगी, ताकि यह आसानी से पुराने शहर के दरवाजों और गलियों से गुजर सके।
27 जून 2025 को रथ यात्रा की शुरुआत जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर से होगी। यह यात्रा हवा महल रोड, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़ होते हुए त्रिपोलिया गेट से ब्रिज निधि मंदिर तक जाएगी।
पुरी के गुंडिचा मंदिर की ही तरह जयपुर के ‘ब्रिज निधि मंदिर’ को भगवान का ‘मौसी का घर’ माना जाता है, जहां भगवान जगन्नाथ नौ दिनों तक निवास करेंगे। इन नौ दिनों में हर शाम को सत्संग, संकीर्तन, कथामृत, ओडिसी, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम जैसे नृत्य और जगन्नाथ महाभोग प्रसाद की सेवा होगी।
यात्रा की समाप्ति 5 जुलाई को होगी। इस दौरान रथ यात्रा ब्रिज निधि मंदिर से वापस लौटेगी, और नगर भ्रमण के बाद श्रीरामचंद्र मंदिर पर संपन्न होगी।
तो ये थी जयपुर की जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 से जुड़ी विशेष जानकारी। अगर आप जयपुर या राजस्थान के किसी और हिस्से में रहते हैं, तो प्रयास करें कि इस यात्रा में आपको सम्मिलित होने का अवसर मिले। हमारी कामना है कि आपको भगवान जगन्नाथ के अद्भुत दर्शन हों, और उनकी कृपा आप पर सदैव बनी रहे। देशभर की प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्राओं से जुड़ी रोचक जानकारी के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।
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